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    हाईवे पर शराब की दुकानों को लेकर हाईकोर्ट सख्त, सरकार को दो महीने में हटाने के आदेश जारी

    Updated: Thu, 27 Nov 2025 12:35 AM (IST)

    जस्टिस डॉ. पुष्पेंद्र सिंह भाटी और जस्टिससंजीत पुरोहित की खंडपीठ ने हाई-वे के 500 मीटर के दायरे में चल रहे सभी शराब के ठेकों हो हटाने के आदेश के साथ ही कहा कि सरकार ने म्युनिसिपल एरिया की आड़ में हाई-वे को 'लिकर- फ्रेंडलीकॉरिडोर' बना दिया है, जिसे अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। 

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    राजस्थान में हाईवे पर शराब की दुकानों को लेकर हाईकोर्ट सख्त (सांकेतिक तस्वीर)

    जागरण संवाददाता, जोधपुर। राजस्थान में नेशनल और स्टेट हाई-वे के किनारे चल रहे शराब के ठेकों को लेकर हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए इन शराब के ठेकों को 2 महीने के भीतर हटाने का निर्देश दिया है।

    जस्टिस डॉ. पुष्पेंद्र सिंह भाटी और जस्टिस संजीत पुरोहित की खंडपीठ ने हाई-वे के 500 मीटर के दायरे में चल रहे सभी शराब के ठेकों हो हटाने के आदेश के साथ ही कहा कि सरकार ने म्युनिसिपल एरिया की आड़ में हाई-वे को 'लिकर- फ्रेंडली कॉरिडोर' बना दिया है, जिसे अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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    कोर्ट ने स्पष्ट किया कि चाहे ये ठेके नगरपालिका या शहरी सीमा में ही क्यों न आते हों, अगर ये हाई-वे पर है, तो इन्हें हटाना ही होगा। यह फैसला प्रदेश में बढ़ते सड़क हादसों और 'ड्रिंक एंड ड्राइव' के मामलों को देखते हुए दिया गया है।

    राज्य सरकार के अनुसार प्रदेश में कुल 7665 शराब की दुकानों में से 1102 दुकानें नेशनल और स्टेट हाई-वे पर है। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार ने 'नगरपालिका क्षेत्र' की आड़ में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का मजाक बना दिया है।

    सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए स्वीकार किया कि प्रदेश में कुल 7665 शराब की दुकानें है। यह भी बताया कि इन 1102 दुकानों से राज्य को सालाना करीब 2221.78 करोड़ रुपये का भारी-भरकम राजस्व मिलता है।

    हाई कोर्ट ने सरकार की इस दलील को सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का मजाक बना दिया गया है। कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 21 के तहत लोगों की जान की सुरक्षा सर्वोपरि है।