आरबीआई ने इस बैंक के लेनदेन पर क्यों लगाया बैन, जॉर्ज फर्नांडिस का क्या है कनेक्शन? इनसाइड स्टोरी
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने 13 फरवरी को एक आदेश जारी कर मुंबई स्थित न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक में हर प्रकार की जमा और निकासी पर छह माह के लिए प्रतिबंध लगा दिया है। ऐसा बैंक के लगातार घाटे में चलने के कारण किया गया है। बैंक ने 2023 में 307.5 करोड़ के घाटे के बाद मार्च 2024 को समाप्त हुए वर्ष में 227.8 करोड़ घाटा दर्ज किया था।
ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। दिग्गज ट्रेड यूनियन नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस द्वारा स्थापित न्यू इंडिया कोआपरेटिव बैंक के कारोबार पर रिजर्व बैंक ने छह माह के लिए प्रतिबंध लगा दिया है। यह बैंक मध्यमवर्गीय एवं निम्न मध्यम वर्गीय लोगों का बैंक माना जाता है। बिना किसी पूर्व सूचना के बैंक का कारोबार बंद होने से ऐसे हजारों लोगों का पैसा डूबने का खतरा पैदा हो गया है।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने 13 फरवरी को एक आदेश जारी कर मुंबई स्थित न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक में हर प्रकार की जमा और निकासी पर छह माह के लिए प्रतिबंध लगा दिया है। ऐसा बैंक के लगातार घाटे में चलने के कारण किया गया है।
इतने घाटे में थी न्यू इंडिया कोआपरेटिव बैंक
मिली जानकारी के अनुसार बैंक ने वित्त वर्ष 2023 में 307.5 करोड़ के घाटे के बाद मार्च 2024 को समाप्त हुए वर्ष में 227.8 करोड़ घाटा दर्ज किया था। 31 मार्च, 23 तक इसके एडवांस पिछले वर्ष के 13.30 अरब रुपए से घटकर 11.75 अरब रुपए रह गए थे। जबकि इसकी जमा राशि 24.06 रुपयों से थोड़ी बढ़कर 24.36 अरब हुई थी।
जमा राशि में इस मामूली बढ़त के बावजूद बढ़ते घाटे ने रिजर्व बैंक की चिंता बढ़ा दी थी। जिसके कारण रिजर्व बैंक को इस बैंक से किसी भी प्रकार की जमा और निकासी पर प्रतिबंध की घोषणा करनी पड़ी है। बैंक में कारोबार बंद होने की सूचना के बाद शुक्रवार सुबह से ही बैंक की विभिन्न शाखाओं के बाहर पैसा निकालने के लिए ग्राहकों की भीड़ लग गई थी।
सिर्फ एक लाख की पूंजी के साथ जॉर्ज फर्नांडिस ने की बैंक की स्थापना
मुंबई के कई सहकारी बैंकों में वरिष्ठ बैंकर रह चुके विनायक गुलगुले इस बैंक का इतिहास बताते हुए कहते हैं कि इस बैंक की स्थापना 1968 में वरिष्ठ ट्रेड यूनियन नेता जॉर्ज फर्नांडिस ने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर सिर्फ एक लाख रुपयों की प्रारंभिक पूंजी से छोटा-मोटा काम करने वालों को बैंकिंग सुविधा प्रदान करने के लिए की थी। चूंकि जॉर्ज उन दिनों मुंबई की रिक्शा एवं टैक्सी यूनियन के अध्यक्ष थे, इसलिए इस बैंक ने ऑटोरिक्शा के लिए ऋण देना शुरू किया।
दांव पर लगी जीवन भर की कमाई
शुरुआती दौर में इस बैंक का नाम द बॉम्बे लेबर कोऑपरेटिव बैंक लि. था। तब ऑटोरिक्शा के लिए सिर्फ यही बैंक ऋण उपलब्ध कराता था। गुलगुले कहते हैं कि आज भी इस बैंक का मूल ग्राहक वर्ग रिक्शा-टैक्सी चालक या रेहड़ी-ठेला लगानेवाले और घरों में काम करनेवाली महिलाएं ही हैं।
बैंक के कारोबार पर इस प्रकार अचानक लगा प्रतिबंध इसके निम्न मध्यमवर्गीय ग्राहकों को बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है। बैंक की अंधेरी शाखा की ग्राहक हीरा गीते का 40 वर्षों से इस बैंक में खाता है। घरों में काम करके एकाकी जीवन बिता रही हीरा के अंधेरी शाखा में करीब पांच लाख रुपए जमा हैं। अब जमा और निकासी पर प्रतिबंध लगने से उनकी जीवन भर की कमाई दांव पर लग गई है।
अलग-अलग शाखाओं के और भी कई ग्राहक की ऐसी ही कहानी है। 1990 में शेड्यूल्ड बैंक का दर्जा पाने वाले इस बैंक को 1999 में बहुराज्यीय बैंक का भी दर्जा मिल गया था। उसके बाद से मुंबई, ठाणे, सूरत और पुणे में बैंक अपनी 30 शाखाएं खोल चुका है।
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