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    जिसे बचपन में समझा गया लड़की बड़े होने पर निकला लड़का, ऐसे हुआ चमत्कार

    Updated: Tue, 04 Nov 2025 08:17 PM (IST)

    दिल्ली के लेजर हॉस्पिटल में डॉक्टरों ने एक दुर्लभ लिंग विकार की सफल सर्जरी की। बलरामपुर के एक परिवार को लग रहा था कि उनका 11 महीने का बच्चा लड़की है, क्योंकि उसके जननांग नहीं दिख रहे थे। जांच के बाद पता चला कि बच्चा लड़का है, लेकिन लिंग शरीर के अंदर है। डॉक्टरों ने ऑपरेशन किया, और बच्चा अब स्वस्थ है। डॉक्टरों ने माता-पिता को बच्चों के अंगों की जांच कराने की सलाह दी है।

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    दिल्ली में लिंग विकार का सफल ऑपरेशन

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नगर के लेजर हास्पिटल में चिकित्सकों ने चिकित्सकीय दृष्टि से अत्यंत जटिल और दुर्लभ माने जाने वाले लिंग विकार (जन्मजात जननांग विकृति) का सफल आपरेशन कर एक उल्लेखनीय उपलब्धि दर्ज की है।

    यह जटिल सर्जरी दिल्ली के यूपीएस हास्पिटल के वरिष्ठ यूरोलाजिस्ट डा गौतम बंगा और लेजर हास्पिटल के संचालक तथा सरगुजा संभाग के पहले यूरोलाजिस्ट डा योगेंद्र सिंह गहरवार की संयुक्त टीम ने की।

    यह मामला बलरामपुर जिले के ककना गांव के एक परिवार से जुड़ा है, जो अपने 11 माह के बच्चे को जन्म से ही लड़की समझ रहा था, क्योंकि बच्चे के बाहरी जननांग (लिंग और अंडकोष) दिखाई नहीं दे रहे थे।

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    दिल्ली में लिंग विकार का सफल ऑपरेशन

    जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता गया, परिवार की चिंता भी बढ़ती गई। अंततः वे बच्चे को लेकर अंबिकापुर के लेजर हास्पिटल पहुंचे, जहां जांच के दौरान डा योगेंद्र सिंह गहरवार ने तुरंत पहचान लिया कि बच्चा वास्तव में लड़का है, किंतु जन्मजात विकृति के कारण उसका लिंग शरीर के भीतर छिपा हुआ है।

    उन्होंने बच्चे का क्रोमोजोम अध्ययन कराया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि बच्चा जैविक रूप से पुरुष है। अध्ययन रिपोर्ट आने के बाद डाक्टरों ने सर्जरी का निर्णय लिया।आपरेशन की जटिलता को देखते हुए डा गहरवार ने अपने सहयोगी एवं दिल्ली के प्रसिद्ध यूरोलाजिस्ट डा गौतम बंगा को विशेष रूप से बुलवाया।

    दोनों विशेषज्ञों की टीम ने लगभग ढाई घंटे चली सूक्ष्म सर्जरी के माध्यम से बच्चे का सफल आपरेशन किया। सर्जरी के बाद बच्चा पूरी तरह स्वस्थ है और सामान्य जीवन की ओर लौट रहा है।

    ढाई हजार बच्चों के जन्म में एक को होता है: डा योगेंद्र गहरवार

    डा योगेंद्र गहरवार के अनुसार यह एक अत्यंत दुर्लभ जन्मजात स्थिति है, जो लगभग हर ढाई हजार बच्चों में से किसी एक में देखने को मिलती है। इसे हाइपोस्पेडियस के नाम से जाना जाता है । इस विकार में लिंग शरीर की त्वचा और पेशीय संरचना के भीतर दबा रह जाता है, जिससे बाहरी रूप से दिखाई नहीं देता।

    डॉक्टर गौतम बंगा और डा गहरवार ने बताया कि ऐसे विकारों के पीछे कई कारण हो सकते हैं। अक्सर यह समस्या गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल असंतुलन या कुछ दवाओं के सेवन के कारण उत्पन्न होती है।

    उन्होंने माता-पिता से अपील की है कि बच्चे के जन्म के बाद उसके सभी अंगों की सावधानीपूर्वक जांच अवश्य करें और यदि कोई असामान्यता दिखे तो तुरंत विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श लें।

    दोनों डाक्टरों ने कहा कि वर्तमान समय में लेजर तकनीक और उन्नत यूरोलाजी के माध्यम से इस प्रकार के लगभग सभी विकारों का सफल उपचार संभव है।