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    'इसका स्तर शून्य करने की रखते हैं क्षमता', NPA से निपटने के लिए सरकारी बैंक ले रहे AI की मदद

    By JAIPRAKASH RANJANEdited By: Abhishek Pratap Singh
    Updated: Fri, 24 Oct 2025 09:00 PM (IST)

    भारतीय बैंकिंग के इतिहास में पहली बार एनपीए 0.5% से नीचे जाने की ओर है। सरकारी बैंकों ने सितंबर 2025 में शुद्ध एनपीए 0.5% से नीचे दर्ज किया है। पीएनबी और इंडियन बैंक जैसे बैंक एनपीए को नियंत्रित करने के लिए एआई का उपयोग कर रहे हैं। आरबीआई और वित्त मंत्रालय के प्रयासों से एनपीए में सुधार हुआ है।

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    एनपीए को लेकर सरकारी बैंकों का दावा।

    जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। भारतीय बैंकिंग के इतिहास में पहली बार फंसे कर्जे का अनुपात (कुल परिसंपत्तियों के सापेक्ष वापस नहीं होने वाले कर्जे का स्तर) 0.5 फीसद या इससे भी नीचे जाने की तरफ अग्रसर है। सरकारी क्षेत्र के जिन बैंकों ने सितंबर, 2025 के तिमाही परिणाम जारी किये हैं उनमें से अधिकांश के शुद्ध एनपीए 0.5 फीसद से भी नीचे है। लेकिन कुछ एजेंसियों ने कहा है कि एनपीए की समस्या फिर लौट सकती है क्योंकि बैंक जम कर कर्ज वितरित कर रहे हैं।

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    दैनिक जागरण ने देश के दो प्रमुख सरकारी बैंकों पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और इंडियन बैंक के शीर्ष प्रबंधन से इस बारे में बात की। इन दोनों बैंकों के प्रमुखों का कहना है कि एनपीए की समस्या को फिर से बैंकिंग सेक्टर में पैर जमाने नहीं दिया जाएगा। इन दोनों बैंकों की तरफ से आर्टिफिशिएल इंटेलीजेंस (एआई) का खास तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है ताकि फंसे कर्जे का दौर फिर से नहीं लौटे।

    कितना रह गया एनपीए का अनुपात

    पीएनबी के एमडी व सीईओ अशोक चंद्र का दावा है कि उनका बैंक जिस तिमाही चाहे वह अपने शुद्ध एनपीए को शून्य कर सकते हैं। पीएनबी एमडी व सीईओ चंद्र ने बताया कि सितंबर, 2025 में उनके बैंक का शुद्ध एनपीए का अनुपात 0.41फीसद (राशि में 4282 करोड़ रुपये) रह गया है। यह पिछले पांच वर्षों से लगातार एनपीए को काबू में करने की बैंक के स्तर पर हो रही कोशिशों का नतीजा है।

    एआई कैसे कर रहा मदद?

    वह बताते हैं कि आगे यह समस्या नहीं आएगी क्योंकि अब ऐसी व्यवस्था हो गई है कि नये स्लीपेज (कर्ज ले कर नहीं लौटना) की प्रक्रिया को शुरुआत में भी चिन्हित कर दिया जा रहा है। इसके साथ ही रिकवरी को लेकर बैंक के स्तर पर मुस्तैदी पहले के मुकाबले काफी ज्यादा है। इसके लिए आर्टिफिशएल इंटेलीजेंस का सहारा लिया जा रहा है। बैंक का जोखिम प्रबंधन विभाग के हर अधिकारी की अपनी जिम्मेदारी है जिसके साथ कोई समझौता नहीं होता। एआई की मदद से हर लोन एकाउंट की जबरदस्त मोनिटरिंग होती है और इसमें एक भी गड़बड़ी होने पर बैंक ब्रांच से लेकर शीर्ष अधिकारियों तक को एलर्ट कर दिया जाता है। अशोक चंद्र बताते हैं कि अगर हम चाहें तो किसी भी एक तिमाही का पूरा मुनाफे का समायोजन करके इस अनुपात को जीरो कर सकते हैं।

    इंडियन बैंक के एमडी ने क्या कहा?

    एनपीए प्रबंधन की भावी नीति के बारे में इंडियन बैंक के एमडी व सीईओ बिनोद कुमार का कहना है कि, “बैंकिंग सेक्टर में एनपीए में उतार-चढ़ाव अर्थव्यवस्था की स्थिति के मुताबिक होता रहता है लेकिन जहां तक एनपीए की समस्या के फिर से गंभीर होने की बात है तो उसकी संभावना कम है। वजह यह है कि आरबीआई और वित्त मंत्रालय ने साथ मिल कर बैंकिंग सेक्टर के उस ढांचे में काफी सुधार कर दिया है जिसकी वजह से एनपीए बढ़ती थी और कोई समाधान नहीं मिल पाता था। बैंकों में कॉरपोरेट गवर्नेंस में काफी सुधार हो चुका है और नियामन से जुड़े नियमों को काफी सख्त किया जा चुका है।''

    इंडियन बैंक का शुद्ध एनपीए सितंबर, 2025 में सिर्फ 0.16 फीसद रहा है। इसके साथ ही वह बताते हैं एआई भी इंडियन बैंक के एनपीए प्रबंधन का एक अभिन्न हिस्सा बन चुका है। ग्राहकों को काल करने की एआई आधारित ऐसी व्यवस्था बनाई गई है जो उन ग्राहकों से अलग तरीके से बात करता है जो समय पर कर्ज नहीं लौटाते।

    बिनोद कुमार ने उदाहरण देकर समझाया

    मसलन, अगर ग्राहक ने समय दे कर भी कर्ज का भुगतान समय पर नहीं किया है तो उक्त स्वाचालित सिस्टम से काल किया जाता है और ग्राहक को इसके खामियाजे के बारे में बारे में चेतावनी दी जाती है। वर्ष 2017-18 में जब भारतीय बैंकों में फंसे कर्जे यानी सकल एनपीए (नॉन-परफॉरमिंग एसेट्स) का स्तर बढ़ कर 11.78 फीसद हो गया था। एनपीए के इस स्तर बहुत ही खराब माना जाता है। ऐसे में बैंकों के लिए सामान्य कारोबार को बनाये रखना चुनौतीपूर्ण हो जाती है। बैंकों को मुनाफे की राशि का समायोजन में खर्च करना पड़ता है और विकास या ग्राहक सेवा विस्तार पर खर्च करने के लिए राशि नहीं बचती। लेकिन विगत सात वर्षों में हालात पूरी तरह से बदल चुके हैं।

    आरबीआई के ताजे आंकड़ें बताते हैं कि जून, 2025 को समाप्त तिमाही में सरकारी क्षेत्र के बैंकों का सकल एनपीए (कुल परिसंपत्तियों के मुकाबले कुल एनपीए का अनुपात) घट कर 2.5 फीसद और शुद्ध एनपीए (फंसे कर्जे के लिए समायोजित की गई राशि को अलग निकालने बाद का अनुपात) महज 0.6 फीसद हो चुका है। अंतरराष्ट्रीय रिपो‌र्ट्स बताती हैं कि भारतीय बैंकिंग सेक्टर में एनपीए का स्तर अमेरिका, यूरोपीय संघ और ब्रिटेन के बैंकिंग सेक्टर के आस पास है।

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