साइबर फ्रॉड 3 दिन में बता दिया तो जवाबदेही बैंक की होगी, लोन और सेटलमेंट को लेकर क्या हैं नए नियम?
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंकिंग नियमों में बड़े बदलाव प्रस्तावित किए हैं। नए नियमों के अनुसार, साइबर फ्रॉड की सूचना 3 दिन में देने पर ग्राहक की जवाबदेही नहीं होगी, और बैंक की लापरवाही पर जुर्माना लगेगा। लॉकर में चोरी होने पर बैंक को हर्जाना देना होगा। केवाईसी नियमों में भी बदलाव किए गए हैं। आरबीआई ने 238 बैंकिंग नियमों का एक ड्राफ्ट जारी कर जनता से सुझाव मांगे हैं। इन सुझावों पर 10 नवंबर तक जनता से राय मांगी गई है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आगामी कुछ महीनों में बैंक के कामकाज में कई बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 238 बैंकिंग नियमों का एक ड्राफ्ट जारी किया है। इस पर जनता से 10 नवंबर तक सुझाव मांगे हैं। आरबीआई के पूर्व गवर्नर आर गांधी ने बताया कि नियामक कानूनों में सुधार को लेकर पहली बार ड्राफ्ट जारी कर जनता से सुझाव मांगे जा रहे हैं।
कब से लागू होंगे नए नियम?
भारतीय रिजर्व बैंक ने जिन 238 बैंकिंग नियमों का ड्राफ्ट जारी किया है, वे नए नियम साल 2026 की शुरुआत से लागू होंगे। आरबीआई के प्रस्तावित सुधारों के तहत साइबर फ्रॉड के मामलों में यदि ग्राहक तीन दिन में जानकारी दे देता है तो उसकी जवाबदेही शून्य होगी। इसके बावजूद अगर बैंक समय पर कार्रवाई नहीं करते हैं तो उन पर 25,000 रुपये तक जुर्माना लगाया जा सकता है। वहीं चोरी या लापरवाही की स्थिति में बैंक को लॉकर किराये का 100 गुना तक हर्जाना भरना होगा।
लोन ब्याज दर तय करने में एक समान फॉर्मूला लागू होगा। सभी लोन पर प्रीपेमेंट पेनाल्टी खत्म होगी। 70 वर्ष से अधिक उम्र के ग्राहकों को घर बैठे बैंकिंग सुविधा मिलेगी। इन सुझावों पर विचार करने के बाद 1 जनवरी से 1 अप्रैल 2026 तक ये सारे नियम लागू हो जाएंगे।
किस खाते की कब होगी केवाईसी?
- सामान्य खातों की केवाईसी 10 साल में एक बार।
- मध्यम जोखिम वालों की 8 साल में एक बार।
- उच्च जोखिम वालों की हर 2 साल में करनी होगी।
केवाईसी आउटसोर्स: बैंक खुद केवाईसी करेंगे, न कि कोई एजेंसी। अभी तक कई बैंक आउटसोर्स से कराते हैं। इससे ग्राहक डेटा अधिक सुरक्षित रहेगा।
ये हैं RBI के प्रस्तावित बड़े बदलाव
नए नियम लागू होने के बाद नीचे दिए बदलाव देखने को मिलेंगे..
बैंक की जवाबदेही तय, हीलाहवाली पर देना होगा जुर्माना
- साइबर फ्रॉड : अगर ग्राहक तीन दिन के भीतर बैंक को बताएंगे तो जवाबदेही शून्य हो जाएगी। फिर अगर बैंक एक्शन नहीं लेती है या एक्शन लेने में देरी करे तो 25 हजार जुर्माना देना होगा। अभी कोई समयसीमा तय नहीं है। इससे बैंक जवाबदेह बनेंगे।
- सिबिल अपडेट: पेमेंट व डिफॉल्ट हर महीने की 15 तारीख तक अपडेट किया जाएगा। अभी सिबिल अपडेट करने की समय-सीमा 90 दिन है। इससे क्रेडिट स्कोर की रिपोर्ट सुधरेगी।
- लॉकर चोरी/नुकसान: लॉकर में चोरी या फिर किसी तरह का नुकसान होने पर बैंक को किराए का 100 गुना हर्जाना देना होगा। जबकि अभी बैंक पर कोई जवाबदेही नहीं है। इससे मजबूत सुरक्षा गारंटी मिलेगी।
कर्ज लेना हुआ आसान, लेकिन डाउनपेमेंट?
- लोन का ब्योरा : बैंक को लोन देते वक्त ब्याज, फीस, पेनाल्टी का पूरा ब्योरा देना होगा। पहले जानकारी अस्पष्ट रहती थी। इसका फायदा यह मिलेगा कि छिपे हुए चार्ज खत्म हो जाएंगे।
- लोन डाउनपेमेंट: नए नियम के तहत 20 लाख से अधिक के होम लोन पर 80 प्रतिशत ही लोन मिलेगा। अभी तक सभी लोन पर सीमा 90 प्रतिशतथी। यानी कि ज्यादा डाउनपेमेंट देना पड़ेगा।
- कम अवधि के लोन: कम अवधि यानी तीन 3 साल से कम के लोन भी निधि की सीमांत लागत आधारित उधार दर (MCLR) से नीचे नहीं मिलेंगी। अभी तक कम दर पर दिए जा सकते हैं। इससे ब्याज दरों में भेदभाव खत्म होगा।
- लोन ब्याज फॉर्मूला: एकीकृत फॉर्मूले से ब्याज तय किया जाएगा। जबकि अभी तक बैंक अपनी दर तय करते थे। इस नियम से पारदर्शिता व समानता बढ़ेगी।
- प्रीपेमेंट पेनॉल्टी खत्म: प्रीपेमेंट करने पर सभी तरह के लोन पर कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लगेगा। पहले छूट सिर्फ रिटेल लोन पर थी। इससे ग्राहक को जल्दी लोन चुकाना आसान हो जाएगा।
- लोन डॉक्यूमेंट: ग्राहक के लोन चुकाने के 30 दिन के भीतर बैंक को डॉक्यूमेंट लौटाने होंगे, वरना बैंक पर 5000 रुपये प्रतिदिन का जुर्माना लगेगा। पहले कोई तय सीमा नहीं थी। इससे ग्राहक को बार-बार बैंक के चक्कर नहीं लगाने होंगे।
- गोल्ड लोन नीलामी: लोन न चुका पाने पर गोल्ड की नीलामी के लिए ग्राहक की उपस्थिति व शपथ पत्र अनिवार्य होगा। अभी कंपनियां मनमर्जी से नीलामी कर देती हैं। इससे निष्पक्ष नीलामी हो सकेगी।
- डिजिटल लोन: लोने देने के लिए कम से कम 1 दिन का कूलिंग ऑफ पीरियड जरूरी। अभी तक कोई समय सीमा तय नहीं थी। लोन रद्द करने का वक्त होगा।
ये बदलाव भी जान लीजिए..
- क्लेम सेटलमेंट: बैंकों के लिए क्लेम 15 दिन के अंदर ही निपटाना अनिवार्य होगा। अभी तक कोई समय सीमा तय नहीं है, जिससे समाधान मिलने में देरी होती है।
- अनक्लेम्ड जमा: दावा आते ही बैंक पैसे लौटाएगा, फिर RBI से ले लेगा। पहले राशि RBI फंड में चली जाती थी। इससे ग्राहक की जमा राशि वापसी आसान होगी।
- सीज प्रॉपर्टी: जब्त संपत्तियां हर माह वेबसाइट पर अपडेट की जाएंगी। अभी तक इसका ब्योरा सार्वजनिक नहीं किया जाता था। इस सुधार से ग्राहक को पूरी जानकारी मिलेगी।
- वरिष्ठ नागरिक बैंकिंग: नए नियम के मुताबिक, बैंक 70 साल से ऊपर वालों को घर बैठे सेवा देंगे। पहले इस पर स्पष्ट नियम नहीं था। यानी कि बुजुर्गों के लिए बैंकिंग सहज और सुलभ होगी।
- संपत्ति घोषणा: सभी निजी बैंक के कर्मियों को संपत्ति का ब्योरा देना होगा। पहले केवल सरकारी में ही लागू था। इस बदलाव से पारदर्शिता व जवाबदेही बढ़ेगी।
- लॉटरी/चिटफंड पर रोक: ऐसे खातों या ट्रांजैक्शन की मंजूरी नहीं देंगे। अभी तक लॉटरी पर कोई रोक नहीं है। इस नियम से फर्जी स्कीम से सुरक्षा मिलेगी।
- संवेदनशील पदों पर छुट्टी: बैंक कर्मियों को 10 दिन की अनिवार्य छुट्टी। अभी तक सभी बैंकों में छुट्टियां समान नहीं थी। इससे धोखाधड़ी रोकने में मदद होगी।
क्या मैं भी दे सकता हूं सुझाव, अगर हां तो कैसे?
हां, आरबीआई ने 238 बैंकिंग नियमों के ड्राफ्ट पर 10 नवंबर तक आम लोगों के सुझाव मांगे हैं, उन पर भारत का कोई भी नागरिक सुझाव दे सकता है।
ऐसे दीजिए सुझाव...
- आरबीआई की वेबसाइट rbi.org.in पर जाइए।
- इसमें अंग्रेजी का विकल्प चुनिए ।
- होमपेज पर 'What's New दिखेगा, उस पर क्लिक कर दीजिए।
- सूची में 5वें नंबर पर 'ड्रॉफ्ट्स फॉर कमेंट्स' पर क्लिक कर दीजिए।
- अब Drafts of the 238 consolidated... पर क्लिक कीजिए।
- पहले नंबर पर ही 'कनेक्ट टु रेगुलेट' लिखा दिखेगा, उस पर क्लिक करिए।
- 'सबमिट कमेंट' पर क्लिक करें।
- अब बॉक्स में टिक करके 'प्रोसीड टु कमेंट...' पर क्लिक कर दीजिए।
- अगली जो विंडो दिखेगी, उसमें अपना नाम, संस्थान का नाम, अपना कमेंट (जो अधिकतम 65 हजार कैरेक्टर्स का हो सकता है) दीजिए।
- फिर मोबाइल नंबर और ई-मेल ओटीपी से वेरिफाई करें और सबमिट कर दीजिए ।

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