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    उत्तराखंड में हटा राष्ट्रपति शासन, रावत ने आज बुलाई कैबिनेट की बैठक

    By kishor joshiEdited By:
    Updated: Thu, 12 May 2016 07:24 AM (IST)

    पिछले डेढ़ माह से उत्तराखंड में चल रहे सियासी संकट का आज इस बात के साथ अंत हो गया जब सुप्रीम कोर्ट कहा कि हरीश रावत सीएम के रूप में कार्यभार ग्रहण कर सकते हैं।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कांग्रेस को सुप्रीमकोर्ट से बड़ी जीत मिली है। उत्तराखंड में हरीश रावत की अगुवाई में कांग्रेस की सरकार फिर सत्ता संभालेगी। हरीश रावत ने सदन मे बहुमत साबित कर मुख्यमंत्री पद पर अपनी दावेदारी पक्की कर ली है। बुधवार को सुप्रीमकोर्ट ने फ्लोर टेस्ट के नतीजे देखने के बाद राज्य से राष्ट्रपति शासन हटाने और हरीश रावत सरकार की पुर्न बहाली को मंजूरी दे दी।

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    सुप्रीमकोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद राज्य से राष्ट्रपति शासन हटा ली गई। हरीश रावत गुरुवार की सुबह 9 बजे उत्तराखंड सचिवालय में कैबिनेट की मिटिंग बुलाई है।

    रावत सरकार की वापसी की रूपरेखा तो मंगलवार को सदन में हुए फ्लोर टेस्ट के बाद ही तय हो गई थी। बुधवार को सुप्रीमकोर्ट मे उसकी औपचारिक घोषणा भी हो गई। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा व न्यायमूर्ति शिवकीर्ति सिंह की पीठ ने प्रिंसपल सिकरेट्री लेजिस्लेटिव एंड पार्लियामेंट्री अफेयर्स जयदेव सिंह की ओर से सील बंद लिफाफे में पेश की गई उत्तराखंड विधानसभा की फ्लोर टेस्ट की कार्रवाही और रिकार्ड देखा।

    पीठ ने रिकार्ड देखने के बाद कहा कि पूरी प्रक्रिया नियमित ढंग से हुई है। कोई अनियमितता नही हुई। हरीश रावत को 61 में से 33 मत मिले हैं। 9 विधायक अयोग्यता के चलते मतदान नहीं कर सके।

    फ्लोर टेस्ट में हरीश रावत के बहुमत साबित कर दिये जाने के बाद केंद्र सरकार की ओर से पेश अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि साफ है कि रावत ने अपना बहुमत साबित कर दिया है। उन्हें सरकार की ओर से निर्देश मिला है कि सरकार आज ही उत्तराखंड से राष्ट्रपति शासन हटाना चाहती है और राष्ट्रपति शासन हटते ही तत्काल प्रभाव से हरीश रावत की सरकार बहाल हो जाएगी। रोहतगी ने कहा कि कोर्ट ने राष्ट्रपति शासन हटाने से पहले मंजूरी लेने को कहा था इसीलिए वे अनुमति मांग रहे हैं। हरीश रावत के वकील कपिल सिब्बल ने अटार्नी के रुख की सराहना की।

    पढ़ें- उत्तराखंड से उत्साहित कांग्रेस ने रोकी राज्य सभा की कार्यवाही

    पीठ ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि वे अपने 22 अप्रैल के आदेश में संशोधन करते हैं ताकि लोकतंत्र की बहाली हो। मालूम हो कि गत 22 अप्रैल को सुप्रीमकोर्ट ने राष्ट्रपति शासन रद करने और हरीश रावत सरकार बहाल करने के हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी। पीठ ने अनुरोध स्वीकार करते हुए सरकार को राष्ट्रपति शासन हटाने की छूट दे दी। कोर्ट ने कहा कि सरकार राष्ट्रपति शासन हटाने का आदेश शुक्रवार को कोर्ट में पेश करेगी उसके बाद कोर्ट राष्ट्रपति शासन रद करने के हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली केंद्र की विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई की तिथि तय करेगा। पीठ ने कहा कि राष्ट्रपति शासन हट जाएगा और उसके बाद हरीश रावत मुख्यमंत्री पद संभाल लेंगे लेकिन राष्ट्रपति शासन लगाना उचित था कि नहीं इस मुद्दे पर कोर्ट आगे सुनवाई करेगा।

    उधर अयोग्य विधायक शैला रानी रावत के वकील एमएल शर्मा ने फ्लोर टेस्ट पर आपत्ति उठाते हुए कहा कि 26 मार्च और 10 मई में अंतर था। 26 मार्च को विधायक अयोग्य नहीं ठहराए गए थे। उन्होंने यह भी कहा कि 27 मार्च को स्पीकर ने विधायकों को अयोग्य ठहराया है जबकि 27 मार्च को राष्ट्रपति शासन लग गया था। राष्ट्रपति शासन लगने के बाद स्पीकर कार्यवाही नहीं कर सकते। इन दलीलों पर कोर्ट ने कहा कि मान लो बाद में कोर्ट विधायकों की अयोग्यता रद कर देता है तो क्या दोबारा फ्लोर टेस्ट नहीं हो सकता। पीठ ने शर्मा की याचिका पर विचार करने से इन्कार कर दिया जिसके बाद शर्मा ने याचिका वापस ले ली। कोर्ट ने कहा कि अयोग्य विधायकों की अयोग्यता पर अंतरिम रोक लगाने की मांग कोर्ट ने गत 9 मई को ठुकरा दी थी और मामले पर सुनवाई के लिए 12 जुलाई की तिथि तय की थी। इसका क्या प्रभाव होगा इस पर कोर्ट तभी विचार करेगा। फिलहाल वे इस पर कोई मत प्रकट नहीं कर रहे हैं।

    पढ़ें- कांग्रेस का दावाः उत्तराखंड में हरीश रावत ने पास किया फ्लोर टेस्ट, 33 मत मिले

    उत्तराखंड के सियासी घटनाक्रम पर एक नजर

    • 18 मार्च को राज्य विधानसभा में विनियोग विधेयक पर विपक्षी पार्टी भाजपा ने मत विभाजन की की मांग की जिसका कांग्रेस के नौ विधायकों ने समर्थन किया,जिसके बाद प्रदेश में राजनैतिक संकट पैदा हो गया।
    • राज्यपाल ने हरीश रावत सरकार को 28 मार्च को बहुमत साबित करने को कहा।
    • इसके बाद एक निजी चैनल ने एक स्टिंग ऑपरेशन किया जिसमें मुख्यमंत्री रावत खुद 28 मार्च को होने वाले विश्वास मत हासिल करने के लिए पार्टी के बागी विधायकों के साथ कथित तौर पर सौदेबाजी करते नजर आए।
    • केंद्र ने इसी को आधार बनाते हुए फ्लोर टेस्ट से एक दिन यानि 27 मार्च को राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया।
    • कांग्रेस ने राष्ट्रपति शासन के खिलाफ उत्तराखंड हाई कोर्ट की एकल पीठ में अपील की। कोर्ट ने अपने फ़ैसले में बहुमत साबित करने की तारीख आगे बढ़ाकर 31 मार्च कर दी।
    • राज्य द्वारा दायर की गई अपील के विरोध में केंद्र ने उत्तराखंड हाई कोर्ट की डबल बेंच में अपील की जिसके बाद कोर्ट ने 30 मार्च को शक्ति परीक्षण के अपने ही आदेश पर रोक लगा दी और सुनवाई की तारीख 6 अप्रैल तय कर दी।
    • नैनीताल हाईकोर्ट ने 21 अप्रैल को राज्य से राष्ट्रपति शासन हटाने का आदेश दिया और कहा कि राज्य में 18 मार्च से पहले की स्थिति बनी रहेगी
    • केंद्र ने इस फ़ैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की और बहुमत को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगा दिया।
    • इसके साथ कोर्ट ने हरीश रावत को 29 अप्रैल को विधानसभा में बहुमत साबित करने का भी आदेश दे दिया। कोर्ट ने कांग्रेस के नौ बागी विधायकों की सदस्यता समाप्त किए जाने के आदेश को बरकरार रखा।
    • 6 मई को सुप्रीम कोर्ट कहा कि हरीश रावत 10 मई को फ्लोर टेस्ट देंगे और इस दौरान कांग्रेस के 9 बागी विधायक वोटिंग में हिस्सा नहीं लें सकेंगे।
    • 10 मई को राज्य के मुख्य सचिव की देखरेख में उत्तराखंड विधानसभा में फ्लोर टेस्ट हुआ मतों को सीलबंद कर सुप्रीम कोर्ट के लिए भेज दिया गया
    • 11 मई 2016 को सुप्रीम ने पाया कि रावत सरकार के पक्ष में 33 और विपक्ष में 28 मत मिले हैं और इस तरह उत्तराखंड में चल रहे सियासी संकट का अंत हो गया। इसके बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन हटाने के लिए राष्ट्रपति से सिफारिश कर दी।