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    दार्जिलिंग की चाय और पन्ना के हीरे के बाद पुष्कर के देशी गुलाब को मिलेगा GI टैग

    Updated: Wed, 19 Nov 2025 07:43 PM (IST)

    अजमेर सांसद भागीरथ चौधरी ने पुष्कर के देसी गुलाब को जीआई टैग दिलवाने का भरोसा दिलाया है। गिरिराज अग्रवाल ने केंद्रीय मंत्री से मिलकर इस बारे में अनुरोध किया था। जीआई टैग मिलने से पुष्कर के गुलाब को वैश्विक पहचान मिलेगी और कानूनी सुरक्षा प्राप्त होगी। वर्तमान में पहचान न होने के कारण पुष्कर के फूल वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान नहीं बना पाए हैं।

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    पुष्कर के गुलाब को मिलेगा जीआई टैग

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अजमेर के सांसद और केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री भागीरथ चौधरी ने भरोसा दिलाया कि पुष्कर के देसी गुलाब के फूलों को जल्द ही भौगोलिक पहचान दिलवाई जाएगी। जिस प्रकार दार्जिलिंग की चाय और पन्ना के हीरे विश्व विख्यात है, उसी प्रकार आने वाले दिनों में पुष्कर का देसी गुलाब भी दुनिया भर में प्रसिद्ध होगा।

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    पुष्कर के गुलाब को भौगोलिक पहचान दिलाने के लिए श्री पुष्कर राज फामर्स वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष और लघु उद्योग भारती अजमेर के सह-सचिव गिरिराज अग्रवाल ने 18 नवंबर को केंद्रीय मंत्री चौधरी से मुलाकात की थी।

    पुष्कर के देशी गुलाब के फूलों को मिलेगी भौगोलिक पहचान

    अग्रवाल ने चौधरी को बताया कि भौगोलिक पहचान यानी जियोग्राफिकल इंडिकेशन (जीआई) का टैग केंद्रीय वाणिज्यिक एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा दिया जाता है। इस टेग के मिलने के बाद पुष्कर के गुलाब के फूलों की पहचान दुनिया भर में हो जाएगी। जिससे इन फूलों को कानूनी सुरक्षा भी प्रदान होगी। अग्रवाल ने चौधरी को बताया कि दुनिया में आज बुल्गारिया के गुलाब के फूलों की विशिष्ट पहचान है, लेकिन पुष्कर के गुलाब के फूल ज्यादा समृद्ध और प्रभावशाली है।

    किसानों और लघु उद्योगों को होगा लाभ

    पुष्कर के गुलाब के फूलों का अर्क और गुलकंद बनाया जाता है, साथ ही आयुर्वेद की दवाओं में भी फूलों का इस्तेमाल हो रहा है, लेकिन भौगोलिक पहचान नहीं होने के कारण पुष्कर के फूल विश्व स्तर पर अभी तक अपनी पहचान नहीं बना पाए हैं। फूलों को जीआई टैग मिल जाता है तो पुष्कर के गुलाब दुनिया में पहले स्थान पर होंगे।

    दुनिया भर के लोग भरोसे के साथ गुलाब के फूल और उससे बने उत्पाद खरीद सकेंगे। अग्रवाल ने यह भी आग्रह किया कि पुष्कर के गुलाब को वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट योजना के अंतर्गत भी शामिल किया जाए ताकि क्षेत्रीय किसानों और लघु उद्यमों को लाभ मिल सके।