'हमेशा युद्ध जैसी तैयारी होनी चाहिए', राजनाथ सिंह का प्राइवेट सेक्टर से आह्वान; 'मेड इन इंडिया' पर दिया जोर
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना को युद्ध के लिए तैयार रहने को कहा। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को एक केस स्टडी बताया, जिससे भविष्य में सुरक्षा चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी। स्वदेशी उपकरणों से भारत की साख बढ़ी है। सरकार रक्षा विनिर्माण को बढ़ावा दे रही है, जिसका लक्ष्य 'मेड इन इंडिया, मेड फॉर द वर्ल्ड' है। रक्षा उत्पादन में निजी क्षेत्र का योगदान बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है।
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राजनाथ सिंह का प्राइवेट सेक्टर से आह्वान (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने देश के सैन्य बल को हमेशा युद्ध जैसी स्थिति के लिए तैयार रहने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ चार दिन से सैन्य संघर्ष से हमें यही सीखने को मिला है कि सीमाओं पर कभी भी कुछ भी हो सकता है।
राजनाथ ने एक कार्यक्रम में कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भले ही भारत ने पाकिस्तान को जबरदस्त नुकसान पहुंचाया, लेकिन साथ ही साथ ये हमारे लिए एक केस स्टडी भी होनी चाहिए ताकि राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों से भविष्य में निपटने के लिए हम तैयारी कर सकें।
राजनाथ सिंह का बड़ा बयान
उन्होंने कहा कि स्वदेशी सैन्य उपकरणों का प्रभावी इस्तेमाल करके भारत ने क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय साख को मजबूत किया है। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के कारण ऐसी स्थिति में हैं, जहां जहां युद्ध भी हमारे दरवाजे पर दस्तक दे रहा था। हमने मजबूती से प्रतिक्रिया दी और हमारी सेनाएं देश की सीमाओं की रक्षा के लिए पूरी तरह मुस्तैद दिखीं, लेकिन हमें अपना आत्मनिरीक्षण करते रहना होगा।
राजनाथ ने कहा कि हमारी तैयारी हमारे अपने आधार पर होनी चाहिए। रक्षा मंत्री ने कहा कि आज वैश्विक अनिश्चितताएं इस कदर बढ़ गई हैं कि हमें हर क्षेत्र का गहराई से आकलन करते रहना होगा और स्वदेशीकरण ही इन चुनौतियों से निपटने का एकमात्र रास्ता है।
राजनाथ ने कहा कि पहले से चली आ रही वैश्विक व्यवस्था कमजोर पड़ती जा रही है, तमाम क्षेत्रों में युद्ध क्षेत्र बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में भारत के लिए अपनी सुरक्षा और रणनीति को पुनर्परिभाषित करने की जरूरत है। राजनाथ ने कहा कि रक्षा विनिर्माण और घरेलू इकोसिस्टम को मजबूत करने के लिए सरकार समान अवसर प्रदान कर रही है, ऐसे में उद्योग जगत को इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए। हम लगातार इस कोशिश में लगे हैं कि रक्षा उपकरणों को न केवल देश में असेंबल किया जा सके, बल्कि एक वास्तविक विनिर्माण बेस स्थापित किया जा सके, जिसकी भावना 'मेड इन इंडिया, मेड फार द वर्ल्ड' वाली हो।
राजनाथ ने कहा कि बीते दस सालों में हमने काफी प्रगति की है। 2014 में हमारा रक्षा उत्पादन 46 हजार करोड़ का था। आज ये 1.51 लाख करोड़ पहुंच चुका है। इसमें 33 हजार करोड़ का योगदान प्राइवेट सेक्टर का है। हमारा रक्षा निर्यात दस साल पहले 1000 करोड़ का था, जो अब 24 हजार करोड़ पहुंच गया है। मार्च 2026 तक इसके 30 हजार करोड़ पहुंचने की उम्मीद है।
क्या है भारत का लक्ष्य?
समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक, राजनाथ ने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि अगले तीन साल में प्राइवेट सेक्टर के मौजूदा 25 प्रतिशत के योगदान को 50 प्रतिशत तक करने का है। यूएई के थल सेना कमांडर ने ऑपरेशन सिंदूर के बारे में जाना संयुक्त अरब अमीरात के थल सेना कमांडर मेजर जनरल यूसुफ मायौफ सईद अल हल्लामी द्विपक्षीय सैन्य सहयोग बढ़ाने के लिए भारत के दौरे पर हैं।
यहां उन्होंने प्रशिक्षण और क्षमता संवर्धन के क्षेत्रों में सहयोग के नए विकल्पों को भी खंगाला। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि कमांडर हल्लामी को ऑपरेशन सिंदूर के बारे में भी जानकारी दी गई। मंगलवार को वह डीआरडीओ का दौरा करेंगे और विभिन्न स्वदेशी हथियारों और उपकरणों के प्लेटफार्मों से अवगत होंगे।

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