पहली बार ऑस्ट्रेलिया दौरे पर जाएंगे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, तीन समझौतों पर होंगे हस्ताक्षर; क्या है पूरा प्लान?
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर ऑस्ट्रेलिया जाएंगे जिसका उद्देश्य द्विपक्षीय रक्षा और रणनीतिक संबंधों को बढ़ावा देना है। 2014 के बाद यह किसी भारतीय रक्षा मंत्री की पहली ऑस्ट्रेलिया यात्रा है। यात्रा के दौरान तीन समझौतों पर हस्ताक्षर होंगे जिनमें सूचना साझा करना और समुद्री सुरक्षा सहयोग शामिल है। दोनों देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र की स्थिति पर भी चर्चा करेंगे।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह गुरुवार से दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर आस्ट्रेलिया जाएंगे। इस दौरान द्विपक्षीय रक्षा और रणनीतिक संबंधों को और विस्तार देने के लिए नई और सार्थक पहलों को भी तलाशेंगे। 2014 में मोदी सरकार के सत्ता संभालने के बाद किसी रक्षा मंत्री की ये पहली आस्ट्रेलिया यात्रा है।
राजनाथ के दौरे पर दोनों पक्षों के बीच तीन समझौतों पर हस्ताक्षर भी करेंगे, जिनसे सूचना साझा करने, समुद्री सुरक्षा संबंधों को बढ़ाने और संयुक्त गतिविधियों के क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। भारत और आस्ट्रेलिया हिंद-प्रशांत क्षेत्र में वर्तमान स्थिति की विस्तृत समीक्षा करेंगे क्योंकि इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य ताकत को लेकर वैश्विक चिंताएं बढ़ रही हैं।
रक्षा मंत्री का ये दौरा ऐतिहासिक- रक्षा मंत्रालय
रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि रक्षा मंत्री का ये दौरा इसलिए भी ऐतिहासिक है क्योंकि भारत-आस्ट्रेलिया व्यापक रणनीतिक साझेदारी (सीएसपी) की स्थापना के पांच साल पूरे हो रहे हैं। इस साल जून में भारत के दौरे पर आए आस्ट्रेलिया के उप प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्लेस ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को आस्ट्रेलिया दौरे के लिए आमंत्रित किया था।
ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष के साथ द्विपक्षीय वार्ता होगी
रक्षा मंत्री की यात्रा का मुख्य आकर्षण उनके ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष के साथ द्विपक्षीय वार्ता होगी। वह सिडनी में एक व्यावसायिक गोलमेज सम्मेलन की अध्यक्षता करेंगे, जिसमें दोनों पक्षों के उद्योग जगत के प्रमुख भाग लेंगे। वह आस्ट्रेलिया के अन्य राष्ट्रीय नेताओं से भी मिलेंगे।
भारत और आस्ट्रेलिया के बीच रक्षा संबंधों में विस्तार
गौरतलब है कि भारत और आस्ट्रेलिया के बीच रक्षा संबंधों में विस्तार हुआ है। इसके तहत सेनाओं के बीच व्यापक संपर्क, सैन्य आदान-प्रदान, उच्च स्तरीय दौरे, क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण कार्यक्रम, समुद्री क्षेत्र में सहयोग, जहाज यात्राएं और द्विपक्षीय अभ्यास शामिल हैं।
(समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)
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