टीबी पीडि़तों की सहायता में उमड़ी जनभागीदारी, धर्मेंद्र प्रधान ने ओडिशा के चार जिलों के टीबी पीड़ितों को लिया गोद
टीबी के मरीजों की मदद के लिए बड़ी जनभागीदारी सामने आई है। आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि कुल 13 लाख टीबी मरीजों में से लगभग साढ़े नौ लाख को किसी न किसी ने गोद ले लिया है। पढ़ें यह रिपोर्ट...

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश को टीबी रोग से मुक्त करने की दिशा में सरकार को महज एक सप्ताह के अंदर बड़ी सफलता मिली है। बताया जाता है कि कुल 13 लाख टीबी मरीजों में लगभग नौ लाख को किसी न किसी ने गोद ले लिया है। यानी उसके पोषण की जिम्मेदारी उठा ली है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धमेंद्र प्रधान ने भी ओडिशा के चार जिले- अंगुल, देवगढ़, धेंकेनाल और संभलपुर के सभी टीबी रोगियों को गोद लेते हुए हर महीने अतिरिक्त पोषण के अलावा डायगनोस्टिक व रोजगार की भी जिम्मेदारी उठा ली है।
2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य
नरेन्द्र मोदी सरकार ने 2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया है। शनिवार को प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिवस को भाजपा सेवा पखवाड़ा के रूप में मना रही है। प्रधान ने इस अवसर पर ट्वीट कर जानकारी दी कि ओडिशा को टीबी मुक्त बनाने के लिए चार जिलों के रोगियों को उन्होंने गोद लिया है। प्रधानमंत्री का यह 72वां जन्मदिन था और प्रधान ने 72 लोगों को अतिरिक्त पोषण की किट देकर इसकी शुरूआत की।
चार जिलों में कुल तीन हजार टीबी रोगी
प्रधान की ओर से बताया गया कि उपरोक्त चार जिलों में कुल तीन हजार टीबी रोगी है जिनका इलाज हो रहा है। इनमे से लगभग आधे लोगों ने गोद लेने की सहमति दी थी। उन सभी को हर महीने अतिरिक्त पोषण की उपलब्धता कराई जाएगी।
टीबी उन्मूलन बने जन अभियान
गौरतलब है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 9 सितंबर को निक्षय मित्र के नाम से योजना शुरू की थी जिसका मकसद था कि टीबी उन्मूलन जन अभियान बने। सरकार की ओर से जो मदद दी जा रही है उसके अलावा देश जुड़े। इसके लिए टीबी पीडि़तों से सहमति ली गई थी। साढ़े नौ लाख लोगों ने सहमति दी थी। बताया जा रहा है कि यह लक्ष्य पूरा हो गया है और पूरी जिम्मेदारी कुल 15415 लोगों ने मिलकर उठाई है।

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