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    राष्ट्रपति चुनाव में अहम हो सकती है दूसरी वरीयता

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    Updated: Sun, 17 Jun 2012 08:41 PM (IST)

    नई दिल्ली [माला दीक्षित]। राष्ट्रपति चुनाव के लिए तय लग रहे मुकाबले मे दूसरी वरीयता के वोटो का गणित अहम साबित हो सकता है। अगर संप्रग प्रत्याशी प्रणब म ...और पढ़ें

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    नई दिल्ली [माला दीक्षित]। राष्ट्रपति चुनाव के लिए तय लग रहे मुकाबले में दूसरी वरीयता के वोटों का गणित अहम साबित हो सकता है। अगर संप्रग प्रत्याशी प्रणब मुखर्जी को दूसरी ओर से कड़ी टक्कर देने वाला कोई मजबूत उम्मीदवार मैदान में उतरता है तो 1969 की तरह राष्ट्रपति तय करने में निर्णायक साबित हो सकता है। राजग अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी इस बार के राष्ट्रपति चुनाव की तुलना 1969 से कर इसके संकेत भी दे चुके हैं।

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    अगर समीकरण बहुत नहीं बदलते हैं तो मुखर्जी व पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पीए संगमा में टक्कर हो सकती है। मुखर्जी के नाम पर राजग में सहमति नहीं बनना व संगमा का मैदान में डटे रहने की घोषणा द्वितीय वरीयता के गणित को रास्ता दे रही है। हालांकि, अभी तक सिर्फ एक बार 1969 में द्वितीय वरीयता निर्णायक साबित हुई है। उस समय वीवी गिरि द्वितीय वरीयता की गिनती में जीते थे। गिरि के खिलाफ राष्ट्रपति चुनाव लड़ने वाले सुप्रीम कोर्ट के वकील चरण लाल साहू कहते हैं कि कोई बड़ी बात नहीं, इस बार भी द्वितीय वरीयता निर्णायक साबित हो।

    विपक्ष यदि प्रणब के खिलाफ एकजुट हो व आदिवासी वर्ग का होने के कारण दूसरी वरीयता में पीए संगमा को क्रॉस वोट मिल जाएं तो मुकाबला रोचक हो सकता है। मसलन 1969 में कांग्रेस के उम्मीदवार नीलम संजीव रेड्डी थे और वीवी गिरि निर्दलीय थे। कांग्रेस दो धड़ों में बंट चुकी थी। एक पुरानी कांग्रेस, जिसके मुखिया मोरार जी थे। दूसरी नई जिसकी कर्ताधर्ता इंदिरा गांधी थीं। राष्ट्रपति चुनाव में पार्टी व्हिप लागू नहीं होने का फायदा उठाते हुए इंदिरा ने कांग्रेसियों से आत्मा की आवाज पर मत देने की अपील की। नतीजतन वीवी गिरि को दूसरी वरीयता में ज्यादा मत मिले और वह विजयी हुए।

    क्या है द्वितीय वरीयता

    राष्ट्रपति चुनाव में हर मतदाता को दो मत देने का अधिकार होता है। पहली वरीयता व दूसरी वरीयता। जब पहली वरीयता की गिनती में 50 फीसदी से कम वोट मिलते हैं, तब दूसरी वरीयता के मतों की गिनती की जाती है। दूसरी वरीयता की गिनती में जिसके मत ज्यादा आते हैं उसे ही विजयी घोषित किया जाता है।

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