क्या है Rare Earth Magnets, जिसे लेकर भारत को निशाना बना रहा ड्रैगन? EV की नई लॉन्चिंग पर पड़ सकता है उल्टा असर
अर्थ मैग्नेट की आपूर्ति में बाधा से भारतीय कार कंपनियां प्रभावित हैं पर चीन बेपरवाह है। एसआईएएम के अनुरोध पर भी चीन बात करने को तैयार नहीं है जबकि यूरोपीय देशों और अमेरिका से उसने बात की है। क्रिसिल की रिपोर्ट के अनुसार आपूर्ति बाधित होने से इलेक्ट्रिक वाहनों की लॉन्चिंग और उत्पादन में रुकावट आ सकती है। मारुति सुजुकी की ई-विटारा का उत्पादन प्रभावित होने की आशंका है।

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। अर्थ मैग्नेट की आपूर्ति प्रभावित होने का असर भारत के घरेलू कार कंपनियों पर होने लगा है, लेकिन चीन इसको लेकर बेपरवाह है। चीन की सरकार ना तो भारत सरकार की बात सुन रही और ना ही भारतीय ऑटोमोबाइल कंपनियों की तरफ से उक्त बहुमूल्य धातु के निर्यात पर फैसला कर रही है।
यहां तक कि इस मुद्दे पर बात करने के लिए भारतीय ऑटोमोबाइल कंपनियों के संगठन (एसआईएएम) ने चीन की सरकार से अपनी बात रखने के लिए बैठक की पेशकश की है, लेकिन चीन की तरफ से इसके लिए भी समय नहीं दिया गया है। इस मुद्दे पर चीन ने यूरोपीय देशों और अमेरिका से बात भी कर ली और उन्हें निर्यात शुरू करने की मंजूरी भी दे दी। लेकिन भारत की तरफ से कूटनीतिक स्तर पर मुद्दा उठाने के बावजूद चीन चुप्पी साधे हुए है।
क्रिसिल रेटिंग एजेंसी ने जारी की रिपोर्ट
इस बीच क्रिसिल रेटिंग एजेंसी ने बुधवार को एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें कहा है कि अगर भारतीय कार कंपनियों को रेअर अर्थ मैग्नेट की आपूर्ति एक महीने और बाधित होती है तो यहां इलेक्टि्रक वाहनों की लॉन्चिंग प्रभावित होगी, वाहन उत्पादन प्रभावित होगा और कार उद्योग में शिथिलता आ जाएगी।
चीनी अधिकारियों ने नहीं दिया मिलने का समय
एक पखवाड़े पहले ऑटोमोबाइल कंपनियों की तरफ से कहा गया था कि वह रेअर अर्थ मैग्नेट के निर्यात के रुकने पर चीन के अधिकारियों से मिलने जा रहे हैं। लेकिन एक बड़े अधिकारी ने बताया कि अभी तक हमारी टीम इसलिए नहीं गई है कि हमें वहां किसी अधिकारी ने मिलने का टाइम नहीं दिया है। जबकि यूरोपीय संघ के साथ और अमेरिकी टीम के साथ उनकी बातचीत हो रही है।
भारतीय ऑटोमोबाइल उत्पादन को प्रभावित करने की साजिश
यूरोपीय संघ को उक्त धातु के निर्यात से संबंधित कुछ प्रस्तावों को हरी झंडी भी दिखा दी गई है। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि ऐसा लगता है कि चीन का मकसद भारतीय ऑटोमोबाइल उत्पादन को प्रभावित करने की है। ऐसी सूचना है कि देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी की बहुप्रतीक्षित इलेक्टि्रक कार ई-विटारा का उत्पादन प्रभावित होने जा रही है।
दक्षिण कोरियाई कंपनी हुंडई चूंकि उक्त बहुमूल्य धातु को अपने हेड आफिस से मंगवाती है इसलिए उस पर कोई असर नहीं है। लेकिन टाटा मोटर्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा के उत्पादन पर असर पड़ने की संभावना है। चीन ने अप्रैल, 2025 की शुरुआत में रेअर अर्थ मैग्नेट समेत छह तरह के बहुमूल्य धातुओं के निर्यात पर रोक लगाने का फैसला किया है। इसका निर्यात करने वाली कंपनियों को अपनी सरकार से यह सत्यापित करा कर देना होगा कि वह सैन्य क्षेत्र में इनका इस्तेमाल नहीं करेंगी।
धातु का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक वाहनों में होता है
भारतीय कार कंपनियां इसके लिए तैयार हैं, लेकिन मुसीबत यह है कि यह स्पष्ट नहीं है कि अपने देश में किस सरकारी एजेंसी से सत्यापन कराना है और चीन सरकार की किस एजेंसी को इसे भेजना है। उक्त धातु का इस्तेमाल इलेक्टि्रक वाहनों में काफी होने वाला है। इलेक्टि्रक वाहनों में छोटे लेकिन शक्तिशाली मोटर की जरूरत होती है और इन्हें बनाने में रेअर अर्थ मैग्नेट का इस्तेमाल होता है।
क्रिसिल ने कहा है कि चीन के नये नियम में ऑटोमोबाइल सेक्टर में सप्लाई चेन को काफी प्रभावित करना शुरू कर दिया है। पहले से आयात के ऑर्डर लंबित हैं और इनकी संख्या बढ़ती जा रही है। भारत ने वर्ष 2024-25 में 540 टन रेयर अर्थ मैग्नेट का आयात किया था और इसमें से 80 फीसद चीन से आया था। अभी भारतीय कंपनियों के पास 4-6 हफ्ते का स्टॉक है। अगर यह समस्या लंबा खींचता है तो दोपहिया वाहन और पारंपरिक ईंधन से चलने वाले वाहनों के उत्पादन पर भी असर दिखेगा।
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