नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग अगले सप्ताह रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करने वाले हैं, लेकिन यह यात्रा सवालों के घेरे में आ गई है। वजह है, इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (आईसीसी) द्वारा पुतिन के खिलाफ शुक्रवार को युद्ध अपराध में जारी गिरफ्तारी वारंट। अहम सवाल है कि क्या वारंट जारी होने के बाद पुतिन से चिनफिंग मिल सकते हैं?

वैश्विक शक्ति बनने की होड़

चीन ने रूस और यूक्रेन के बीच शांति की पहल करके खुद को एक वैश्विक ताकत के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। चीन ने जबसे सऊदी अरब और ईरान के बीच समझौता कराया है, उसकी यह इच्छा बलवती है। यह समझौता चर्चा का बिंदु बना, क्योंकि सऊदी अरब और ईरान के रिश्ते अच्छे नहीं रहे हैं।

चीन की बढ़ती इच्छा अमेरिका को रास आएगी, इसकी संभावना कम ही है। चिनफिंग की रूस यात्रा के कुछ ही घंटे पहले आईसीसी से पुतिन के खिलाफ वारंट जारी होना इसी का संकेत है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने शुक्रवार को कहा भी है कि पुतिन के खिलाफ आईसीसी की कार्रवाई न्यायोचित है।

एक रोचक तथ्य यह है कि अमेरिका, रूस, यूक्रेन और चीन आईसीसी के मूल समझौते को मान्यता नहीं देते हैं यानी वे आईसीसी के किसी फैसले से बाध्य नहीं हैं।

वारंट का यह हो सकता है प्रभाव

वारंट जारी होने के बाद आरोपित यदि आईसीसी के सदस्य देश का दौरा करता है, तो वहां उसे गिरफ्तार किया जा सकता है, लेकिन पुतिन के मामले में इसकी संभावना क्षीण ही लगती है। पुतिन का आईसीसी के नियमों से बंधे देश की यात्रा करना बहुत मुश्किल है। यात्रा की स्थिति में भी ऐसे किसी देश द्वारा पुतिन को गिरफ्तार किए जाने की संभावना भी कम ही है। सूडान के पूर्व राष्ट्रपति ओमर बशीर वारंट के बावजूद कई आईसीसी देशों की यात्रा पर गए, लेकिन गिरफ्तार नहीं किए गए।

यह कहते हैं चीन और रूस

मास्को में यह धारणा प्रबल है कि चिनफिंग की यात्रा रूस को हाशिए पर धकेलने और अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने के पश्चिमी देशों के इरादों को चुनौती देगी। क्रेमलिन के प्रवक्ता यूरी उशाकोव ने कहा कि पुतिन और चिनफिंग में गहरी दोस्ती और आपसी विश्वास है।

चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि बदलते वैश्विक परिदृश्य में सुरक्षा परिषद के सदस्यों और अहम शक्ति के तौर पर रूस-चीन रिश्ते का महत्व और प्रभाव द्विपक्षीय संबंधों से कहीं आगे है।

क्या है आईसीसी?

नीदरलैंड के हेग में आईसीसी को एक अंतरराष्ट्रीय कानूनी संस्था के तौर पर स्थापित किया गया है। यह नरसंहार, मानवता के खिलाफ अपराध, युद्ध अपराध आदि के मामलों में किसी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करने में सक्षम है।

Edited By: Devshanker Chovdhary