दिसंबर में भारत आ सकते हैं पुतिन, पीएम मोदी से होगी बड़ी बातचीत; अमेरिका को कड़ा मैसेज
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 5-6 दिसंबर को भारत दौरे पर आ सकते हैं जहाँ उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात होने की संभावना है। यह शिखर वार्ता तब हो रही है जब अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने पर भारत पर टैरिफ लगाए हैं। भारत रूस से तेल इसलिए खरीद रहा है क्योंकि परंपरागत सप्लाई यूरोप की ओर मोड़ दी गई थी।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रूस को राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 5-6 दिसंबर को भारत दौरे पर आ सकते हैं। यहां उनकी मुलाकात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से होने की संभावना है। दोनों नेताओं के बीच यह शिखर वार्ता ऐसे समय में होने जा रही है जब अमेरिका ने भारत पर रूस तेल खरीदने को लेकर कड़े टैरिफ लगाए हैं।
इस उच्च स्तरीय दौरे की घोषणा पहली बार अगस्त में हुई थी जब राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल मॉस्को गए थे। हालांकि, उस समय तारीख तय नहीं हुई थी। बाद में चीन में हुए शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन के दौरान पुतिन और पीएम मोदी की कार में करीब एक घंटे लंबी मुलाकात हुई थी।
रूस से तेल क्यों खरीद रहा भारत?
पुतिन का भारत दौरा ऐसे वक्त में सामने आ रहा है जब भारत और अमेरिका के बीच रूस से व्यापार को लेकर तनातनी बढ़ी हुई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने भारत के सामान पर 50% टैरिफ लगा दिया है। उनका कहना है कि यह कदम रूस पर दबाव बनाने के लिए है ताकि वह यूक्रेन युद्ध खत्म करे।
भारत ने तर्क दिया है कि उसने रूस से तेल इसलिए खरीदा क्योंकि परंपरागत सप्लाई यूरोप की ओर मोड़ दी गई थी। रूस के लिए तेल और ऊर्जा से होने वाली कमाई उसके बजट का बड़ा हिस्सा है। पश्चिमी देश लंबे समय से रूस की आय घटाने की कोशिश कर रहे हैं।
दशकों पुराना है भारत-रूस का रिश्ता
भारत और रूस का रिश्ता दशकों पुराना है। सोवियत दौर से ही दोनों देशों के बीच मजबूत व्यापार और रक्षा सहयोग रहा है। आज भी रूस भारत का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता है। साथ ही, युद्ध शुरू होने के बाद से भारत रूस से तेल खरदने वाले बड़े देशों में शामिल हो गया है।
क्यों अहम है पुतिन का भारत दौरा?
पुतिन का यह दौरा भारत की कूटनीतिक रणनीति के लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है। खासकर तब जब अमेरिका ने व्यापार दबाव बढ़ा दिया है। भारत इस मौके पर यह संदेश देना चाहता है कि उसके रूस से रिश्ते मजबूत बने रहेंगे, भले ही वॉशिंगटन से रिश्तों को संभालना एक बड़ी चुनौती क्यों न हो।
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