'सिर्फ सहानुभूति के आधार पर कानून के सिद्धांतों को दरकिनार नहीं किया जा सकता', इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि मोटर वाहन अधिनियिम के तहत जिम्मेदारी भरोसेमंद सुबूतों से साबित होनी चाहिए। सिर्फ सहानुभूति के आधार पर कानून के सिद ...और पढ़ें

सड़क दुर्घटना मामले में हाई कोर्ट और न्यायाधिकरण का फैसला रखा बरकरार
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि मोटर वाहन अधिनियिम के तहत जिम्मेदारी भरोसेमंद सुबूतों से साबित होनी चाहिए। सिर्फ सहानुभूति के आधार पर कानून के सिद्धांतों को दरकिनार नहीं किया जा सकता।
यह टिप्पणी जस्टिस संजय करोल और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने की, जिसने कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली अपीलों को खारिज कर दिया।
हाई कोर्ट ने शिमोगा में मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण के एक आदेश को बरकरार रखा था, जिसने अगस्त, 2013 में एक सड़क दुर्घटना में मारे गए दो मोटरसाइकिल सवार लोगों के कानूनी प्रतिनिधियों की दावा याचिकाओं को खारिज कर दिया था। इस दुर्घटना में एक मोटरसाइकिल को कथित तौर पर तेज रफ्तार कैंटर लारी ने टक्कर मार दी थी।
शीर्ष अदालत ने कहा, ''हम मृतकों के परिवारों को हुए दुखद नुकसान से पूरी तरह वाकिफ हैं। जवान लोगों को खोने का दर्द बहुत अधिक होता है। लेकिन मोटर वाहन अधिनियम के तहत जिम्मेदारी भरोसेमंद सुबूतों के जरिये साबित होनी चाहिए।''
अदालत ने कहा कि सुबूतों की जांच करने के बाद हाई कोर्ट और न्यायाधिकरण ने पाया कि अपीलकर्ता दुर्घटना में आरोपित वाहन की संलिप्तता साबित करने में नाकाम रहे हैं। मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि जिस गाड़ी पर आरोप है, उसे कोई नुकसान नहीं हुआ।

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