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    Ram Mandir: 'प्राण प्रतिष्ठा समारोह नए भारत का उदय', मोहन भागवत ने राम मंदिर के लिए हिंदू समाज के संघर्ष का किया उल्लेख

    By Agency Edited By: Mahen Khanna
    Updated: Sun, 21 Jan 2024 11:56 PM (IST)

    Ram Mandir भागवत ने कहा कि भारतवर्ष का पुनर्निर्माण सद्भाव एकता प्रगति शांति और सभी की भलाई के लिए जरूरी है। संघ प्रमुख ने आरएसएस की वेबसाइट पर पोस्ट किए गए एक लेख में अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए हिंदू समाज के निरंतर संघर्ष का उल्लेख किया और कहा कि इस विवाद पर टकराव और कड़वाहट का अब अंत होना चाहिए।

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    Ram Mandir राम मंदिर पर बोले भागवत।

    नई दिल्ली, प्रेट्र। Ram Mandir राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि अयोध्या में रामलला का उनके जन्मस्थान में प्रवेश और मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा समारोह भारतवर्ष के पुनर्निर्माण के अभियान की शुरुआत होगी। इससे नए भारत का उदय होगा।

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    भारतवर्ष का पुनर्निर्माण जरूरी

    भागवत ने कहा कि भारतवर्ष का पुनर्निर्माण सद्भाव, एकता, प्रगति, शांति और सभी की भलाई के लिए जरूरी है। संघ प्रमुख ने आरएसएस की वेबसाइट पर पोस्ट किए गए एक लेख में अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए हिंदू समाज के निरंतर संघर्ष का उल्लेख किया और कहा कि इस विवाद पर टकराव और कड़वाहट का अब अंत होना चाहिए।

    उन्होंने कहा कि वर्षों के कानूनी संघर्ष के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सच्चाई और तथ्यों की पड़ताल करने और मामले में सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद नौ नवंबर, 2019 को फैसला सुनाया।

    भगवान राम सबसे अधिक पूजे जाने वाले देवता

    भागवत ने कहा कि धार्मिक दृष्टिकोण से भगवान राम देश के बहुसंख्यक समाज के सबसे अधिक पूजे जाने वाले देवता हैं और उन्हें आज भी पूरा समाज मर्यादा के प्रतीक के रूप में स्वीकार करता है। उन्होंने कहा कि इसलिए अब इस विवाद को लेकर पक्ष और विपक्ष में जो टकराव पैदा हुआ है, उसे खत्म किया जाना चाहिए। समाज के प्रबुद्ध लोगों को यह देखना होगा कि यह विवाद पूरी तरह खत्म हो।

    राम मंदिर राष्ट्रीय गौरव के पुनर्जागरण का प्रतीक

    भागवत ने कहा कि अयोध्या का अर्थ है एक ऐसा शहर, जहां कोई युद्ध न हो, एक संघर्ष रहित स्थान। इस अवसर पर, पूरे देश में अयोध्या का पुनर्निर्माण समय की मांग है और यह हम सभी का कर्तव्य भी है। आरएसएस प्रमुख ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का अवसर राष्ट्रीय गौरव के पुनर्जागरण का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि यह आधुनिक भारतीय समाज द्वारा श्रीराम के चरित्र के पीछे के जीवन दर्शन की स्वीकृति का भी प्रतीक है।

    भागवत ने कहा कि यह संसार अहंकार, स्वार्थ और भेदभाव के कारण विनाशकारी उन्माद में है और अपने ऊपर अनंत विपत्तियां आमंत्रित कर रहा है। संघ प्रमुख ने कहा कि भारत का इतिहास पिछले डेढ़ हजार वर्षों से आक्रमणकारियों के खिलाफ निरंतर संघर्ष का रहा है।

    इस्लाम के नाम पर हमलों ने समाज का विनाश किया

    भागवत ने कहा कि शुरुआती आक्रमणों का उद्देश्य लूटपाट करना था और कभी-कभी, सिकंदर के आक्रमण की तरह यह उपनिवेशीकरण के लिए होता था, लेकिन इस्लाम के नाम पर पश्चिम से हुए हमलों ने समाज का पूर्ण विनाश किया और इसमें अलगाव पैदा किया। किसी राष्ट्र और समाज को हतोत्साहित करने के लिए उनके धार्मिक स्थलों को नष्ट करना आवश्यक था, इसीलिए विदेशी आक्रांताओं ने भारत में मंदिरों को भी नष्ट किया। उन्होंने ऐसा कई बार किया।

    भागवत ने कहा कि उन आक्रांताओं का उद्देश्य भारतीय समाज को हतोत्साहित करना था, ताकि वे कमजोर समाज वाले भारत पर बेरोकटोक शासन कर सकें। उन्होंने आगे कहा कि अयोध्या में श्रीराम मंदिर का विध्वंस भी इसी इरादे और मकसद से किया गया था। आक्रांताओं की यह नीति सिर्फ अयोध्या या किसी एक मंदिर तक ही सीमित नहीं थी, बल्कि पूरे विश्व के लिए एक युद्ध रणनीति थी।

    राम मंदिर के लिए कई लोगों ने दिए बलिदान

    आरएसएस प्रमुख ने कहा कि भारत में समाज की आस्था, प्रतिबद्धता और मनोबल कभी कम नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि समाज झुका नहीं, उनका प्रतिरोध का संघर्ष जारी रहा। इसलिए भगवान राम के जन्मस्थान पर कब्जा लेने और अयोध्या में मंदिर बनाने के लिए बार-बार प्रयास किए गए। इसके लिए कई युद्ध, संघर्ष और बलिदान हुए और राम जन्मभूमि का मुद्दा हिंदुओं के मन में बस गया।