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    'वह किसी से मांगता नहीं इसलिए...', आदिवासी वर्ग की स्थिति को लेकर राष्ट्रपति मुर्मु का छलका दर्द

    Updated: Fri, 17 Oct 2025 10:00 PM (IST)

    राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आदिवासी समुदाय के उत्थान पर आयोजित कार्यक्रम में कहा कि आदिवासी स्वाभिमान से जीते हैं और किसी से मांगते नहीं। इसलिए वे आज भी वहीं हैं जहाँ पहले थे। उन्होंने वर्तमान सरकार के प्रयासों की सराहना की और आदिवासी समुदाय से विकसित भारत के लक्ष्य में योगदान देने की उम्मीद जताई। उन्होंने कहा कि आदिवासियों को खुद भी अपने और अपने समाज के लिए सोचना होगा।

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    राष्ट्रपति मुर्मु ने व्यक्त की आदिवासियों की पीड़ा। फाइल फोटो

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जनजातीय समुदाय से ही आने वालीं राष्ट्रपति द्रौपदीमुर्मु जब इस वर्ग के उत्थान की चर्चा के लिए आयोजित कार्यक्रम में पहुंचीं तो मन की पीड़ा भी बाहर आ गई। आदिवासियों के चरित्र की चर्चा करते हुए बोलीं कि यह वर्ग स्वाभिमान के साथ जीता है। वह किसी से मांगता नहीं है, इसलिए देश की स्वतंत्रता के 75 वर्ष से अधिक पूरे होने के बाद भी वह वहीं है, जहां आदिमकाल में था। हालांकि, राष्ट्रपति ने वर्तमान सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यों-प्रयासों की सराहना की और उम्मीद जताई कि आदिवासी समुदाय भी विकसित भारत के लक्ष्य में अपना योगदान देगा।

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    राष्ट्रपति मुर्मु ने व्यक्त की आदिवासियों की पीड़ा

    जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में शुक्रवार को आदि कर्मयोगी नेशनल कान्क्लेव आयोजित किया गया। दिनभर विभिन्न सत्रों में मोदी सरकार द्वारा चलाए जा रहे आदि कर्मयोगी अभियान, धरती आबाजनभागीदारी अभियान, आदि सेवा पर्व के परिणामों पर चर्चा की गई। विभिन्न मंत्रालयों की योजनाओं पर प्रकाश डाला गया। साथ ही संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों ने 50 हजार से अधिक आदिवासी गांवों के विलेजएक्शनप्लान से संदर्भ लेते हुए आदिवासी गांव विजन- 2030 बनाने पर मंथन किया।

    शाम को समापन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि राष्ट्रपति मुर्मु शामिल हुईं। विभिन्न श्रेणियों के विजेताओं को पुरस्कृत करने के साथ ही उन्होंने अपने मन के विचार भी रखे। राष्ट्रपति ने कहा कि आदिवासी का चरित्र ऐसा है कि वह स्वाभिमान से जीता है, वह मांगता नहीं है। गांव में सड़क है या नहीं, बिजली पहुंची या नहीं। सरकार जो सुविधा दे रही है वह ठीक, नहीं दे रही तो भी ठीक। उन्होंने कहा कि सरकार आज कई सुविधाएं दे रही है, लेकिन किसी के पास पहुंच रही हैं और किसी के पास नहीं।

    राष्ट्रपति ने खुलकर अपनी बात रखने में शायद कुछ संकोच भी किया। जैसे कि उन्होंने कहा कि आज सरकार ने आदिवासियों के लिए आवास की व्यवस्था की है, लेकिन बहुत सी चीजें हैं, जो हम बोल नहीं सकते। हालांकि वर्तमान केंद्र सरकार के प्रयासों की उन्होंने सराहना की औरकहाकिआजसरकार आदिवासियों के लिए काम कर रही है, लेकिन इस समुदाय को सिखाना होगा कि उनके लिए सोचना सिर्फ सरकार का काम नहीं है। उन्हें खुद भी अपने और अपने समाज के लिए सोचना होगा। राष्ट्रपति ने कहा कि एक पूर्वप्रधानमंत्री कहा करते थे कि भारत कोई जमीन का टुकड़ा नहीं, बल्कि राष्ट्र पुरुष भारत राष्ट्र पुरुष है, इसलिए सिर्फ चेहरा और हाथ सुंदर दिखाने से कुछ नहीं होगासभी अंगों पर ध्यान देना होगाजनजातीय कार्यमंत्री जुएल ओरांव और राज्यमंत्री दुर्गादास उईके ने भी विचार रखे।

    आदिवासी हित में काम के लिए इन्हें मिला पुरस्कार

    पुरस्कृत मंत्रालय- ग्रामीण विकास मंत्रालय, ऊर्जा मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, जल शक्ति मंत्रालय।--पीएम जनमन पुरस्कृत राज्य- गुजरात, उत्तराखंड, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, त्रिपुरा पुरस्कृत जिले- धमतरी- छत्तीसगढ़, नार्थत्रिपुरा- त्रिपुरा, शिवपुरी- म.प्र., उधम सिंह नगर - उत्तराखंड, नवसारी- गुजरात--आदि कर्मयोगी अभियान पुरस्कृत राज्य- झारखंड, म.प्र., ओडिशा, आंध्र प्रदेश पुरस्कृत जिले- पाकुड़- झारखंड, बेतुल- म.प्र., मयुरभंज- ओडिशा, वलसाड़- गुजरात, बांदीपोर- जम्मू-कश्मीर, गढ़चिरौली- महाराष्ट्र--धरती आबाजन भागीदारी अभियान पुरस्कृत राज्य- महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान पुरस्कृत जिले- सरायकेला- झारखंड, कोरबा- छत्तीसगढ़, एएसआर- आंध्र प्रदेश, सेनापति- मणिपुर