शादी के बाद राजस्थान आने वाली महिलाएं EWS सर्टिफिकेट की हकदार, हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
राजस्थान उच्च न्यायालय ने कहा कि दूसरे राज्य से शादी करके राजस्थान आने वाली महिलाएं ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र की हकदार हैं। जस्टिस मुन्नुरी लक्ष्मण की पीठ ने हनुमानगढ़ की पूनम की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। अदालत ने अधिकारियों को पूनम के ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र के आवेदन पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपने एक फैसले में स्पष्ट किया है कि दूसरे राज्य से विवाह के बाद राजस्थान आने वाली महिलाएं ईडब्ल्यूएस ( आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग ) प्रमाण-पत्र की हकदार हैं । जस्टिस मुन्नुरी लक्ष्मण की एकल पीठ ने हनुमानगढ़ के टिब्बी निवासी पूनम की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया।
दरअसल, मूलतया हरियाणा की पूनम का विवाह राजस्थान के हनुमानगढ़ टिब्बी निवासी पवन कुमार से हुआ था । पूनम ने अपने लिए ईडब्ल्यूएस प्रमाण-पत्र के लिए आवेदन किया था लेकिन अधिकारियों ने उनका आवेदन खारिज कर दिया। अधिकारियों का कहना था कि उसके पास अन्य पिछड़ा वर्ग ( ओबीसी ) का प्रमाण- पत्र हरियाणा राज्य से जारी हुआ था। पूनम ने इसे राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी।
कोर्ट ने दिए पुनर्विचार के निर्देश
मामले में जस्टिस मुन्नुरी लक्ष्मण की कोर्ट ने सुनवाई करते हुए ऐसे ही मामले के तथ्य ( सुनीता रानी बनाम राजस्थान राज्य एवं अन्य ) के समान बताया , जिसमें 26 मई को दिया गया था। इसी आधार पर कोर्ट ने प्रतिवादी सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग कार्मिक विभाग सचिव , हनुमानगढ़ कलेक्टर, टिब्बी उपखंड अधिकारी और अन्य को निर्देश दिया कि वे याचिकाकर्ता की ओर से किए गए ईडब्ल्यूएस प्रमाण-पत्र के आवेदन पर पुनर्विचार करें।
महिला को प्रमाण-पत्र जारी किया जाए- HC
यदि पूनम ईडब्ल्यूएस प्रमाण-पत्र जारी करने के लिए निर्धारित अन्य सभी शर्तों को पूरा करती हैं तो उन्हें चार सप्ताह की अवधि में कानून के अनुसार प्रमाण-पत्र जारी किया जाए।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पहले आवेदन को खारिज कर देने से सक्षम प्राधिकारी को आवेदन पर फिर से विचार करने से रोका नहीं जा सकेगा। कोर्ट ने माना कि याचिकाकर्ता विवाह के बाद राजस्थान राज्य में निवासरत है केवल इस आधार पर ईडब्ल्यूएस प्रमाण-पत्र देने से मना करना गलत था कि उसके पास हरियाणा का ओबीसी प्रमाण पत्र था ।
याचिकाकर्ता ने सामान्य वर्ग के उम्मीदवार के रूप में ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया था। याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट सुनील बिश्नोई व राहुल मंडन ने तथा राज्य सरकार की ओर से सरकारी वकील एसआर पालीवाल ने पैरवी की।
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