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    मौत, तू एक कविता है..

    By Edited By:
    Updated: Wed, 18 Jul 2012 04:08 PM (IST)

    नई दिल्ली, जागरण डॉट कॉम। याद कीजिए आनंद का वह संवाद, मौत, तू एक कविता है.। ..और अंतिम वाक्य- आनंद मरा नहीं., आनंद मरा नहीं करते..। आज आनंद चला गया। हमेशा के लिए। पर याद रहेगा हमेशा-हमेशा के लिए। राजेश खन्ना (2

    नई दिल्ली, जागरण डॉट कॉम। याद कीजिए आनंद का वह संवाद, मौत, तू एक कविता है.। ..और अंतिम वाक्य- आनंद मरा नहीं., आनंद मरा नहीं करते..। आज आनंद चला गया। हमेशा के लिए। पर याद रहेगा हमेशा-हमेशा के लिए।

    राजेश खन्ना

    असली नाम : जतिन खन्ना

    जन्म स्थान : अमृतसर

    पहली फिल्म : आखिरी खत (1966)

    पहली हिट : आराधना (1969)

    फिल्मफेयर : 1970 में पहला (सच्चा झूठा), कुल तीन, चौदह बार नॉमिनेट

    सफलतम वर्ष : 1971 (कटी पतंग, आनंद, आन मिलो सजना, महबूब की मेंहदी, हाथी मेरे साथी और अंदाज)

    स्टेटस : भारतीय सिनेमा के पहले सुपरस्टार

    लोकप्रिय नाम : काका

    हिट जोड़ी : शर्मिला टैगोर, मुमताज के साथ

    गाने : किशोर कुमार ने दी आवाज

    संगीत : आरडी बर्मन ने दिया संगीत

    सबसे हिट गाना : मेरे सपनों की रानी..(आराधना)

    शादी : डिंपल कपाडिय़ा से 1973 में

    संतान : दो बेटिया (ट्विंकल, रिंकी)

    अफेयर : अंजू महेंद्रू, टीना मुनीम से

    शौक : महंगी कारें, मुजरा

    राजनीति : 1991-96 काग्रेस से लोकसभा सासद

    सिर चढ़ कर बोला जादू

    बॉलीवुड के पहले सुपर स्टार राजेश खन्ना का जादू 70-80 में सिनेप्रेमियों के सिर चढ़ कर बोला। खास तौर पर लड़किया उनकी जबर्दस्त प्रशसक रहीं। काका के नाम से मशहूर राजेश ने दो दशक तक भारतीय सिनेमा पर राज किया। एक के बाद एक कई सुपरहिट फिल्में उनके खाते में दर्ज हुईं और उनकी लोकप्रियता ने नया आयाम बनाया। राजेश का अपना अलग ही अंदाज रहा। उन्होंने अपनी बेमिसाल और सरल अदाकारी के बूते उस समय के दिग्गज कलाकारों को बहुत पीछे छोड़ दिया। बाद में अमिताभ बच्चन भारतीय सिनेमा के दूसरे सुपरस्टार हुए और काका के उत्ताराधिकारी बने।

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    जतिन से राजेश तक

    जिसे दुनिया राजेश खन्ना के नाम से जानती है, उनका असली नाथ था जतिन खन्ना। 29 दिसंबर, 1942 को पंजाब के अमृतसर में जन्मे जतिन को बचपन से ही अभिनय में दिलचस्पी थी। हालाकि उनके परिवार को यह बात रास नहीं आती थी। लेकिन उन्होंने अपने दिल की सुनी। परिवार की मर्जी के खिलाफ अभिनय को अपना करियर बनाने की ठान ली। 1960 में मुंबई चले आए और संघर्ष शुरू कर दिया। 1965 में मुंबई में युनाइटेड प्रोड्यूसर्स और फिल्मफेयर ने एक टैलेंट हंट आयोजित किया था। जतिन ने इसमें भाग लिया और फाइनल में दस हजार में से चुने गए। इसके बाद उन्हें रोल मिलने लगे। 1966 में 24 बरस की उम्र में उन्हें आखिरकार अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिल ही गया। फिल्म का नाम था आखिरी खत। इस फिल्म के बाद उन्हें कुछ फिल्मों में और काम मिला। इनमें बहारों के सपने और औरत शामिल थीं। फिल्में मिलने लगी थीं, काम लोगों का पसंद आने लगा था, लेकिन कोई भी फिल्म सफलता दर्ज करने में कामयाब नहीं हो रही थी। हा इतना जरूर था कि कल का जतिन जतन कर एक्टर राजेश खन्ना बन गया था।

    रंग लाई आराधना

    अभिनय के प्रति राजेश की अटूट आराधना रंग लाई। 1969 में आई उनकी फिल्म आराधना ने जबर्दस्त सफलता दर्ज की। राजेश खन्ना अब भारतीय सिनेमा के उभरते स्टार बन गए। उनकी भोली सूरत, बोलकी आखें, दिलकश अंदाज और डायलॉग डिलेवरी का अपना एक अलग अंदाज, लोगों को बहुत पसंद आया। वह युवा दिलों की धड़कन बन गए। लड़किया मानो उन पर मर मिटने को तैयार थीं। देवानंद के बाद लड़कियों में यदि किसी का इतना जबर्दस्त क्त्रेज था तो वो थे राजेश खन्ना। आराधना में शर्मिला टैगोर के साथ उनकी जोड़ी हिट हुई।

    रिकॉर्ड तोड़ सफलता

    आराधना ने राजेश की कामयाबी को मानो पंख दे दिए थे। इस फिल्म के बाद अगले चार साल में उन्होंने खुद को सुपर स्टार के रूप में स्थापित कर लिया था। इन चार साल में उनकी लगातार 15 हिट फिल्में आईं। भारतीय सिनेमा के इतिहास में ऐसी ताबड़तोड़ सफलता इससे पहले किसी अभिनेता को नसीब नहीं हुई थी। राजेश जिस सहजता और संवेदनशीलता के साथ भावपूर्ण दृश्यों में अभिनय करते थे, वो उन्हें बेमिसाल अभिनेता साबित करती थी। आनंद फिल्म में किया गया उनका अभिनय उन्हें सदा के लिए अमर बना गया।

    71 में 6 सुपरहिट

    राजेश खन्ना को 1970 में सच्चा-झूठा के लिए पहला फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला। 1971 एक ऐसा साल रहा, जो भारतीय सिनेमा में मील का पत्थर साबित हुआ। राजेश खन्ना ने एक के बाद एक छह सुपरहिट फिल्में दीं। कटी पतंग, आनंद, आन मिलो सजना, महबूब की मेंहदी, हाथी मेरे साथी और अंदाज। इसके बाद भी हिट फिल्मों का दौर जारी रहा। इनमें दो रास्ते, दुश्मन, बावर्ची, मेरे जीवन साथी, जोरू का गुलाम, अनुराग, दाग, नमक हराम और हमशक्ल जैसी फिल्में शामिल थीं। राजेश को आनंद में यादगार अभिनय के लिए 1971 में लगातार दूसरी बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर अवॉर्ड दिया गया। तीन साल बाद उन्हें आविष्कार फिल्म के लिए भी यह पुरस्कार प्रदान किया गया। 2005 में फिल्मफेयर ने उन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया।

    शर्मिला और मुमताज से साथ हिट रही जोड़ी

    राजेश की जोड़ी शर्मिला टैगोर और मुमताज के साथ सुपरहिट रही। उन्होंने शर्मिला के साथ आराधना, सफर, बदनाम फरिश्ते, छोटी बहू, अमर प्रेम, राजा-रानी और आविष्कार में काम किया। यह सभी फिल्में हिट रहीं। वहीं मुमताज के साथ उन्होंने दो रास्ते, बंधन, सच्चा-झूठा, दुश्मन, अपना देश, आपकी कसम, रोटी तथा प्रेम कहानी में जोड़ी बनाई, जो कामयाब रही।

    किशोर ने दी आवाज

    राजेश की फिल्मों की सफलता में फिल्म के संगीत ने भी बड़ी भूमिका निभाई। संगीतकार आरडी बर्मन ने उनकी अधिकाश फिल्मों को संगीत दिया। वहीं उन्हें आवाज दी किशोर कुमार ने। राजेश की लगभग सभी फिल्मों में गाने किशोर ने ही गाए। इनमें एक से बढ़कर एक सदाबहार गाने शामिल हैं। बाद में राजेश के उत्ताराधिकारी बने अमिताभ के गाने भी किशोर ने ही गाए।

    खेली दूसरी पारी

    80 के दशक के अंत-अंत में राजेश की पहली पारी का अंत हुआ। जंजीर और शोले जैसी एक्शन फिल्मों की सफलता और अमिताभ बच्चन के उदय ने राजेश खन्ना की लहर को थाम लिया। लोग एक्शन फिल्में पसंद करने लगे और 1975 के बाद राजेश की कई रोमाटिक फिल्में असफल रही। राजेश ने उस समय कई महत्वपूर्ण फिल्में ठुकरा दी, जो बाद में अमिताभ को मिली। यही फिल्में अमिताभ के सुपरस्टार बनने की सीढिय़ा साबित हुईं। यही राजेश के पतन का कारण बना। 1994 में उन्होंने अपनी दूसरी पारी शुरू की। 94 में खुदाई, 99 में आ अब लौट चलें, 2002 में क्या दिल ने कहा और अंत में वफा सिनेमाघरों में आई। पिछले दिनों उनका एक टीवी विज्ञापन भी आया। पंखों (फैन) के इस विज्ञापन में वे कहते हैं, मेरे फैन कभी कम नहीं हो सकते..।

    राजनीति में भी कूदे

    राजेश ने राजनीति में हाथ आजमाया और 1991 से 1996 में दिल्ली से काग्रेस के लोकसभा सासद रहे। राजीव गाधी के कहने पर राजेश ने काग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा और जीते। एक चुनाव हारे भी। लालकृष्ण आडवाणी से हारे और शत्रुघ्न सिन्हा को हराया। बाद में उन्होंने राजनीति से खुद को दूर कर लिया।

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