'भारत शांति में विश्वास रखता है लेकिन संप्रभुता से समझौता नहीं...' रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की दो टूक
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि भारत शांति में विश्वास रखता है, लेकिन अपनी संप्रभुता से कोई समझौता नहीं करेगा। उन्होंने देश की सुरक्षा और अखंडता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने यह भी कहा कि भारत शांति का समर्थक है, लेकिन अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए पूरी तरह तैयार है। उनका यह बयान सीमाओं पर चुनौतियों के समय आया है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह। (फाइल)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत शांति और संवाद में विश्वास करता है, लेकिन जब बात देश की संप्रभुता और सुरक्षा की आती है, तो वह ''समझौता'' नहीं करता। उन्होंने कहा कि भारत वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में ''संतुलन और जिम्मेदारी की आवाज'' बन गया है और इंडो-पैसिफिक और ग्लोबल साउथ के देश नई दिल्ली को एक विश्वसनीय साझेदार के रूप में देखते हैं।
रक्षा मंत्री ने शुक्रवार को चाणक्य रक्षा संवाद में कहा, ''भारत की आर्थिक वृद्धि, तकनीकी क्षमताएं और सिद्धांत आधारित विदेश नीति ने इसे बदलते वैश्विक परिदृश्य में संतुलन और जिम्मेदारी की आवाज बना दिया है, जिसमें इंडो-पैसिफिक और ग्लोबल साउथ के देश हमें एक विश्वसनीय साझेदार के रूप में देखते हैं। भारत जिम्मेदारी, रणनीतिक स्वायत्तता और सभ्यतागत मूल्यों में निहित आत्मविश्वास के साथ वैश्विक चर्चाओं को आकार दे रहा है। भारत शांति और संवाद में विश्वास करता है, लेकिन जब बात लोगों की संप्रभुता और सुरक्षा की आती है, तो हम समझौता नहीं करते।''
उन्होंने कहा कि भारत ने वैश्विक विश्वास अर्जित किया है जो कि क्रांतिकारी सुधारों और देशों की संप्रभुता और नियम आधारित व्यवस्था के प्रति उसके लगातार रुख के कारण है। उन्होंने कहा,''लचीलापन अहम है। लचीला भारत वह है जो झटकों को सहन करता है, तेजी से अनुकूलित होता है और आगे बढ़ सकता है। यदि हम रक्षा, अर्थव्यवस्था और समाज में लचीलापन लाते हैं, तो हम पुन: उभरें, पुनर्गठित हों और पहले से अधिक मजबूत बनकर उभरें।''
केंद्रीय मंत्री ने कहा,''हम सुरक्षा और संपर्क को समर्थन देने के लिए सीमा और समुद्री बुनियादी ढांचे को मजबूत कर रहे हैं। हम खरीद प्रक्रियाओं में सुधार कर रहे हैं ताकि गति, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हो। आत्मनिर्भरता के माध्यम से हम एक रक्षा औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण कर रहे हैं जो नवाचार को प्रोत्साहित करता है, उद्योग का समर्थन करता है और बाहरी निर्भरताओं को कम करता है।''
सिंह ने कहा कि भारत स्टार्ट-अप, ''डीप-टेक'' क्षमताओं और अनुसंधान और विकास में निवेश कर रहा है जो भविष्य के युद्धक्षेत्रों को आकार देगा।
(समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ )

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