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    भारत में 75 साल बाद Cheetah Returns, पढ़े- आखिरी तीन चीतों की कहानी

    भारत के लिए आज का दिन काफी खास है। 75 साल बाद देश में चीतों की वापसी हो रही है। नामीबिया से 8 चीतों को भारत लाया जा रहा है। पीएम मोदी अपने जन्मदिन के मौके पर इन्हें मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क छोड़ेंगे।

    By Manish NegiEdited By: Updated: Sat, 17 Sep 2022 09:43 AM (IST)
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    भारत में 75 साल बाद Cheetah Returns

    नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। भारत में सात दशक से ज्यादा समय बाद चीतों की वापसी हो रही है। मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में अब जल्द ही लोग चीतों के दीदार हो सकेंगे। भारत में चीतों को आखिरी बार साल 1947 में देखा गया था, तब उनका शिकार किया गया था। अब नामीबिया से आठ चीतों को भारत लाया गया है। पीएम मोदी अपने बर्थडे पर यानी आज इन्हें मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में छोड़ेंगे। 75 साल बाद चीतों की वापसी से देश के लोग काफी उत्सुक हैं। आपको बताते हैं कि भारत में आखिरी बार जो चीते देखे गए थे, उनकी क्या कहानी है...

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    छत्तीसगढ़ के राजा ने किया था आखिरी चीतों का शिकार

    बताया जाता है कि भारत में साल 1947 में आखिरी बार तीन चीतों को देखा गया था। तत्कालीन राज्य सेंट्रल प्रोविंस एंड बेरार (अब छत्तीसगढ़) के कोरिया जिले के जंगल में महाराजा रामानुज प्रताप सिंहदेव ने तब चीतों का शिकार किया था। कहा जाता है कि तब राजा ने दो गोलियों से ही तीनों को ढेर कर दिया था। तीनों नर थे । 75 साल पहले कोरिया जंगल में मारे गए भारत के अंतिम चीते का सिर बस्तर राजमहल के दरबार हाल में टंगा है। साल 1952 में भारत सरकार ने चीता प्रजाति को विलुप्त घोषित कर दिया।

    कोरिया पैलेस में रखे गए चीतों के दो पुतले

    रिपोर्ट के अनुसार, उन दिनों भी शिकार में मारे गए वन्यजीवों के पुतले बेंगलुरु में बनाए जाते थे। चीतों का सिर और खाल कोरिया महाराजा ने बेंगलुरू भिजवाया था। चीतों के दो पुतले कोरिया पैलेस में रखे गए। 75 साल पहले मारे गए चीता का सिर आज भी जगदलपुर राजमहल के दरबार हाल में प्रवीरचंद भंजदेव की तस्वीर के ठीक ऊपर दीवार में टंगा है।

    52 साल पहले बनी थी योजना

    चीतों को भारत में फिर से बसाने की योजना 1970 में बनी थी, हालांकि इसमें काफी समय लग गया। इस वक्त ईरान ने भारत से एशियाटिक लायन (बब्बर शेर) मांगे थे। भारत ने इसके बदले ईरान से एशियाई चीते की मांग की थी।

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