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    राम गोपाल कोठारी ने नार्थ पोल पर लहराया भारत का परचम, ये था दुनिया का सबसे मुश्किल मैराथन

    Updated: Mon, 15 Sep 2025 10:34 PM (IST)

    कोलकाता के राम गोपाल कोठारी ने उत्तरी ध्रुव पर 42 किलोमीटर की मैराथन पूरी कर इतिहास रचा है। वह ऐसा करने वाले पहले भारतीय हैं। अमेरिका चीन इंग्लैंड समेत 27 देशों के 61 प्रतिभागियों ने इसमें हिस्सा लिया। हड्डी गलाने वाली ठंड और बर्फीली हवाओं के बीच उन्होंने आठ घंटे में यह दौड़ पूरी की।

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    कोलकाता के राम गोपाल ने उत्तरी ध्रुव पर रचा इतिहास (फोटो सोर्स- जेएनएन)

    विशाल श्रेष्ठ, जागरण, कोलकाता। जोखिम उठाने वाले ही इतिहास रचते हैं। कोलकाता के राम गोपाल कोठारी ने इस उक्ति को फिर साबित किया है। पृथ्वी के शीर्ष पर स्थित उत्तरी ध्रुव (नार्थ पोल), जहां जाना तो दूर, लोग इसकी कल्पना तक नहीं करते, राम गोपाल ने वहां आर्कटिक महासागर में जमी बर्फ पर आयोजित हुए दुनिया के सबसे मुश्किल मैराथन में इतिहास रच दिया।

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    वे 42 किलोमीटर लंबा 'नार्थ पोल मैराथन' सफलतापूर्वक पूरा करने वाले पहले भारतीय बने हैं। हड्डी गलाने वाली ठंड, चमड़ी को चीरने वाली बर्फीली हवा, धु्रवीय भालुओं के हमले का जोखिम और बर्फ के दरकने से अनंत गहराई वाले महासागर में समाने के खतरे के बीच उन्होंने अदम्य साहस व अटूट हौसले के साथ आठ घंटे में यह दौड़ पूरी की।

    कितने प्रतिभागियों ने लिया हिस्सा?

    पृथ्वी के बिल्कुल 90 डिग्री कोण पर स्थित जगह पर आयोजित हुए इस मैराथन में अमेरिका, चीन, इंग्लैंड, बेल्जियम समेत 27 देशों के कुल 61 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था। राम गोपाल को उनकी इस उपलब्धि के लिए दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता सम्मानित कर चुकी हैं।

    44 वर्षीय राम गोपाल का अगला लक्ष्य जनवरी, 2026 में आयोजित होने वाली वल्र्ड मैराथन चैंपियनशिप है, जो 'सेवेन सेवेन सेवेन के नाम से भी जाना जाता है। इसके तहत प्रत्येक महाद्वीप में लगातार सात दिन 42-42 किलोमीटर दौडऩा पड़ता है। राम गोपाल का एक और लक्ष्य वर्ष 2027 तक दुनिया के 100 देशों की भी यात्रा पूरी करना है। वे अब तक अमेरिका, इंग्लैंड, जापान, मलेशिया, आइसलैंड, स्वीट्जरलैंड, ग्रीनलैंड समेत 71 देशों की यात्रा चुके हैं। उन्होंने पहली विदेश यात्रा 2012 में मलेशिया की थी।

    यूं पूरा किया दुर्गम अभियान

    कोलकाता के फूलबगान इलाके के रहने वाले राम गोपाल ने बताया-'मैं इस साल तीन जुलाई को कोलकाता से दोहा के लिए निकला। वहां से ओस्लो होते हुए चार तारीख को स्वालबर्ड पहुंचा। 78 डिग्री पर स्थित स्वालबर्ड पृथ्वी के सबसे उत्तर में स्थित अंतिम रिहायशी इलाका है। वहां से मैं बाकी प्रतिभागियों के साथ जहाज से सात जुलाई को छह दिनों की यात्रा कर 12 को उत्तरी ध्रुव पर आर्कटिक महासागर में 90 डिग्री कोण वाली जगह पर पहुंचा।

    उन्होंने आगे कहा, '13 जुलाई की सुबह 8.45 बजे मैराथन शुरू हुआ। उस वक्त कोहरा छाया था और 75 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बर्फीली हवाएं चल रही थीं। तापमान माइनस आठ डिग्री के आसपास था। मैंने कांपते हुए दौड़ शुरू की।

    तीन घंटे बाद धूप निकली तो थोड़ी राहत मिली, हालांकि यह ज्यादा देर तक कायम नही रही। धूप से बर्फ पिघलनी शुरू हो गई, जिससे मेरे पैर बर्फ में धंसने लगे, लेकिन मैं रुका नहीं। मैराथन स्थल पर ध्रुवीय भालुओं के खतरे को देखते हुए 20 बंदूकधारी सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए थे। करीब 50 राउंड पार कर आठ घंटे में मैराथन पूरी करने के बाद मैंने वहां तिरंगा गाड़ा। उस अनुभूति को मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता।

    कोलकाता की सड़कों पर दौड़कर की तैयारी

    पेशे से बीमा व्यवसायी राम गोपाल ने कहा, 'इस तरह के मैराथन का कहीं प्रशिक्षण नहीं होता। मैंने कोलकाता की सड़कों पर दौड़कर तैयारी की। मानसिक रूप से भी खुद को मजबूत किया। मेरा परिवार इसके विरोध में था। कहा कि इस तरह से जान जोखिम डालना बेवकूफी है लेकिन मैंने ठान लिया था। आज परिवार मेरी उपलब्धि पर गर्वित है। मालूम हो कि इस मैराथन की शुरुआत 2023 में हुई थी। गौर करने वाली बात यह है कि इसमें भाग लेने का शुल्क भारतीय मुद्रा में करीब 45 लाख रुपये है।

    जब निकल पड़े थे आत्महत्या करने

    निम्न मध्यवर्गीय परिवार में जन्मे राम गोपाल का जीवन काफी संघर्षपूर्ण रहा है। व्यवसाय में नुकसान, सिर पर कर्ज व एक दिन अचानक नौकरी से निकाल दिए जाने के बाद हताश होकर वह मेट्रो ट्रेन के सामने कूदकर जान देने कोलकाता के चांदनी चौक स्टेशन पहुंच गए थे। जाने से पहले पत्नी क्षिप्रा को मोबाइल पर मैसेज कर इसकी सूचना दे दी थी। पत्नी ने फोन करके काफी समझाया तो आत्महत्या का विचार छोड़ नए सिरे से जिंदगी शुरू की। राम गोपाल आज एक सफल व्यवसायी हैं। परिवार में माता-पिता, पत्नी व दो बेटे हैं।