Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    घर खरीदने वाले सावधान, रियल एस्‍टेट को GST के दायरे में लाने पर विचार

    By Tilak RajEdited By:
    Updated: Thu, 04 Jan 2018 08:55 PM (IST)

    काउंसिल के कुछ सदस्यों ने रियल एस्टेट को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग उठायी थी, जिसके बाद इस बारे में विचार किया जा रहा है। ...और पढ़ें

    Hero Image
    घर खरीदने वाले सावधान, रियल एस्‍टेट को GST के दायरे में लाने पर विचार

    नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सरकार रियल एस्टेट को जीएसटी के दायरे में लाने की दिशा में कदम बढ़ाने जा रही है। माना जा रहा है कि जीएसटी काउंसिल की 18 जनवरी को नई दिल्ली में होने वाली बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की जा सकती है। हालांकि केंद्र ने जो विकल्प राज्यों को सुझाया है उसमें जीएसटी के दायरे में रियल एस्टेट के आने के बाद भी स्टाम्प ड्यूटी और प्रॉपर्टी टैक्स को बरकरार रखा जा सकता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सूत्रों ने कहा कि केंद्र सरकार ने इस संबंध में पहल करते हुए जीएसटी काउंसिल की 10 नवंबर को गुवाहटी में हुई 23वीं बैठक के एजेंडा में एक पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन रखा, लेकिन समयाभाव के चलते इस पर चर्चा नहीं हो सकी। इसीलिए अब आगामी बैठक में इस पर चर्चा होने के आसार हैं।

    सूत्रों ने कहा कि रियल एस्टेट को जीएसटी के दायरे में लाने से न सिर्फ केंद्र और राज्य सरकारों को अधिक राजस्व की प्राप्ति होगी, बल्कि इससे इनपुट टैक्स क्रेडिट की सुविधा से बंदरगाह, हवाई अड्डे और होटल जैसे व्यवसायों को भी लाभ मिलेगा। साथ ही रियल स्टेट के रूप में सृजित होने वाले कालेधन के खिलाफ भी यह अहम कदम होगा।

    फिलहाल रियल एस्टेट पर मुख्यत: चार प्रकार के टैक्स व शुल्क लगते हैं जिसमें स्टांप ड्यूटी, प्रॉपर्टी टैक्स रजिस्ट्रेशन फीस और भवन निर्माण पर सैस शामिल हैं। सूत्रों का कहना है कि रियल एस्टेट को जीएसटी के दायरे में लाने के बाद प्रॉपर्टी टैक्स और स्टाम्प ड्यूटी को बरकरार रखा जा सकता है, जबकि बिल्डिंग सैस को जीएसटी में ही समाहित किया जा सकता है। फिलहाल जमीन की बिक्री पर राज्य सरकारें स्टांप शुल्क लगाती हैं। स्टांप शुल्क की दर भी अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग है। कुछ राज्यों में तो यह आठ फीसद तक है। नीति आयोग ने अपने त्रिवर्षीय एक्शन एजेंडा में भी स्टांप ड्यूटी घटाने की वकालत की है।

    सूत्रों ने कहा कि रियल एस्टेट को जीएसटी के दायरे में लाने के लिए सीजीएसटी और एसजीएसटी कानूनों में संशोधन की आवश्यकता पड़ेगी। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इसके लिए संविधान में संशोधन की जरूरत पड़ेगी या नहीं। इस संबंध में सूत्रों का कहना है कि कानून मंत्रालय की राय लेनी पड़ेगी। सूत्रों ने कहा कि रियल एस्टेट को जीएसटी के दायरे में लाने से पहले चल और अचल संपत्ति की परिभाषा भी तय करनी होगी।

    उल्लेखनीय है कि काउंसिल के कुछ सदस्यों ने रियल एस्टेट को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग उठायी थी, जिसके बाद इस बारे में विचार किया जा रहा है। इसके अलावा मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने भी कहा है कि अगर जमीन और रियल एस्टेट को जीएसटी के दायरे में नहीं लाया गया तो काले धन का सृजन नहीं रुकेगा। इससे पहले 13वें वित्त आयोग ने भी रिहायशी और व्यवसायिक दोनों प्रकार के रियल एस्टेट सेक्टर को कर आधार में लाने की सिफारिश की थी। आयोग का कहना था कि राज्य सरकारें जो स्टांप ड्यूटी लगाती हैं उसे जीएसटी में ही समाहित किया जाना चाहिए। हालांकि आयोग ने छोटी रिहायशी और व्यवसायिक संपत्तियों को छूट देने के लिए 10 लाख रुपए की सीमा तय करने की सिफारिश भी की थी।

    भारत में रियल एस्टेट सेक्टर की तस्वीर
    -देश के जीडीपी में करीब 8 प्रतिशत है निर्माण क्षेत्र का योगदान
    -भारत में रियल एस्टेट कारोबार 2020 तक 180 अरब डॉलर होने का अनुमान
    -कृषि के बाद सबसे ज्यादा रोजगार देता है रियल एस्टेट सेक्टर

    यह भी पढ़ें: जीएसटी इन्वॉइस मिलान की प्रणाली में बदलाव संभव