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    बढ़ती ठंड से बिगड़ सकता है खेती का हिसाब, जानिए कैसे करें रबी फसलों का बचाव

    जनवरी का महीना खेती की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण होता है। इस बीच कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि नवरी के दूसरे पखवाड़े में अगर ठंड प्रचंड हुई और घने कोहरे के बीच पाला गिरा तो गेहूं सरसों और आलू की फसलों को नुकसान हो सकता है। इस बीच मौसम विभाग ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है।

    By Jagran News Edited By: Abhinav Tripathi Updated: Sun, 12 Jan 2025 11:30 PM (IST)
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    बढ़ती ठंड से बिगड़ सकता है खेती का हिसाब (फोटो- इंटरनेट मीडिया)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। इस समय उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। इस ठंड का रबी की फसलों पर सीधा प्रभाव पड़ता है। रबी फसलों की बुआई के दौरान तापमान के सामान्य से अधिक होने और वृद्धि के दौरान न्यूनतम तापमान में अत्यधिक गिरावट से किसानों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

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    कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार रबी फसलों के लिए अभी तक मौसम की स्थितियां अनुकूल हैं, लेकिन जनवरी के दूसरे पखवाड़े में अगर ठंड प्रचंड हुई और घने कोहरे के बीच पाला गिरा तो गेहूं, सरसों और आलू की फसलों को नुकसान हो सकता है।

    जनवरी खेती के लिए महत्वपूर्ण

    भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने जनवरी के दूसरे पखवाड़े में भी पहाड़ों पर दो पश्चिमी विक्षोभ आने का अनुमान जारी किया है। इसका अर्थ है कि मैदानी क्षेत्रों के न्यूनतम तापमान में अभी और गिरावट आनी है। ठंड बढ़ने वाली है। कोहरा घना होने वाला है। पाला गिरने की आशंका बढ़ रही है, जिसका फसलों पर बुरा असर होना तय है। खेती के लिए जनवरी के महीने को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।

    ठंड का फसलों पर पड़ता है सीधा असर

    भागलपुर कृषि विश्वविद्यालय के निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. आरके सोहाने के अनुसार प्रमुख रबी फसल गेहूं की बुआई के बाद उसके पौधे की वृद्धि एवं पोषण के लिए जनवरी का आदर्श तापमान सात से 22 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए।

    वहीं, अगर अधिकतम तापमान अगर 22 डिग्री सेल्सियस से बढ़ जाता है तो उपज पर असर पड़ता है। इसी तरह न्यूनतम तापमान अगर चार डिग्री से नीचे चला जाता है तो पाला की स्थिति उत्पन्न हो जाती है, जिसे गेहूं, सरसों एवं आलू की फसलों के अनुकूल नहीं माना जाता है। पौधों की पत्तियां एवं फूल क्षतिग्रस्त होने लगते हैं।

    न्यूनतम तापमान में अत्यधिक गिरावट से ओस की बूंदें जब फसलों पर बर्फ की तरह जमने लगती हैं, जिससे आलू के पौधे झुलसा रोग की चपेट में आ सकते हैं। रबी फसलों को पाला की चपेट में आने से बचाने के लिए कृषि विज्ञानी हल्की सिंचाई की सिफारिश करते हैं।

    जनवरी में और गिरेगा तापमान

    आईएमडी ने आने वाले दिनों में बंगाल की खाड़ी में निम्न दबाव के दो क्षेत्र बनने की संभावना जताई है। इनके असर से पूर्वी एवं मध्य भारत के कई क्षेत्रों में भारी बारिश हो सकती है। इसी तरह उत्तर के पहाड़ों में दो दिन बाद एक और पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने वाला है।

    ऐसे में आईएमडी का मानना है कि मैदानी इलाकों के कई स्थानों में जनवरी महीने के शेष दिनों का न्यूनतम तापमान भी सामान्य से कम हो सकता है। कई जगहों पर बारिश की भी हो सकती है, जो रबी फसलों के लिए नुकसानदायक हो सकता है।

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