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    Qatar: कतर में गिरफ्तार 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों को नहीं होगी फांसी, भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत

    Qatar Indian soldiers कतर में गिरफ्तार 8 भारतीय नौसैनिकों की फांसी की सजा पर रोक लगा दी गई है। भारतीय विदेश मंत्रालय के हस्तक्षेप के बाद कतर की अपीलीय अदालत ने ये फैसला दिया जिसमें सजाएं कम कर दी गई हैं। कतर में भारतीय राजदूत और अन्य अधिकारी उपस्थित थे जिन्होंने परिवार के सदस्यों के साथ अदालत में अपील की।

    By Agency Edited By: Mahen Khanna Updated: Thu, 28 Dec 2023 03:34 PM (IST)
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    Qatar Indian soldiers कतर में पूर्व नौसैनिकों को राहत। प्रतीकात्मक फोटो

    एजेंसी, नई दिल्ली। Qatar Indian soldiers कतर में गिरफ्तार 8 भारतीय नौसैनिकों की फांसी की सजा पर रोक लगा दी गई है। भारतीय विदेश मंत्रालय के हस्तक्षेप के बाद कतर की अपीलीय अदालत ने ये फैसला दिया, जिसमें सजा कम कर दी गई हैं। कतर में भारतीय राजदूत और अन्य अधिकारी उपस्थित थे, जिन्होंने परिवार के सदस्यों के साथ अदालत में अपील की।

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    हम शुरुआत से पूर्व सैनिकों के साथः विदेश मंत्रालय

    कतर में दहरा ग्लोबल मामले में मिली मौत की सजा पर विदेश मंत्रालय ने कहा कि हम मामले की शुरुआत से ही पूर्व सैनिकों और उनके परिवार के साथ खड़े हैं और हम सभी कांसुलर और कानूनी सहायता देना जारी रखेंगे। हम इस मामले को कतर के अधिकारियों के साथ भी उठाना जारी रखेंगे।

    विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस मामले की कार्यवाही की गोपनीय और संवेदनशील प्रकृति के कारण, इस समय कोई और टिप्पणी करना उचित नहीं होगा।

    भारत सरकार ने दायर की थी अपील

    बता दें कि इन पूर्व सैनिकों को बचाने के लिए भारत सरकार ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी। इसके लिए सरकार ने कतर की एक दूसरी अदालत में पूर्व नौसैनिकों को मिली मौत की सजा के खिलाफ अपील दायर की थी। 

    बता दें कि जासूसी के कथित मामले में गिरफ्तार किए गए भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों को कतर की एक अदालत ने अक्टूबर में मौत की सजा दी थी।

    यह भी पढ़ें- कतर से 8 पूर्व नौसैनिकों की जल्द होगी वापसी, नौसेना प्रमुख बोले- सरकार कर रही सभी तरह के प्रयास

    इजरायल के लिए जासूसी करने का लगा था आरोप

    कतर ने आठों नौसैनिकों पर इजरायल के लिए जासूसी करने का आरोप लगाया था। कतर की सुरक्षा एजेंसी ने सभी को 30 अगस्त को गिरफ्तार किया था। ये सभी भारतीय नौसेना से रिटायर थे और दोहा में अल-दहरा कंपनी के लिए काम करते थे। सभी पर आरोप लगा था कि ये इजरायल के लिए कतर की सबमरीन प्रोजेक्ट से जुड़ी जानकारी चुरा रहे थे।