Move to Jagran APP

लालू यादव को मिली 5 साल की सजा, जज के सामने गिड़गिड़ाए और कहा..

सीबीआइ की विशेष अदालत ने बहुचर्चित चारा घोटाले में दोषी पाए गए राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव (65) को पांच वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। उन्हें 25 लाख रुपये का जुर्माना भी चुकाना होगा। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र (76) को चार वर्ष कैद और दो लाख का जुर्माना, जदयू सांसद जगदीश शर्मा को चार वर्ष कैद और पांच लाख का जुर्माना, पूर्व सांसद आरके राणा को पांच वर्ष की कैद और तीस लाख के जुर्माने की सजा दी गई है। इसके अलावा घोटाले में शामिल छह अधिकारियों को पांच-पांच वर्ष कैद और 1.5-1.5 करोड़ रुपये का भारी जुर्माना लगाया गया है।

By Edited By: Published: Fri, 04 Oct 2013 06:19 AM (IST)Updated: Fri, 04 Oct 2013 06:22 AM (IST)
लालू यादव को मिली 5 साल की सजा, जज के सामने गिड़गिड़ाए और कहा..

रांची, जागरण न्यूज नेटवर्क। सीबीआइ की विशेष अदालत ने बहुचर्चित चारा घोटाले में दोषी पाए गए राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को पांच वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। उन्हें 25 लाख रुपये का जुर्माना भी चुकाना होगा। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र (76) को चार वर्ष कैद और दो लाख का जुर्माना, जदयू सांसद जगदीश शर्मा को चार वर्ष कैद और पांच लाख का जुर्माना, पूर्व सांसद आरके राणा को पांच वर्ष की कैद और तीस लाख के जुर्माने की सजा दी गई है। इसके अलावा घोटाले में शामिल छह अधिकारियों को पांच-पांच वर्ष कैद और 1.5-1.5 करोड़ रुपये का भारी जुर्माना लगाया गया है।

loksabha election banner

पढ़े: ग्यारह साल तक खिंच सकता है चुनावी वनवास

लालू की तर्ज पर संप्रग नेताओं को भी मिलेगी सजा

बृहस्पतिवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये विशेष अदालत के न्यायाधीश पीके सिंह ने 37 दोषियों को सजा सुनाई। सजा सुनाए जाने के साथ ही लालू प्रसाद और जगदीश शर्मा की लोकसभा की सदस्यता समाप्त हो गई। इस आशय की घोषणा लोकसभा अध्यक्ष के कार्यालय से की जाएगी। अदालत के फैसले से लालू के राजनीतिक भविष्य को लेकर तमाम आशंकाएं पैदा हो गई हैं। पत्नी राबड़ी देवी व राजद के सभी नेता फिलहाल फैसले से राजनीति पर असर न पड़ने और सजा के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील करने की बात कह रहे हैं। लालू को अगर उच्चच्अदालतों से राहत नहीं मिलती तो वह सजा के पांच साल और फिर उसके उपरांत छह साल की कानूनी रोक के चलते कुल 11 साल बाद ही चुनाव लड़ पाएंगे। चूंकि सुप्रीम कोर्ट के हाल के चर्चित फैसले के मुताबिक भ्रष्टाचार के मामले में सजा मिलते ही सांसद-विधायक की सदस्यता चली जाएगी इसलिए लालू यादव और जगदीश शर्मा सदस्यता गंवाने वाले लोकसभा के पहले सदस्य बन गए हैं। इसके पहले रशीद मसूद राज्यसभा की सदस्यता गंवा चुके हैं।

वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनाया गया फैसला

सजा सुनाए जाने के दौरान लालू समेत 33 दोषी रांची की सेंट्रल जेल में मौजूद थे। एक-एक कर सभी दोषी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये न्यायाधीश से रू-ब-रू हुए और उन्हें फैसला सुनाया गया। स्क्रीन पर आने के बाद लालू को जब फैसला सुनाया गया तो उनके चेहरे पर निराशा से क्लांत पड़ गया। उन्होंने जज से गुहार लगाई- हुजूर, हमने इस मामले में कुछ नहीं किया। न्याय किया जाए। जज ने कहा, हमने आपकी बात सुन ली है और फैसले में सब शामिल कर दिया है। सांसद जगदीश शर्मा भी फैसले से सकते में दिखे। वे भी जज के सामने गिड़गिड़ाते रहे।

लालू ने देश की सेवा की, कम सजा दी जाए

राजद प्रमुख को कम सजा दिलाने के लिए उनके वकील ने भी गुहार लगाई। उन्होंने कहा कि जज साहब, लालूजी ने समाज के लिए काफी कुछ किया है। कई महत्वपूर्ण पदों पर देश की सेवा की है। रेल मंत्री रहते हुए इन पर कोई आरोप नहीं लगा। 17 साल तक वे इस मुकदमे का ट्रायल झेलते रहे। सीबीआइ की उन्होंने हर कदम पर मदद की। उनके खिलाफ सीबीआइ कोई ठोस सुबूत नहीं जुटा पाई। उन पर सीधे कोई मामला नहीं बनता है। लालूजी को कई बीमारियां हैं। उन्हें कम से कम सजा मिले। फैसले के बाद लालू समेत अन्य दोषियों के वकीलों ने कहा कि इस फैसले के खिलाफ वे हाई कोर्ट में अपील करेंगे।

सीबीआइ ने मांगी थी कठोर सजा

अधिवक्ता बीएमपी सिंह ने कहा, लालू प्रसाद के खिलाफ सीबीआइ के पास ठोस सबूत हैं। अपने पद का दुरुपयोग करते हुए वह भ्रष्टाचार में संलिप्त रहे। अपील है कि उन्हें कठोर से कठोर सजा दी जाए। यह इसलिए जरूरी है कि मामला नजीर बने। लोग भ्रष्टाचार से तौबा करें। सीबीआइ कोर्ट के जज पीके सिंह ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं और अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। ढाई बजे के बाद उन्होंने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से लालू समेत 37 दोषियों को सजा सुनाई। 17 साल पुराने मामले में ज्यादातर दोषियों को धन के घोटाले, धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश की धाराओं में दोषी पाया।

*******

'मुख्यमंत्री व वित्तमंत्री के रूप में लालू को खजाने से हो रही अवैध निकासी की जानकारी थी। उन्हें माफ नहीं किया जा सकता।' - पीके सिंह, विशेष अदालत के न्यायाधीश

*******

37.7 करोड़ की अवैध निकासी का है मामला

रांची। जिस मामले लालू और अन्य आरोपियों को सजा सुनाई गई है। वह चाईबासा कोषागार से जुड़ा मामला है। इसमें पशुपालन से संबंधित चारा एवं अन्य वस्तुओं की आपूर्ति के नाम पर 37.7 करोड़ रुपये की अवैध निकासी की गई थी। मामले में 45 लोगों को सजा दी गई है। बृहस्पतिवार को 37 और 30 सितंबर को आठ दोषियों को सजा सुनाई गई। आठ दोषियों को दो वर्ष से कम की सजा मिली थी, इसलिए उन्हें उसी दिन जमानत दे दी गई थी। इस समय लालू समेत 33 आरोपी सेंट्रल जेल में बंद हैं। जबकि पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र खराब स्वास्थ्य के चलते राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती हैं। बृहस्पतिवार को बाथरूम में गिरने से उनकी तबीयत और बिगड़ गई है। तीन दोषी स्वास्थ्य संबंधी कारणों से न्यायिक हिरासत से बाहर हैं।

चारा घोटाले में 12.85 करोड़ का जुर्माना

रांची, जागरण संवाददाता। चारा घोटाला आरसी 20ए/96 में 37.70 करोड़ रुपये के घोटाले का प्रमाण सीबीआइ ने अदालत के समक्ष दाखिल आरोप-पत्र में दिखाया है। जबकि मामले में कुल 45 अभियुक्तों को सजा सुनाई गई और जुर्माना लगाया गया। अदालत ने इन आरोपियों पर 12 करोड़ 85 लाख 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। बृहस्पतिवार को सुनाए गए फैसले में अदालत ने लालू यादव, जगदीश शर्मा, जगन्नाथ मिश्र, आरके राणा सहित चार लोगों पर कुल 62 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। साथ ही 12 पशुपालन अधिकारियों पर 9 करोड़ 44 लाख रुपये और 21 आपूर्तिकर्ताओं पर दो करोड़ 14 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। इसके अलावा अदालत ने 30 सितंबर को आठ अभियुक्तों को सजा सुनाई थी। इन पर 65 लाख 50 हजार का जुर्माना लगाया गया है।

झारखंड में वीडियो लिंक से पहली सजा

नई दिल्ली, जेएनएन। रांची की विशेष सीबीआइ अदालत की ओर से अपने लिए सजा का निर्धारण होते ही लालू यादव और उनके साथ के अन्य लोग वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सजा सुनाए जाने वालों की जमात में शामिल हो गए। इनमें एक नाम आंतकी अजमल कसाब का भी है। जिसे बांबे हाई कोर्ट ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये ही मौत की सजा की पुष्टि की थी।

हालांकि झारखंड में न्यायिक प्रक्रिया में वीडियो लिंक का इस्तेमाल पिछले साल ही शुरू हो गया था। लेकिन यहां किसी को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सजा सुनाए जाने का यह पहला मामला है। झारखंडच्उच्च न्यायालय की ई-कमेटी के प्रोजेक्ट कोआर्डिनेटर के अनुसार किसी बड़े राजनेता को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सजा सुनाए जाने का यह देश में पहला मामला गिना जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि टेली जस्टिस प्रोजेक्ट के तहत पहले चरण में देश की तीन सौ जेलों और दो हजार अदालतों को वीडियो कांफ्रेंसिंग सुविधा से लैस किया जाना है।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.