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    अब कस्टमर को कॉल करने से पहले अनुमति लेंगे बैंक, Spam Call को रोकने के लिए नई पहल

    Updated: Thu, 16 Oct 2025 10:00 PM (IST)

    स्पैम कॉल और साइबर फ्रॉड को रोकने के लिए यूआरएल और ओटीटी लिंक की व्हाइटलिस्टिंग अनिवार्य करने पर विचार किया जा रहा है। ट्राई द्वारा बुलाई गई संयुक्त समिति की बैठक में इस पर गंभीरता से विचार किया गया। स्पैम कॉल रोकने के लिए डिजिटल मंजूरी लेने के फैसले पर भी समीक्षा हुई। पायलट प्रोजेक्ट के पूरा होने पर, केवल मंजूरी देने वाले ग्राहकों को ही कॉमर्शियल कॉल आएंगे।

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    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। स्पैम कॉल और साइबर फ्रॉड को रोकने के लिए आने वाले समय में यूआरएल (यूनिफॉर्म रिसोर्स लोकेटर) और ओवर द टॉप (ओटीटी) लिंक की व्हाइटलिस्टिंग को अनिवार्य किया जा सकता है।

    यूआरएल की व्हाइटलिस्टिंग के बाद किसी लिंक को मंजूरी प्राप्त सूची के लोग ही खोल सकते हैं, बाकी के लोग उस लिंक को नहीं खोल पाएंगे। जिन्हें उसकी मंजूरी नहीं होगी, उनके क्लिक करने पर अपने आप लिंक खुलने से इन्कार कर देगा। इस प्रकार की सुविधा को अनिवार्य करने से कई महत्वपूर्ण लिंक को विदेश में बैठे हैकर खोल नहीं पाएंगे।

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    संयुक्त समिति की बैठक बुलाई गई थी

    गुरुवार को साइबर फ्रॉड और स्पैम कॉल की रोकथाम के लिए भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) की तरफ से नियामकों की संयुक्त समिति की बैठक बुलाई गई थी, जिसमें यूआरएल और ओटीटी लिंक की व्हाइटलिस्टिंग को अनिवार्य करने पर गंभीरता से विचार किया गया।

    इस समिति में आरबीआई, सेबी, पेंशन नियामक प्राधिकरण, संचार विभाग, गृह मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिक्स व आईटी मंत्रालय, उपभोक्ता मंत्रालय के प्रतिनिधि शामिल हैं। बैठक में स्पैम कॉल को रोकने के लिए कॉल से पहले ग्राहकों से डिजिटल मंजूरी लेने के फैसले पर अमल की प्रगति की भी समीक्षा की गई।

    स्पैम कॉल को रोकने के लिए इन दिनों डिजिटल कंसेंट एक्विजिशन को लेकर पायलट प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है। इसके तहत कॉमर्शियल काल करने के लिए ग्राहकों से डिजिटल रूप में मंजूरी लेने का काम किया जा रहा है। चयनित 11 बैंकों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में डिजिटल मंजूरी का काम चल रहा है और अगले साल फरवरी में पायलट प्रोजेक्ट के पूरा होने की संभावना है।

    मंजूरी के बाद ही आ सकेंगे कॉमर्शियल कॉल

    इस साल जुलाई में समिति की बैठक में ग्राहकों से डिजिटल मंजूरी लेने का फैसला किया गया था। सभी जगहों पर इस फैसले को लागू करने के बाद सिर्फ उन्हीं व्यक्ति के पास कॉमर्शियल कॉल आ सकेंगे, जिन्होंने इसकी मंजूरी दी है।

    समिति की बैठक में उन सभी संस्थाओं के नाम को ट्राई और टेलीकॉम कंपनियों की वेबसाइट पर जारी करने की बात की गई जिन्हें स्पैम या बिना इजाजत के कॉमर्शियल कॉल करने के कारण काली सूची में डाल दिया गया है। समिति के सदस्यों ने कहा कि इन संस्थाओं को सार्वजनिक करने से स्पैम कॉल पर लगाम लगाने में और मदद मिलेगी।