Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    आयात पर घटेगी निर्भरता! सरकार से नीति बनाने की सिफारिश, अर्थशास्त्रियों ने वित्त मंत्री को लिखा पत्र

    Updated: Mon, 10 Nov 2025 08:54 PM (IST)

    देश के प्रमुख अर्थशास्त्रियों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को सुझाव दिया है कि भारत की आर्थिक विकास दर को बनाए रखने के लिए विदेशी आयात पर निर्भरता कम करने की नीति बनानी चाहिए। उन्होंने राजकोषीय घाटे को काबू में रखने, पीएलआइ योजना को संशोधित करने और कृषि क्षेत्र में शोध पर खर्च बढ़ाने की भी सिफारिश की। राज्यों पर बढ़ते कर्ज को लेकर भी चिंता जताई गई।

    Hero Image

    विदेशी आयात पर निर्भरता को घटाने के लिए एक समग्र नीति की मांग (फाइल फोटो)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत की आर्थिक विकास दर दुनिया के प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले तेज बनी हुई है और इसके आगे भी यूं ही बरकरार रहने की संभावना है। इसके बावजूद कई उद्योगों के लिए भारत जिस तरह से विदेशी आयात पर निर्भर है उस पर ध्यान देने की जरूरत है। इसके लिए विदेशी आयात पर निर्भरता को घटाने के लिए एक समग्र नीति तैयार होनी चाहिए।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यह सुझाव सोमवार को देश के कुछ प्रमुख अर्थिवदों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को दिए। सीतारमण ने आम बजट 206-27 के लिए विमर्शों के दौर की आज शुरुआत की। कई अर्थविदों ने राजकोषीय घाटे को काबू में करने और प्रोत्साहन आधारित उत्पादन योजना (पीएलआइ) को नये सिरे से संशोधित करने का भी सुझाव रखा।

    क्लीन टेक मैन्युफैक्चरिंग को प्राथमिकता

    इस बैठक में एक्सिस बैंक में चीफ इकोनॉमिस्ट नीलकंठ मिश्रा, जेपी मोर्गन में चीफ इकोनॉमिस्ट साजिद चिनाय, मोर्गन स्टेनल के एमडी रीधम देसाई, क्रिसिल के चीफ इकोनॉमिस्ट धर्मकीर्ति जोशी, यूबीएस में चीफ इकोनॉमिस्ट तन्वी गुप्ता जैन समेत करीब एक दर्जन अर्थविदों ने हिस्सा लिया।

    सूत्रों ने बताया कि कई अर्थविदों ने क्लीन टेक मैन्युफैक्चरिंग को प्राथमिकता से लेते हुए इसकी अपार संभावनाओं का दोहन करने का सुझाव दिया। इनका कहना है कि देश में जिस स्तर पर रोजगार पैदा करने की जरूरत है उसमें स्वच्छ ऊर्जा से संबंधित प्रौद्योगिकी की भूमिका बहुत अहम हो सकती है। एक अर्थविद ने बैठक में कहा कि भारत में अभी भी कई उद्योगों के पास खाली जमीन पड़ी हुई है और यह काफी ज्यादा है।

    सिफारिशों का एक पत्र भी वित्त मंत्री को पेश किया गया

    इस तरह की जमीन रखने वालों पर टैक्स लगाने की व्यवस्था होनी चाहिए ताकि उनका इस्तेमाल करने के लिए दबाव बढ़े। पीएलआइ को लेकर नई संशोधित योजना लागू करने की भी जरूरत कई अर्थविदों की तरफ से दी गई है। अर्थविदों के बाद वित्त मंत्री ने कृषक समाज और कृषि क्षेत्र के जानकारों के साथ अलग से बजट पूर्व बैठक की। इसमें भारत कृषक समाज की तरफ से सिफारिशों का एक पत्र भी वित्त मंत्री को पेश किया गया।

    इसमें मांग की गई है कि सरकार को कृषि क्षेत्र में शोध पर खर्च की जाने वाली राशि को दोगुना किया जाए। साथ ही देश मं 5000 शहरों के एकीकृत विकास की रणनीति बनाने भी सुझाव है। ये शहर देश की विकास में अहम भूमिका निभाएंगे। राज्यों पर बढ़ते कर्ज के स्तर पर चिंता जताते हुए केंद्र से कहा गया है कि वह इनमें कमी लाने के लिए नीति बनाये क्योंकि ज्यादातर राज्य इस बढ़ते कर्ज के बोझ को बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे। इसमें भारतीय बच्चों को काफी शुरुआत से ही वित्तीय शिक्षा देने की भी बात कही गई है।