Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    असम में बदलेगी पीएसओ नियुक्ति की नीति, खतरे का आकलन करके ही मिलेगी सरकारी सुरक्षा

    By Monika MinalEdited By:
    Updated: Sun, 02 Jan 2022 03:31 AM (IST)

    मुख्यमंत्री सरमा ने कहा अब खतरे की वास्तविक स्थिति का आकलन करके ही पीएसओ नियुक्त किए जाएंगे। इतना ही नहीं पूर्व मुख्यमंत्री को मिलने वाली मुफ्त आवास की सुविधा और अनिवार्य सुरक्षा कवर भी हटाया जाएगा। सभी सुविधाएं खतरे की स्थिति का आकलन करने के बाद तय होंगी।

    Hero Image
    असम में बदलेगी पीएसओ नियुक्ति, सरमा ने कहा- कांग्रेस कल्चर अब नहीं चलेगी

    गुवाहाटी, प्रेट्र। असम सरकार निजी सुरक्षा अधिकारी (पीएसओ) तैनात करने के लिए नई नीति बनाएगी। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा है कि राजनीतिक व्यक्ति और अन्य व्यक्तियों को सुरक्षा अधिकारी मिलने के मानदंड बदले जाएंगे। पीएसओ को अब स्टेटस सिंबल (प्रतिष्ठा का प्रतीक) बने नहीं रहने दिया जाएगा। पीएसओ को साथ लेकर चलने की कांग्रेस कल्चर (कांग्रेस संस्कृति) को बदला जाएगा। विदित हो कि सरमा राज्य कांग्रेस के बड़े नेता रहे हैं और वहीं से भाजपा में आए हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मुख्यमंत्री सरमा ने कहा, अब खतरे की वास्तविक स्थिति का आकलन करके ही पीएसओ नियुक्त किए जाएंगे। इतना ही नहीं पूर्व मुख्यमंत्री को मिलने वाली मुफ्त आवास की सुविधा और अनिवार्य सुरक्षा कवर भी हटाया जाएगा। सभी सुविधाएं खतरे की स्थिति का आकलन करने के बाद तय होंगी। हालांकि कि यह नया नियम वर्तमान में मौजूद पूर्व मुख्यमंत्रियों पर लागू नहीं होगा। नए वर्ष में मंत्रिमंडल की पहली बैठक के बाद प्रेस कान्फ्रेंस में सरमा ने कहा, हमने पीएसओ नियुक्ति का नियम बदलने का फैसला किया है। अब उन लोगों को ही पीएसओ मिलेंगे जो संवैधानिक पद पर होंगे या चुनौती वाले सरकारी पद पर कार्यरत होंगे या जिनके जीवन पर वास्तव में खतरा होगा। खतरे का आकलन उच्च स्तरीय कमेटी करेगी।

    सरमा ने हाल ही में कहा था कि पीएसओ लेकर साथ चलना कांग्रेस संस्कृति है। जरूरी नहीं कि भाजपा के शासन में यह संस्कृति जारी रखी जाए। अगर सुरक्षाप्राप्त कोई भाजपा नेता गलत कार्य करता है या अपनी सुरक्षा व्यवस्था का दुरुपयोग करता है तो वह गलत होगा। प्रदेश सरकार अब इस पुरानी प्रचलित व्यवस्था को बदलेगी। सरमा के इस रुख के बाद प्रदेश के कई कांग्रेस नेताओं को डर सताने लगा है कि जल्द ही सरकार उनकी सुरक्षा खत्म कर देगी। उल्लेखनीय है कि असम में पुलिस के कुल 4,240 जवान पीएसओ के रूप में निजी सुरक्षा में नियुक्त हैं। इनमें से आधे राजनीतिक लोगों की सुरक्षा में तैनात हैं।

    सरमा ने अफस्पा को लेकर दिया बड़ा संकेत

    मुख्यमंत्री सरमा ने संकेत दिया कि अफस्पा (सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून) को लेकर असम और नगालैंड में इसी साल बड़ा फैसला हो सकता है। कहा, आशावादी व्यक्ति हूं, इसलिए इस वर्ष कुछ खास होने की उम्मीद जता रहा हूं। दोनों राज्यों में चरमपंथी वारदातों के चलते यह कानून लागू है। इस कानून के तरह सुरक्षा बलों को कार्रवाई के लिए विशेष अधिकार मिले हुए हैं। दोनों राज्यों में इस कानून को हटाने की मांग लंबे समय से उठ रही है। दिसंबर में नगालैंड के मोन जिले में असम राइफल्स की फाय¨रग में 14 लोग मारे गए थे। इसके बाद अफस्पा हटाने की मांग ने जोर पकड़ लिया है।