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इंदिरा गांधी से पीएम मोदी तक, किसी के राज में नहीं बना इसका मृत्यु प्रमाण पत्र

जिला प्रशासन की लापरवाही की वजह से बलौदा बाजार जिले का एक परिवार पिछले 42 सालों से मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए दर-दर की ठोकर खा रहा है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 17 Feb 2018 04:03 PM (IST)Updated: Sat, 17 Feb 2018 04:27 PM (IST)
इंदिरा गांधी से पीएम मोदी तक, किसी के राज में नहीं बना इसका मृत्यु प्रमाण पत्र
इंदिरा गांधी से पीएम मोदी तक, किसी के राज में नहीं बना इसका मृत्यु प्रमाण पत्र

रायपुर (जेएनएन)। इंदिरा गांधी के समय मौत हुई और नरेंद्र मोदी के कार्यकाल तक मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं बन पाया। जिला प्रशासन की लापरवाही की वजह से बलौदा बाजार जिले का एक परिवार पिछले 42 सालों से मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए दर-दर की ठोकर खा रहा है।

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मृत्यु प्रमाण पत्र न बनने की वजह से उसकी 8 एकड़ की पुश्तैनी जमीन पर उनको मालिकाना हक नहीं मिल पाया और रिश्तेदारों ने मिलकर जमीन बेच दी। पीड़ित आज भी मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए रायपुर और बलौदाबजार जिले केचक्कर काट रहा है।

पीड़ित हीरामणि निवासी कसहीडीह, पोस्ट हिरमी जिला बलौदाबाजर ने बताया कि उनके ससुर जुगुत राम सतनामी पिता सुकालु सतनामी की 17 जून 1974 को मौत हुई थी । ग्राम कोटवार के माध्यम से मौत की सूचना संबंधित विभाग को दे दी गई थी । दो साल पहले उनके रिश्तेदार ने पैतृक जमीन को बेच दिया।

उसके बाद से कुछ पैतृक जमीन पर खदान का काम चल रहा है। जब इन्होंने मुआवजे की मांग की तो इनको मृत्यु प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने कहा गया। तब पता चला कि जमीन में उनका नाम ही नहीं चढ़ा है। उसके बाद मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए आवेदन लगाया, लेकिन अब तक नहीं बन पाया। प्रमाण पत्र न बन पाने की वजह से परिवार वालों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

इसलिए आ रही दिक्कत

जिला प्रशासन के अधिकारी ने बताया कि 1 जनवरी 2012 को रायपुर जिले से अलग कर गरियाबंद और बलौदाबाजार जिला बनाया है। इससे पहले दोनों जिले रायपुर के अंतर्गत आते थे। इसकी वजह से सभी प्रशासनिक कार्य रायपुर जिले में होते थे।

2012 से सभी गरियाबंद और बलौदाबाजार स्वतंत्र रुप से अपना प्रशासनिक कार्य शुरू कर दिए। रायपुर से दोनों नए जिलों का रिकॉर्ड बना दिया गया। गरियाबंद जिला प्रशासन ने अपने जिले के पुराने दस्तावेज को लेकर चले गए, लेकिन बलौदाबाजार जिला प्रशासन का1994 से पुराने दस्तावेज रायपुर में ही पड़े हैं। इसकी वजह से पब्लिक दस्तावेज के रायपुर के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं, इसका खुलासा तब हुआ जब नईदुनिया ने पड़ताल किया।

दो साल पहले हुआ खुलासा

मृत्यु प्रमाण पत्र एक दस्तावेज होता है, जिसे मृत व्यक्ति के निकटतम रिश्तेदारों को जारी किया जाता है। इसमें मृत्यु की तारीख रहती है। समय और तारीख का प्रमाण देने, व्यक्ति को सामाजिक, न्यायिक और सरकारी बाध्यताओं से मुक्त करने के लिए, मृत्यु के तथ्य को प्रमाणित करने के लिए सम्पत्ति संबंधी धरोहर के विवादों को निपटाने के लिए और परिवार को बीमा एवं अन्य लाभ जमा करने के लिए प्राधिकृत करने के लिए मृत्यु का पंजीकरण करना अनिवार्य है।

21 दिन के भीतर कराना है मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए आवेदन

मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए आवेदन करने के लिए आपको पहले मृत्यु का पंजीकरण करना है। मृत्यु का पंजीकरण संबंधित प्राधिकारी के पास इसके होने के 21 दिनों के भीतर पंजीयक द्वारा निर्धारित प्रपत्र भर कर किया जाना है। तब सत्यापन के बाद मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किया जाता है। यदि मृत्यु होने के 21 दिन के भीतर इसका पंजीकरण नहीं किया जाता है तो पंजीयक क्षेत्र मजिस्ट्रेट से निर्धारित शुल्क के साथ बनवाया जा सकता है।

मृत्यु प्रमाण पत्र सरपंच जारी करता है। अगर सरपंच नहीं जारी कर रहा है, जनपद में जाकर अपना प्रमाण पत्र लें, वहीं से मिलेगा। शासन ने जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र देने का काम सरपंच को दे दिया है। अगर सरपंच नहीं बना के दे रहा है तो रेवेन्यू एसडीएम से शिकायत करें। - पीएस एल्मा, अपर कलेक्टर रायपुर 


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