Real Estate: विशेष आर्थिक पैकेज में बिल्डरों को प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए दिया समय का डोज
रियल एस्टेट सेक्टर से जुड़े तमाम लोगों को वित्त मंत्री से काफी उम्मीदें थीं मगर इस सेक्टर को बूस्ट देने के लिए उनकी ओर से कोई खास घोषणा नहीं की गई।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कोरोना संकट के बीच अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए मंगलवार को 20 लाख करोड़ रुपये के विशेष आर्थिक पैकेज का ऐलान किया गया था। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को इस पैकेज के बारे में विस्तार से जानकारी दी। साथ ही ये बताया कि इस विशेष पैकेज से किस क्षेत्र को क्या फायदा मिलेगा। किस सेक्टर को आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिल सकेगी। रियल एस्टेट सेक्टर से जुड़े तमाम लोगों को वित्त मंत्री से काफी उम्मीदें थीं मगर इस सेक्टर को बूस्ट देने के लिए उनकी ओर से कोई खास घोषणा नहीं की गई।
सिर्फ रेरा में रजिस्टर्ड प्रोजेक्टों की डिलीवरी का समय 6 महीने बढ़ा दिया गया। इससे पहले भी नवंबर 2019 में रियल एस्टेट सेक्टर से जुड़े लोगों को ये उम्मीद थी कि वित्त मंत्री उनके सेक्टर को बूस्ट करने के लिए कोई आर्थिक पैकेज भी देंगी मगर ऐसा नहीं हुआ था। अब इस लॉकडाउन के दौरान मिले विशेष आर्थिक पैकेज में भी उन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से घोषित किए गए विशेष आर्थिक पैकेज पर रियल एस्टेट सेक्टर से जुड़े लोगों की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं हैं। कोई इसे ठीक बता रहा है तो कोई किसी का कहना है कि उनको जो उम्मीद थी वो किसी भी तरह से पूरी होती नहीं दिखी। नोटबंदी के बाद से ही सेक्टर का बुरा हाल है मगर उसको ध्यान में रखते हुए कोई घोषणा नहीं की गई। लॉकडाउन के दौरान हजारों मजदूर वापस जा चुके हैं ऐसे में अब प्रोजेक्ट को पूरा करना अपने आप में चुनौतीपूर्ण होगा।
पीएम ने किया था ऐलान
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना संकट के दोर में इकोनॉमी को सहारा देने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के तगड़े बूस्टर डोज का ऐलान किया है। मंगलवार को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में पीएम मोदी ने बताया कि इस पैकेज देश की इकोनॉमी को सहारा मिलेगा और दुनिया में भारत नेतृत्व करने की क्षमता हासिल कर सकेगा। पीएम ने कई सेक्टर में बोल्ड सुधारों का ऐलान किया था।
रियल एस्टेट सेक्टर से जुड़े प्रमुख लोगों की बातें
जो लोग रेरा में रजिस्टर्ड थे और किसी वजह से उनके प्रोजेक्ट में देरी हो रही थी, उन पर पेनाल्टी लग रही थी जिसे माफ करने के लिए रेरा ने पहले ही आर्डर कर दिया था। वित्त मंत्री की घोषणा में सिर्फ एक बात ये अच्छी रही है कि अब बिल्डरों को अपने प्रोजेक्ट के लिए दोबारा से रजिस्ट्रेशन नहीं कराना होगा, इसके अलावा अन्य कोई खास फायदा नहीं दिया गया है। किश्तें माफ नहीं की गई हैं उनका समय बढ़ाया गया है। रेरा में रजिस्टर्ड प्रोजेक्ट की डेटलाइन बढ़ा दी गई है इससे बायर्स को संतुष्टि मिलेगी, वो अधिक परेशान नहीं होंगे। रियल एस्टेट को कोई बूस्टर डोज नहीं दी गई।
मनोज गौड़, एमडी, गौड़ ग्रुप
ईपीएफ के तहत आम आदमी को दी जाने वाली राहत अफोर्डेबल सेगमेंट को बहुत हद तक मदद करेगी। इस श्रेणी में सस्ती गिरावट के खरीदार और उनके निपटान में अतिरिक्त धन प्राप्त करने के लिए उन्हें अलग किया जाएगा। कोविड-19 स्थिति ने सभी को सुरक्षित निवेश करने और किसी के आसरा होने के महत्व का एहसास कराया है।
वहीं अतिरिक्त डिस्पोजेबल आय के साथ, एफएम द्वारा की गई घोषणा के ये लाभार्थी रियल एस्टेट की संपत्ति खरीदने के लिए जाएंगे। इसके अलावा रेरा प्राधिकरण के तहत समयसीमा बढ़ाने के बारे में अन्य घोषणाओं से राहत प्रदान करने में बहुत मदद मिलेगी क्योंकि खरीदार तारीख के पीछे का कारण समझेंगे।
अशोक गुप्ता, सीएमडी, अजनारा इंडिया लिमिटेड
भले ही 25 मार्च, 2020 को या उसके बाद समाप्त होने वाली सभी पंजीकृत परियोजनाओं के लिए पंजीकरण और कम्पलीशन की तारीख को 6 महीने तक बढ़ा दिया जाए, लेकिन व्यक्तिगत रूप से डेवलपर्स को कुछ समय के लिए डिफॉल्टर होने से बचने में मदद मिलेगी।
हम अभी भी महसूस करते हैं कि तरलता के लिए आवश्यक कदम रियल एस्टेट सेक्टर में मौजूदा समय की वास्तविक जरूरत है। वर्तमान समय में बैंकों के पास लगभग 7.8 लाख करोड़ रुपये हैं, जिसे फिलहाल RBI के पास रखा गया है और यह सही समय है, जब उस राशि को RBI और बैंकों से अर्थव्यवस्था में तरलता को समाप्त करने के लिए लेकर आया जाना चाहिए।
अमित मोदी, प्रेजिडेंट (इलेक्ट), क्रेडाई वेस्टर्न यूपी और डायरेक्टर, एबीए कॉर्प
डेवलपर्स खरीदारों से किए गए वादों को पूरा करने के लिए समर्पित हैं। रियल्टी समुदाय पिछले एक साल से अधिक समय से डिलीवरी पर ध्यान केंद्रित कर रहा है लेकिन यह वैश्विक महामारी सभी सेक्टर को नुकसान पहुंचा रही थी। सरकार ने सही समय पर हस्तक्षेप किया है और डेवलपर्स को थोड़ी सहूलियत दी है क्योंकि वे भी उन समस्याओं का सामना कर रहे हैं जो अन्य क्षेत्र कर रहे हैं।
हरविंदर सिक्का, एमडी, सिक्का ग्रुप
परियोजनाओं को पूरा करने के लिए 6 महीने का विस्तार प्रदान करना वास्तव में एनसीआर आधारित डेवलपर्स के लिए जरुरी था। यह देखते हुए कि गंभीर वायु प्रदूषण के कारण अक्टूबर और नवंबर के महीनों में दिल्ली एनसीआर में निर्माण गतिविधियों को भी रोक दिया गया था। वास्तव में एनसीआर आधारित डेवलपर्स के लिए 9 महीने होना चाहिए।
विकास भसीन, एमडी, साया होम्स
इंडस्ट्री का दर्जा दिया जाए। इस इंडस्ट्री को भी एमएसएमई की तरह ही कोई दर्जा दिया जाना चाहिए था। लॉकडाउन के दौरान काफी नुकसान हुआ है, बिल्डरों को उम्मीद थी कि सरकार बिना ब्याज के लोन देंगी मगर ऐसा कुछ नहीं किया गया। जीएसटी में भी रियायत नहीं की गई। रियल एस्टेट को गति देने की बहुत आवश्यकता थी मगर ऐसा कुछ नहीं किया गया। यदि वित्त मंत्री की ओर से इस सेक्टर में भी कुछ पैसे डाले जाते तो इस उद्योग को भी गति मिल जाती।
प्रदीप गुप्ता, अध्यक्ष, ट्रांस हिंडन बिल्डर एसोसिएशन।