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    S-400 मिसाइल सिस्टम, ब्रह्मोस और AK-203 राइफल... पुतिन के भारत दौरे पर किन-किन मुद्दों पर होगी चर्चा?

    Updated: Fri, 28 Nov 2025 08:38 PM (IST)

    रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4-5 दिसंबर को भारत दौरे पर आ रहे हैं। इस दौरान वह पीएम मोदी के साथ 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन की सह-अध्यक्षता करेंगे। दोनों देशों के बीच कई समझौते होने की संभावना है, जिनमें कुडनकुलम परमाणु संयंत्र का विस्तार शामिल है। रक्षा सहयोग और व्यापार पर भी चर्चा होगी, खासकर रूस से तेल खरीद के मुद्दे पर।

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    पुतिन के भारत दौरे पर किन-किन मुद्दों पर होगी चर्चा? फाइल फोटो

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4-5 दिसंबर को भारत के दौरे पर आ रहे हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय (एमईए) ने शुक्रवार को इसकी आधिकारिक घोषणा की, जो दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक साझेदारी को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण कदम है।

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    पुतिन इस यात्रा के दौरान 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन की पीएम नरेन्द्र मोदी के साथ सह-अध्यक्षता करेंगे। इसके अलावा उनकी पीएम मोदी के साथ अलगसे द्विपक्षीय वार्ता भी होगी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी पुतिन का स्वागत करेंगी।

    विदेश मंत्रालय के मुताबिक यह दौरा भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी को नई दिशा प्रदान करेगा। पुतिन के दौरे के दौरान कई समझौते साइन होने की संभावना है, जिनमें कुडनकुलम परमाणु संयंत्र के विस्तार और चंद्रयान मिशन में रूसी भागीदारी शामिल हैं। साथ ही एक दूसरे नागरिकों को वीजा फ्री आने-जाने के विषय पर भी बात होगी।

    यह पुतिन की 2022 में रूस-यूक्रेन संघर्ष की शुरुआत के बाद भारत की पहली यात्रा होगी। इससे पहले, उनकी आखिरी भारत यात्रा दिसंबर 2021 में हुई थी। लेकिन तब वह सिर्फ सात घंटे के लिए दिल्ली आए थे। यूक्रेन युद्ध के बाद पुतिन रूस छोड़ कर बहुत ही कम अवसरों पर किसी दूसरे देश की यात्रा पर गये हैं। उन्होंने जी-20 और ब्रिक्स की शिखर सम्मेलनों में भी हिस्सा नहीं लिया है।

    बहरहाल जुलाई 2025 में प्रधानमंत्री मोदी ने मॉस्को का दौरा किया था, जहां दोनों नेताओं ने ऊर्जा, रक्षा और व्यापार क्षेत्र में सहयोग पर व्यापक वार्ता की थी। तब अमेरिका व पश्चिमी देशों ने पीएम मोदी की उक्त यात्रा को लेकर भृकुटियां भी तानी थी। वैसे पुतिन के दौरे का एजेंडा व्यापक है। शिखर सम्मेलन में रक्षा सहयोग प्रमुख रहेगा, जिसमें एस-400 मिसाइल प्रणाली जैसे समझौतों की समीक्षा और नए सैन्य सौदों पर चर्चा होगी।

    भारत रूस से ब्रह्मोस मिसाइलों के निर्यात और एके-203 राइफलों के उत्पादन में वृद्धि को लेकर सहयोग की उम्मीद कर रहा है। ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग को किस तरह से आगे बढाया जाए, इसको लेकर भी दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के बीच विमर्श होगा। खास तौर पर तब जब अमेरिका व पश्चिमी देशों की तरफ से रूस से तेल खरीद को लेकर भारत पर दबाव बनाने की नीति लगातार जारी है।

    तेल खरीद से ही दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2024 में 65 अरब डॉलर तक पहुंच गया था और इसे 100 अरब डॉलर करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावा अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ेगा।