इलेक्ट्रिक इंजन निर्माण पर कांग्रेस के आरोपों पर रेलवे ने दिया जवाब, कहा- आरोप तथ्यहीन और भ्रामक
भारतीय रेलवे ने 9000 एचपी इलेक्ट्रिक इंजनों के निर्माण के ठेके में कांग्रेस के पक्षपात के आरोपों को खारिज किया है। रेलवे ने स्पष्ट किया कि निविदा प्रक्रिया पूर्णतः पारदर्शी थी, जिसमें केवल दो वैश्विक कंपनियों ने भाग लिया और सबसे कम बोली लगाने वाली कंपनी को ठेका दिया गया। रेलवे ने गुणवत्ता, आत्मनिर्भरता और पारदर्शिता पर जोर दिया, साथ ही बताया कि 89% से अधिक घटक 'मेक इन इंडिया' के तहत भारत में बने हैं।

भारतीय रेलवे ने कांग्रेस के आरोपों का दिया जवाब (फाइल फोटो)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। रेलवे द्वारा 9000 हार्सपावर (एचपी) वाले अत्याधुनिक इलेक्ट्रिक इंजनों के निर्माण को लेकर कांग्रेस के लगाए गए आरोपों को रेलवे ने खारिज किया है। रेलवे की ओर से कहा गया है कि कांग्रेस के आरोप तथ्यहीन और भ्रामक हैं।
रेलवे ने यह भी स्पष्ट किया है कि हमारा पूरा जोर गुणवत्ता, आत्मनिर्भरता और पारदर्शिता पर है। इससे यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी और देश की औद्योगिक क्षमता भी बढ़ेगी। कांग्रेस की ओर से पूर्व सांसद बिजेंद्र सिंह ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर गलत तरीके से विदेशी कंपनियों को ठेका देने का आरोप लगाया था।
किन कंपनियों ने लिया भाग
इसके जवाब में रेल मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि निविदा प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और नियमों के अनुरूप है। मंत्रालय की ओर से बयान जारी कर कहा गया है कि 9000 एचपी इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव के निर्माण की निविदा अत्यंत पारदर्शी तरीके से संपन्न हुई है, जिसमें वैश्विक स्तर पर सिर्फ दो कंपनियां, अलस्टाम और सीमेंस ने भाग लिया है। इन दोनों के पास इस श्रेणी के इंजन बनाने की क्षमता है।
रेलवे ने कहा है कि निविदा से पहले अधिकारियों की एक विशेषज्ञ टीम ने तकनीकी और वित्तीय प्रक्रिया जांच की। दोनों कंपनियां तकनीकी तौर पर समर्थ पाई गईं। इसके बाद रेलवे के नियमों के अनुरूप सबसे कम दर देने वाली कंपनी को ही ठेका दिया गया।
रेलवे ने किया स्पष्ट
दोनों कंपनियां दशकों से भारतीय रेलवे के साथ काम कर रही हैं। इसलिए न तो पक्षपात हुआ और नही रेलवे के हितों से समझौता किया गया है। रेलवे ने कहा कि यह प्रतिस्पर्धी दर पर ठेका है, जिसमें निविदा शर्तों में कोई परिवर्न नहीं किया गया है। रेलवे की ओर से यह भी स्पष्ट किया गया कि निविदा प्रक्रिया में रेल मंत्री की कोई भूमिका नहीं है। सारे निर्णय रेलवे बोर्ड के तकनीकी एवं वित्तीय विशेषज्ञों ने लिए हैं।
दाहोद में बन रहे इंजनों में लगभग 89 प्रतिशत से अधिक कंपोनेंट भारत में बने हैं। इससे 'मेक इन इंडिया' को भी प्रोत्साहन मिल रहा है। दाहोद में बने इन इंजनों का मेंटेनेंस देश के चार प्रमुख डिपो, विशाखापट्टनम, रायपुर, खड़गपुर और पुणे किया जाएगा।
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