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    संसदीय समिति की सिफारिश, केंद्रीय सशस्त्र बलों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाए सरकार

    By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh Rajput
    Updated: Tue, 13 Dec 2022 11:56 PM (IST)

    राज्यसभा में मंगलवार को पेश रिपोर्ट के अनुसार समिति इस बात से निराश है कि सीएपीएफ की कुल क्षमता में महिलाओं की संख्या केवल 3.68 प्रतिशत है। समिति ने ग ...और पढ़ें

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    समिति ने इस बात पर संज्ञान लिया कि गृह मंत्रालय सीएपीएफ कर्मियों की छुट्टियां बढ़ाने पर विचार कर रहा है।

    नई दिल्ली, पीटीआई। संसद की एक समिति ने सीआरपीएफ और बीएसएफ जैसे केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) में काफी कम संख्या में महिलाओं की भर्ती किए जाने पर निराशा व्यक्त करते हुए सीमावर्ती चौकियों पर उपयुक्त माहौल बनाने के लिए कदम उठाने की सिफारिश की है ताकि महिलाएं सुरक्षा बलों में शामिल होने के लिए प्रेरित हों। भाजपा के राज्यसभा सदस्य बृजलाल के नेतृत्व वाली गृह मामलों से संबंधित स्थायी समिति की रिपोर्ट में यह बात कही गई है।

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    इन बलों में महिलाओं की संख्या सिर्फ 3.68 प्रतिशत होने पर समिति ने जताई निराशा

    समिति ने कहा है कि गृह मंत्रालय द्वारा सीएपीएफ और असम राइफल्स में महिलाओं की भर्ती को प्रोत्साहित करने के प्रयासों के बावजूद इन बलों में महिलाओं की संख्या काफी कम है। रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने पाया कि वर्ष 2016 में सरकार ने यह निर्णय किया था कि सीआरपीएफ और सीआइएसएफ में कांस्टेबल स्तर पर महिलाओं की भर्ती के लिए 33 प्रतिशत पद आरक्षित किए जाएं और सीमा की सुरक्षा में लगे बलों में 14-15 प्रतिशत पदों के लिए यह व्यवस्था हो।

    मंगलवार को राज्यसभा में पेश रिपोर्ट में कहा

    राज्यसभा में मंगलवार को पेश रिपोर्ट के अनुसार, समिति इस बात से निराश है कि सीएपीएफ की कुल क्षमता में महिलाओं की संख्या केवल 3.68 प्रतिशत है। समिति ने गृह मंत्रालय को सुझाव दिया कि सीएपीएफ में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। समिति ने कहा कि महिलाओं की तेजी से भर्ती के लिए चरणबद्ध तरीके से अभियान चलाया जा सकता है, खासकर सीआइएसएफ और सीआरपीएफ में।

    गृहनगर के पास तैनाती पर हो विचार

    समिति ने यह भी सिफारिश की है कि गृह मंत्रालय को उन कारणों की पहचान करनी चाहिए जो महिलाओं को बलों में शामिल होने से रोकते हैं और उनकी भागेदारी को प्रोत्साहित करने के लिए व्यवहारिक समाधान करने चाहिए। ऐसा ही एक समाधान सीआइएसएफ व सीआरपीएफ जैसे बलों में महिला कर्मियों की उनके गृहनगर के पास तैनाती का है जिससे वे इन बलों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित होंगी और सरकार की परिकल्पना के मुताबिक इन बलों में उनकी भागेदारी में इजाफा होगा।समिति ने पाया कि सीएपीएफ कर्मी काफी दबाव में काम करते हैं, उनकी ड्यूटी की प्रकृति ऐसी है कि उनकी तैनाती विषम जलवायु वाली परिस्थितियों में होती है।

    इसलिए मानसिक रूप से राहत देने और दबाव कम करने के लिए उन्हें उचित अंतराल पर छुट्टी देना जरूरी है ताकि वे अपने परिवार के साथ समय बिता सकें। समिति ने इस बात पर संज्ञान लिया कि गृह मंत्रालय सीएपीएफ कर्मियों की छुट्टियां बढ़ाने पर विचार कर रहा है। समिति ने सिफारिश की कि इस प्रस्ताव पर सकारात्मक रूप से विचार किया जाए और जल्द से जल्द अंतिम रूप दिया जाए क्योंकि इससे सीएपीएफ का मनोबल बढ़ेगा।

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