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    'अंतरिक्ष से वापसी के वक्त लग रहा था... बच नहीं पाऊंगा', 40 साल बाद राकेश शर्मा ने खोला बड़ा राज

    देश के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा ने अपने अनुभवों को साझा किया। राकेश शर्मा ने कहा कि जब मैं अंतरिक्ष से लौट रहा था तो मुझे लगा कि मैं वापस नहीं आ पाऊंगा। मगर धरती पर लौटना ही सबसे रोमांचकारी अनुभव था। बता दें कि 1984 में बैकोनूर कास्मोड्रोम से सोयुज टी-11 अंतरिक्ष यान से शर्मा ने उड़ान भरी थी।

    By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Tue, 13 Aug 2024 06:29 AM (IST)
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    भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा।

    पीटीआई, नई दिल्ली। भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा ने अपनी अंतरिक्ष यात्रा का अनुभव सोमवार को साझा किया। उन्होंने कहा कि सोयुज अंतरिक्ष यान से धरती पर वापसी उनकी अंतरिक्ष यात्रा का सबसे रोमांचकारी अनुभव था। एक पल के लिए उन्हें लगा कि वह सुरक्षित वापस नहीं आ पाएंगे।

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    राकेश शर्मा ने 'ऊर्जा, पर्यावरण एवं जल परिषद' तथा संयुक्त राष्ट्र फाउंडेशन द्वारा आयोजित 'यूथ सभा 2047: शेपिंग इंडियाज फ्यूचर ' कार्यक्रम में अंतरिक्ष यात्री के तौर पर अपने अनुभव साझा किए। शर्मा ने पिक्सल स्पेस के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी अवैस अहमद के साथ बातचीत में कहा कि वह अपनी अंतरिक्ष यात्रा की लांचिंग को लेकर चिंतित नहीं थे, क्योंकि सब कुछ कंप्यूटर द्वारा नियंत्रित था।

    धरती पर लौटना अधिक रोमांचक था

    धरती पर वापसी की यात्रा के अनुभव को याद करते हुए शर्मा ने कहा, धरती पर लौटना ज्यादा रोमांचक था, क्योंकि मुझे लगा कि मैं सफल नहीं हो पाऊंगा। राकेश शर्मा को जनवरी 1982 में सोवियत इंटरकोस्मोस मिशन के लिए चुना गया था। उन्होंने तीन अप्रैल 1984 को बैकोनूर कास्मोड्रोम से सोयुज टी-11 अंतरिक्ष यान पर उड़ान भरी।

    अंतरिक्ष में कितने दिन रुके शर्मा?

    शर्मा ने अंतरिक्ष में सात दिन, 21 घंटे और 40 मिनट बिताए और 11 अप्रैल को धरती पर लौट आए। गौरतलब है कि भारत इस साल के अंत में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और निजी अंतरिक्ष कंपनी 'एक्सिओम' के साथ संयुक्त मिशन के तहत अपने अंतरिक्ष यात्री को अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी कर रहा है।

    भारत ने की गगनयान मिशन की घोषणा

    वायुसेना के विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला एक्सिओम मिशन-4 के लिए ह्यूस्टन में प्रशिक्षण ले रहे हैं। भारत ने अगले वर्ष अंतरिक्ष यात्रियों को 400 किलोमीटर की कक्षा में भेजने के लिए गगनयान मिशन की भी घोषणा की है।

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