मानहानि मामले में देवेगौड़ा को राहत, सुप्रीम कोर्ट का कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप से इन्कार
देवेगौड़ा को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाई कोर्ट के एक आदेश में हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया। हाई कोर्ट ने एक निर्माण कंपनी द्वारा देवेगौड़ा के विरुद्ध दाखिल मानहानि मामले में ट्रायल कोर्ट द्वारा दो करोड़ रुपये हर्जाना देने के आदेश पर रोक लगा दी थी।

नई दिल्ली, एजेंसियां: पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कर्नाटक हाई कोर्ट के एक आदेश में हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया। हाई कोर्ट ने एक निर्माण कंपनी द्वारा देवेगौड़ा के विरुद्ध दाखिल मानहानि मामले में ट्रायल कोर्ट द्वारा दो करोड़ रुपये हर्जाना देने के आदेश पर रोक लगा दी थी।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने हालांकि माना कि प्रभावशाली लोगों द्वारा कंपनियों के विरुद्ध दिए गए बयानों से उनकी प्रतिष्ठा, शेयरों के मूल्य और निवेश प्रभावित होता है। मानहानि के मामले में ट्रायल कोर्ट ने 17 जून, 2021 के अपने आदेश में देवेगौड़ा को उनके 10 साल पहले दिए गए एक टीवी साक्षात्कार के संबंध में नंदी इंफ्रास्ट्रक्चर कारिडोर एंटरप्राइजेज (एनआइसीई) को दो करोड़ रुपये हर्जाना देने का आदेश दिया था। शीर्ष अदालत ने एनआइसीई की अपील पर सुनवाई करते हुए कहा कि हाई कोर्ट ने 17 फरवरी, 2022 के अपने आदेश में देवेगौड़ा को निर्देश दिया था कि वह ऐसा कोई बयान नहीं देंगे जो अपीलकर्ता की प्रतिष्ठा धूमिल करता हो। इसके उल्लंघन पर कंपनी फिर हाई कोर्ट जा सकती है।
पिता को लिवर दान करने के लिए याचिका
सुप्रीम कोर्ट ने एक नाबालिग लड़के की याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार से सोमवार तक जवाब मांगा है जो गंभीर रूप से बीमार अपने पिता को लिवर (यकृत) दान करने को तैयार है। प्रधान न्यायाधीश यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने शुक्रवार को मामले की तात्कालिकता पर विचार करते हुए प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया। नाबालिग के वकील ने पीठ को बताया कि उसके पिता की हालत गंभीर है और उनकी जान बचाने का एकमात्र तरीका अंगदान है। पीठ ने इस बात पर संज्ञान लिया कि इस संदर्भ में कानून के मुताबिक दानदाता को बालिग होना चाहिए।
साथ ही उसका ध्यान उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव को भेजे गए छह सितंबर के अभ्यावेदन पर भी आकर्षित कराया गया है जिसमें बेटे को पिता को अपना लिवर दान करने की अनुमति देने की अनुमति मांगी गई है। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग का एक जिम्मेदार अधिकारी सोमवार को सुनवाई के दौरान मौजूद रहेगा। साथ ही याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि वह अस्पताल जाकर इस बात का प्रारंभिक परीक्षण करवा सकता है कि क्या वह दानदाता हो सकता है और क्या उसका अंगदान संभव होगा।

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