धनतेरस से पहले किसानों की बल्ले-बल्ले, ये है मोदी सरकार का मास्टर प्लान; 15 दिन तक चलेगा अभियान
रबी मौसम में 16 हजार कृषि विज्ञानियों को खेतों तक ले जाने की तैयारी है जिसकी 3 अक्टूबर से होगी और समापन धनतेरस को होगा। इससे पहले 15-16 सितंबर को कृषि सम्मेलन होगा जिसमें कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान राज्यों के मुख्यमंत्रियों को आमंत्रित करेंगे। यह विकसित कृषि संकल्प अभियान का दूसरा चरण है जिसका उद्देश्य किसानों को नवीनतम तकनीकों और सरकारी योजनाओं से अवगत कराना है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। खरीफ की तरह रबी मौसम में भी 16 हजार कृषि विज्ञानियों को लैब से निकालकर खेतों तक ले जाने की तैयारी है। इसकी शुरुआत दुर्गापूजा के तुरंत बाद तीन अक्टूबर से की जाएगी, जो 15 दिनों तक चलेगा और समापन धनतेरस (18 अक्टूबर) को होगा।
अभियान शुरू करने से पहले 15 एवं 16 सितंबर को नई दिल्ली में दो दिवसीय कृषि सम्मेलन का आयोजन होगा, जिसमें कृषि मंत्रियों एवं वरिष्ठ अधिकारियों को आमंत्रित किया जाएगा। इसमें भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर आग्रह करेंगे।
विकसित कृषि संकल्प अभियान का दूसरा चरण
विकसित कृषि संकल्प अभियान का यह दूसरा चरण होगा। पहले चरण में खरीफ मौसम में 29 मई से 12 जून के बीच किसानों को नवीनतम कृषि तकनीकों और विभिन्न सरकारी योजनाओं से अवगत कराने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर यह अभियान चलाया गया था, जिसमें देश भर के सात सौ जिलों के डेढ़ करोड़ किसानों तक कृषि विज्ञानियों की टीम पहुंची थी।
प्राकृतिक खेती, ड्रोन एवं उन्नत बीज पर चर्चा
15 दिनों तक चले इस अभियान में कृषि चर्चा, प्राकृतिक खेती, ड्रोन एवं उन्नत बीज आदि की जानकारी दी थी। किसानों के अनुभव एवं उनकी चुनौतियों को प्रत्यक्ष संवाद के जरिए समझकर भविष्य की नीति निर्माण में मार्गदर्शन किया था। हालांकि खरीफ मौसम के दौरान चलाए गए इस अभियान का परिणाम तो कुछ दिन बाद दिखेगा, लेकिन बुआई क्षेत्र में व्यापक वृद्धि हुई है।
किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी- कृषि मंत्री
कृषि मंत्री शिवराज सिंह के अनुसार विकसित कृषि संकल्प अभियान से जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से कृषि को बचाने एवं लागत घटाकर किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी। पिछले दस वर्षों के दौरान खाद्यान्न फसलों के उत्पादन में 44 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। सरकार का प्रयास इस रफ्तार को बनाए रखने का है। इसके लिए बढ़ते तापमान एवं सीमित जल उपलब्धता की चुनौतियों को देखते हुए विभिन्न फसलों की नई किस्में विकसित करने पर काम किया जा रहा है।
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