फेक वीडियो शेयर करने वालों पर रेलवे की सख्ती, यात्रियों में भ्रम पैदा करने का आरोप; FIR दर्ज
त्योहारों के दौरान रेलवे से जुड़े पुराने और भ्रामक वीडियो साझा करने वालों के खिलाफ रेलवे ने सख्ती दिखाई है। रेलवे ने 20 से अधिक मामलों की पहचान कर एफआईआर दर्ज कराई है। ये वीडियो पिछले वर्षों के हैं, जिन्हें वर्तमान त्योहारी सीजन की भीड़ से जोड़कर प्रसारित किया जा रहा है। रेलवे मंत्रालय ने फेक वीडियो के माध्यम से रेलवे की छवि धूमिल करने वालों को बख्शने की चेतावनी दी है और यात्रियों से अफवाहों से सावधान रहने का आग्रह किया है।

पुराने वीडियो के माध्यम से रेलवे की छवि धूमिल करने की कोशिश (प्रतीकात्मक तस्वीर)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। त्योहारों के दौरान इंटरनेट मीडिया पर रेलवे से जुड़े पुराने एवं भ्रामक वीडियो शेयर कर अफ़वाह फैलाने वालों के विरुद्ध रेलवे ने स़ख्ती दिखाई है। पिछले चार दिनों में रेलवे ने अपने इंटरनेट मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर 20 से अधिक मामलों की पहचान कर उन्हें पुराना और भ्रामक बताते हुए सार्वजनिक किया है।
इन मामलों में एफआईआर दर्ज भी कर ली गई है। जांच में पता चला कि साझा किए गए वीडियो पिछले वर्षों के हैं, जिन्हें वर्तमान त्योहारी सीजन की भीड़ से जोड़कर प्रसारित किया जा रहा था, ताकि यात्रियों में भ्रम और भय पैदा किया जा सके। रेलवे मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि ऐसे किसी भी व्यक्ति और समूह को बख्शा नहीं जाएगा जो फेक या पुराने वीडियो के माध्यम से रेलवे की छवि धूमिल करने की कोशिश करेगा।
राजनीतिक लाभ के लिए शेयर करने का आरोप
रेलवे का कहना है कि कई फेक हैंडल्स केवल व्यूज और राजनीतिक लाभ के लिए भ्रामक वीडियो साझा कर रहे हैं, जबकि इस तरह की शिकायतें रेलवे के आधिकारिक माध्यमों पर दर्ज नहीं की गई हैं। रेलवे ने यात्रियों से ऐसे किसी भी संदेहास्पद या भ्रामक पोस्ट की सत्यता की पुष्टि आधिकारिक चैनलों से करने और अफवाह फैलाने वालों से सावधान रहने का आग्रह किया है।
रेलवे ने बताया कि ऐसे मामलों में रेलवे अधिनियम की धारा 145(बी) के तहत कार्रवाई की जा रही है, जिसके तहत दोषियों को छह महीने तक की सजा हो सकती है। मंत्रालय ने कहा कि यह कदम इंटरनेट मीडिया पर चल रहे दुष्प्रचार के प्रति जीरो टालरेंस नीति का हिस्सा है, ताकि यात्रियों तक सुरक्षित और पारदर्शी जानकारी पहुंच सके।
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