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    'रजिस्टर्ड नहीं तो फंडिंग कैसे?' प्रियांक खरगे ने फिर उठाया RSS पर सवाल

    Updated: Mon, 10 Nov 2025 10:30 PM (IST)

    कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खरगे ने आरएसएस द्वारा दान प्राप्त करने के तरीकों पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के इस बयान पर प्रतिक्रिया दी कि संगठन स्वयंसेवकों के योगदान पर चलता है। खरगे ने दान की पारदर्शिता, धन संग्रह के तरीकों और वित्तीय संचालन पर प्रश्न उठाए हैं। उन्होंने पूछा कि अगर संघ पारदर्शी है, तो दान सीधे रजिस्टर्ड नाम पर क्यों नहीं लिया जाता?

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    प्रियांक खरगे ने RSS की फंडिंग पर उठाए सवाल

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कर्नाटक के मंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के पुत्र प्रियांक खरगे ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा दान प्राप्त करने के तरीके पर सवाल उठाए और धन जुटाने की प्रक्रिया पर और स्पष्टीकरण मांगा।

    उन्होंने इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा खरगे ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत के इस बयान पर प्रतिक्रिया दी कि यह संगठन पूरी तरह से अपने स्वयंसेवकों के योगदान पर चलता है।

    प्रियांक खरगे ने RSS की फंडिंग पर उठाए सवाल

    प्रियांक खरगे ने आगे लिखा भागवत ने कहा है कि आरएसएस अपने स्वयंसेवकों द्वारा दिए गए दान के माध्यम से काम करता है। हालांकि, इस दावे को लेकर कई जायज सवाल उठते हैं। उन्होंने पूछा कि ये स्वयंसेवक कौन हैं और उनकी पहचान कैसे की जाती है, उनके दान का पैमाना और प्रकृति क्या है और किन माध्यमों से धन एकत्र किया जाता है।

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    दान की पारदर्शिता और तरीकों पर प्रश्न

    प्रियांक खरगे ने पूछा कि अगर संघ पूरी तरह पारदर्शी तरीके से काम करता है, तो दान सीधे संगठन के रजिस्टर्ड नाम पर क्यों नहीं लिया जाता। उन्होंने यह भी सवाल किया कि जब आरएसएस कोई पंजीकृत संस्था नहीं है, तो फिर यह वित्तीय रूप से कैसे संचालित होती है और इसके पूर्णकालिक कार्यकर्ताओं को भुगतान कौन करता है।

    RSS के पंजीकरण पर भी सवाल

    उन्होंने आरएसएस के स्वयंसेवकों द्वारा खरीदे जाने वाले यूनिफार्म और सामग्रियों पर भी सवाल उठाया। इससे पहले मोहन भागवत ने एक कार्यक्रम में कहा था कि आरएसएस की स्थापना 1925 में हुई थी, क्या हमें ब्रिटिश सरकार के पास जाकर रजिस्ट्रेशन करवाना चाहिए था? उन्होंने बताया कि आजादी के बाद भारत सरकार ने रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य नहीं बनाया, इसलिए संघ बिना पंजीकरण के काम करता आ रहा है।

    (न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)