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    चीन कैसे अपने पड़ोसियों पर डाल रहा दबाव, रायसीना डायलॉग में नाटो महासचिव ने दिलाया ध्यान

    By Arun Kumar SinghEdited By:
    Updated: Wed, 14 Apr 2021 10:42 AM (IST)

    उन्होंने कहा भारत की हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका है। साथ ही यह एक महत्वपूर्ण और सक्रिय अंतरराष्ट्रीय हितधारक भी है। आप संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों के लिए सबसे बड़े सैन्य योगदानकर्ताओं में से एक हैं। वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य हैं।

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    'रायसीना डायलॉग' में नाटो के महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग

    नई दिल्ली, प्रेट्र। नाटो के महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने क्षेत्र में पड़ोसियों पर दबाव डालने और दक्षिण चीन सागर में नौवहन की स्वतंत्रता में बाधा उत्पन्न करने के चीन के कदमों की ओर मंगलवार ध्यान आकृष्ट किया और कहा कि ट्रांस अटलांटिक सैन्य गठबंधन चीन के चलते उत्पन्न सुरक्षा प्रभावों का मुकाबला करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है। स्टोलटेनबर्ग ने 'रायसीना डायलॉग' में अपने ऑनलाइन संबोधन में यह भी कहा कि भारत की हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि नाटो के लिए एक एकीकृत सैन्य सहयोग का हिस्सा बने बिना देश के साथ अलग-अलग तरीके से काम करने की काफी संभावनाएं है।

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    उन्होंने कहा, 'भारत की हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका है। साथ ही यह एक महत्वपूर्ण और सक्रिय अंतरराष्ट्रीय हितधारक भी है। आप संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों के लिए सबसे बड़े सैन्य योगदानकर्ताओं में से एक हैं। वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य हैं। आप 2023 में जी20 का अध्यक्ष पद संभालेंगे। उन्होंने कहा कि भारत वास्तव में वैश्विक परिदृश्य में मायने रखता है।'उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) 30 यूरोपीय और उत्तर अमेरिकी देशों के बीच एक अंतर-सरकारी सैन्य गठबंधन है।

    उन्होंने उल्लेख किया कि चीन का उदय एक परिभाषित वैश्विक मुद्दा है, जिसके सभी के लिए निहितार्थ हैं। उन्होंने चीन के उदय से कई अवसर भी बनेंगे। उन्होंने कहा किया कि चीन ने करोड़ों लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है, आर्थिक विकास और समृद्धि लाया है और वह नाटो के कई देशों के लिए एक महत्वपूर्ण व्यापार और निवेश भागीदार है।

    स्टोलटेनबर्ग ने कहा कि चीन की अर्थव्यवस्था जल्द ही दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगी, यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का एक स्थायी सदस्य है और इसलिए यह हमारे समय के मुद्दों- वैश्विक शासन से अंतरराष्ट्रीय व्यापार और जलवायु परिवर्तन तक-से निपटने में सहायक है। 

    उन्होंने कहा, 'यही कारण है कि नाटो में हम चीन के साथ संलग्न हैं। अतीत में हमने सोमालिया के तट पर समुद्री जलदस्यु समस्या से मुकाबले में सहयोग किया है। ऐसे क्षेत्र हैं जहां चीन हमारे पारस्परिक लाभ के लिए रचनात्मक भूमिका निभा सकता है। अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता से से लेकर हथियार नियंत्रण व्यवस्था पर वार्ता तक।' उन्होंने कहा, 'लेकिन हमें चीन के उदय के साथ आने वाली चुनौतियों के बारे में स्पष्ट होना चाहिए।'