राज्यसभा चेयरमैन ने IPC, CrPC और एविडेंस एक्ट को बदलने वाले विधेयक को भेजा स्थायी समिति के पास
राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने IPC CrPC और एविडेंस एक्ट की जगह लेने वाले तीन प्रस्तावित कानूनों को जांच के लिए गृह मामलों की स्थायी समिति के पास भे ...और पढ़ें

नई दिल्ली, एजेंसी। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को IPC, CrPC और एविडेंस एक्ट की जगह लेने वाले विधेयकों को जांच के लिए गृह मंत्रालय से संबंधित संसद की स्थायी समिति के पास भेज दिया। धनखड़ ने स्थायी समिति से तीन महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट देने को कहा है।
राज्यसभा सचिवालय ने एक बुलेटिन जारी कर कहा कि लोकसभा अध्यक्ष से परामर्श कर राज्यसभा अध्यक्ष ने 18 अगस्त को तीनों विधेयक संसद की स्थायी समिति के पास भेज दिया।
11 अगस्त को लोकसभा में पेश हुए थे विधेयक
गृह मंत्री अमित शाह ने 11 अगस्त को भारतीय न्याय संहिता विधेयक, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक और भारतीय साक्ष्य विधेयक को लोकसभा में पेश किया था।
संसद से पारित हो जाने के बाद ये विधेयक क्रमश: इंडियन पीनल कोड (IPC), क्रिमिनल प्रोसिजर कोड (CrPC) और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह लेंगे। लोकसभा में विधेयक पेश करते हुए अमित शाह ने कहा था कि ये तीनों विधेयक भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली को बदल देंगे।
शुक्रवार देर रात एक बुलेटिन में राज्यसभा सचिवालय ने कहा, सदस्यों को सूचित किया जाता है कि 18 अगस्त, 2023 को, राज्यसभा के सभापति ने लोकसभा अध्यक्ष के परामर्श से भारतीय न्याय संहिता, 2023 का उल्लेख किया है; भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023, जैसा कि लोकसभा में पेश किया गया और उसमें लंबित है, गृह मामलों पर विभाग-संबंधित संसदीय स्थायी समिति को तीन महीने के भीतर जांच और रिपोर्ट के लिए भेजा जाएगा।
स्थायी समिति में शामिल दोनों सदनों के सदस्य
गृह मामलों पर संसदीय स्थायी समिति राज्यसभा की है और इसमें संसद के दोनों सदनों के सदस्य हैं। भाजपा सदस्य बृजलाल गृह मामलों की स्थायी समिति के अध्यक्ष हैं।
भारतीय न्याय संहिता मौजूदा प्रावधानों में कई बदलावों का प्रावधान करती है, जिसमें मानहानि, आत्महत्या का प्रयास और "धोखेबाज़ तरीकों" का उपयोग करके यौन संबंध बनाने से संबंधित महिलाओं के खिलाफ अपराध के दायरे का विस्तार शामिल है।
इसमें राजद्रोह कानून के नए अवतार में अलगाव, सशस्त्र विद्रोह, विध्वंसक गतिविधियां, अलगाववादी गतिविधियां या संप्रभुता या एकता को खतरे में डालने जैसे नए अपराधों को भी सूचीबद्ध किया गया है।
पहली बार आतंकवाद शब्द को BNS के तहत परिभाषित किया गया है जो IPC के तहत नहीं था।
3 बिल जो पेश किए गए...
- IPC की जगह भारतीय न्याय संहिता 2023 (BNS Law): अपराधों से संबंधित नए प्रावधानों को जोड़ने और संशोधित करने के लिए और उससे जुड़े या उसके आकस्मिक मामलों के लिए।
- CrPc की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 (BNSS): यह बिल सरकार दंड प्रक्रिया से संबंधित कानून में संशोधन करने और उससे जुड़े प्रासंगिक मामलों के लिए ला रही है।
- Evidence Act की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 (BSB) : साक्ष्य के सामान्य नियमों में सुधार और निष्पक्ष सुनवाई के लिए ये बिल लाया जा रहा है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।