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    एलोपैथी पर टिप्पणी मामले में स्वामी रामदेव पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, अपने खिलाफ दर्ज मुकदमों को दी चुनौती

    By Krishna Bihari SinghEdited By:
    Updated: Wed, 23 Jun 2021 11:31 PM (IST)

    एलोपैथी पर टिप्पणी करने के मामले में देश के विभिन्न हिस्सों में दर्ज एफआइआर के खिलाफ स्वामी रामदेव ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने रिट ...और पढ़ें

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    एलोपैथी पर टिप्पणी करने के मामले में एफआइआर के खिलाफ स्वामी रामदेव ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

    नई दिल्ली, जेएनएन। एलोपैथी पर टिप्पणी करने के मामले में देश के विभिन्न हिस्सों में दर्ज एफआइआर के खिलाफ स्वामी रामदेव ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने रिट याचिका दाखिल कर अपने खिलाफ दर्ज मामलों को चुनौती दी है। कहा है कि एक ही चीज के लिए कई केस नहीं दर्ज किए जा सकते। याचिका में मांग है कि पटना और रायपुर में दर्ज मामलों को संलग्न करके एक साथ सुनवाई के लिए दिल्ली स्थानांतरित किया जाए। साथ ही पटना और रायपुर में दर्ज प्राथमिकियों पर लंबित कार्यवाही पर रोक लगाई जाए।

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    पटना और रायपुर में दर्ज हुई थी एफआइआर 

    मई में स्वामी रामदेव का कोरोना इलाज में एलोपैथी डाक्टरों के बारे में दिया गया बयान वायरल होने के बाद इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) और डाक्टरों ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई थी। इसके बाद आइएमए की पटना और रायपुर यूनिट ने स्वामी रामदेव के खिलाफ एफआइआर भी दर्ज करा दी।

    दर्ज मुकदमों का विरोध

    रामदेव ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में एलोपैथी के बारे में की गई टिप्पणी पर दर्ज मुकदमों का विरोध करते हुए कहा है कि यह कानून का तय सिद्धांत है कि एक चीज के लिए अलग-अलग कई एफआइआर नहीं दर्ज हो सकतीं।

    कई राज्य यूनिटों से नोटिस

    स्‍वामी रामदेव का कहना है कि उन्होंने किसी को आहत करने के लिहाज से बयान नहीं दिया था और न ही उनका ऐसा कोई इरादा था। फिर भी उन्होंने बाद में अपने बयान के लिए माफी मांगी थी। इस बारे में स्वास्थ्य मंत्री को भी चिट्ठी लिखी थी। लिहाजा इस बारे में उन पर कोई मामला नहीं बनता। बयान वायरल होने के बाद उन्हें दिल्ली सहित आइएमए की कई राज्य यूनिटों से कानूनी नोटिस भेजे गए और उन्होंने उनका जवाब भी दिया।

    अलग-अलग मुकदमे दर्ज होना ठीक नहीं

    याचिका में कहा गया है कि इसके बावजूद सात जून को पटना आइएमए ने उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई। फिर 17 जून को छत्तीसगढ़ में भी उनके खिलाफ इस मामले में एफआइआर दर्ज कराई गई। इस तरह एक ही चीज के लिए अलग-अलग मुकदमे दर्ज होना ठीक नहीं है। रामदेव ने मांग की कि दोनों मुकदमों को संलग्न करके दिल्ली स्थानांतरित किया जाए और दोनों पर दिल्ली में एक साथ सुनवाई हो।

    आइएमए को बनाया पक्षकार

    याचिका में यह भी कहा गया है कि दिल्ली हाई कोर्ट में पहले से ही आइएमए की ओर से दाखिल वाद (लंबित) है जिस पर 13 जुलाई को सुनवाई होनी है। याचिका में केंद्र, बिहार, छत्तीसगढ़ और आइएमए को पक्षकार बनाया गया है।

    गलत जानकारी फैलाने का आरोप

    आइएमए की छत्तीसगढ़ यूनिट ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि रामदेव ने गलत जानकारी फैलाई है। इसके अलावा एलोपैथी के खिलाफ बोलने और एलोपैथी डॉक्टरों पर टिप्पणी से संबंधित वीडियो वायरल होने पर पटना में रामदेव के खिलाफ दर्ज मामले में इलाज को लेकर भ्रम फैलाने का भी आरोप लगाया गया है।  

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