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    राष्ट्रपति ने दुष्कर्म एवं हत्या के दोषी व्यक्ति की दया याचिका की खारिज, 2012 की है घटना

    Updated: Sun, 14 Dec 2025 06:29 PM (IST)

    राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने 2012 में महाराष्ट्र में दो वर्षीय बच्ची के अपहरण, दुष्कर्म और हत्या के दोषी रवि अशोक घुमारे की दया याचिका खारिज कर दी है। ...और पढ़ें

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    राष्ट्रपति ने दुष्कर्म एवं हत्या के दोषी व्यक्ति की दया याचिका खारिज की (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने वर्ष 2012 में महाराष्ट्र में दो वर्षीय बच्ची के अपहरण, दुष्कर्म और हत्या के दोषी व्यक्ति रवि अशोक घुमारे की दया याचिका खारिज कर दी है। 25 जुलाई, 2022 को पदभार ग्रहण करने के बाद राष्ट्रपति द्वारा खारिज की गई यह तीसरी दया याचिका है।

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    अधिकारियों ने रविवार को बताया कि राष्ट्रपति भवन द्वारा जारी की गई दया याचिका की स्थिति के अनुसार, घुमारे की दया याचिका को राष्ट्रपति ने छह नवंबर, 2025 को खारिज कर दिया था। अभियोजन पक्ष के अनुसार, यह घटना छह मार्च, 2012 को महाराष्ट्र के जालना शहर के इंदिरा नगर इलाके में घटी थी।

    सुप्रीम कोर्ट ने भी दी थी मौत की सजा

    घुमारे ने पीडि़ता को चॉकलेट का लालच देकर फंसाया था। ट्रायल कोर्ट ने उसे दोषी पाया और 16 सितंबर, 2015 को मौत की सजा सुनाई। जनवरी 2016 में बांबे हाईकोर्ट ने उसकी मौत की सजा को बरकरार रखा।

    सुप्रीम कोर्ट ने भी तीन अक्टूबर, 2019 को रवि अशोक घुमारे को दी गई मौत की सजा को बरकरार रखते हुए कहा था कि उसका अपनी ''कामुक इच्छाओं'' पर कोई नियंत्रण नहीं था और उसने अपनी यौन भूख को शांत करने के लिए सभी प्राकृतिक, सामाजिक और कानूनी सीमाओं को पार कर दिया था।

    अपने फैसले में जस्टिस सूर्यकांत (जो अब भारत के चीफ जस्टिस हैं) की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने 2:1 के बहुमत से कहा था कि उस व्यक्ति ने एक ऐसे जीवन को ''निर्दयतापूर्वक समाप्त'' कर दिया जिसका अभी खिलना बाकी था और दो वर्षीय बच्ची के साथ घिनौना अपराध करने का उसका कृत्य ''एक गंदी और विकृत मानसिकता को दर्शाता है, जो क्रूरता की एक भयावह कहानी को प्रदर्शित करता है''।

    फैसले में क्या कहा गया?

    जस्टिस सूर्यकांत ने फैसला लिखते हुए कहा था, ''यह देखा जा सकता है कि पीडि़ता मुश्किल से दो साल की बच्ची थी जिसे अपीलकर्ता (रवि) ने अगवा कर लिया और चार से पांच घंटे तक उसका उत्पीड़न करता रहा जब तक कि उसकी मृत्यु नहीं हो गई।''

    फैसले में कहा गया कि अपीलकर्ता ने बच्ची को पिता तुल्य प्रेम, स्नेह और समाज की बुराइयों से सुरक्षा देने के बजाय, उसे वासना का शिकार बनाया। 'यह विश्वासघात का मामला है, जिसमें सामाजिक मूल्यों को ठेस पहुंची है। दो साल की बच्ची के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध एक गंदी और विकृत मानसिकता को दर्शाता है, जो क्रूरता की एक भयावह कहानी बयां करता है।'

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