अंतरिक्ष में बढ़ेगी भारत की ताकत, इसरो के लिए इंजन बनाएगा HAL; जानें क्यों खास है क्रायोजेनिक इंजन निर्माण केंद्र
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा स्थापित एकीकृत क्रायोजेनिक इंजन निर्माण केंद्र (ICMF) का मंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उद्घाटन किया। क्रायोजेनिक इंजन निर्माण केंद्र भारत के लिए काफी खास है। यहां रॉकेट इंजन का उत्पादन किया जा सकेगा।
बेंगलुरु, एजेंसी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने बेंगलुरु में HAL द्वारा स्थापित एकीकृत क्रायोजेनिक इंजन निर्माण केंद्र (ICMF) का उद्घाटन किया। यहां भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के लिए एक ही स्थान पर पूरे रॉकेट इंजन का उत्पादन किया जा सकेगा। इस मौके पर कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत, मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई, इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ, एचएएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक सी बी अनंतकृष्णन कार्यक्रम में उपस्थित थे।
4,500 वर्ग मीटर क्षेत्र में तैयार हुआ केंद्र
दरअसल, HAL द्वारा स्थापित एकीकृत क्रायोजेनिक इंजन निर्माण केंद्र (ICMF) का निर्माण 4,500 वर्ग मीटर क्षेत्र में किया गया है। यहां भारतीय रॉकेटों के क्रायोजेनिक (सीई20) और सेमी-क्रायोजेनिक (एसई2000) इंजनों के निर्माण के लिए 70 से ज्यादा हाईटेक उपकरण और परीक्षण सुविधाएं होंगी।
2013 में सहमति पत्र पर हुआ था हस्ताक्षर
बता दें कि साल 2013 में HAL की अंतरिक्ष विज्ञान डिवीजन में क्रायोजेनिक इंजन मॉड्यूल का निर्माण केंद्र स्थापित करने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के साथ एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए गए थे। हालांकि, 2016 में इसमें संशोधन कर 208 करोड़ रुपये के निवेश के साथ आईसीएमएफ की स्थापना का लक्ष्य रखा गया था।
भारत के लिए क्यों हैं खास
बेंगलुरु में स्थित HAL ने सोमवार को एक बयान में कहा था कि विनिर्माण और असेंबलिंग की आवश्यकता के लिए सभी महत्वपूर्ण उपकरणों को प्राप्त करने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इसके अलावा निर्माण पूर्व गतिविधियां भी शुरू हो गई हैं। इस संयंत्र में मार्च 2023 से माड्यूल तैयार होने शुरू हो जाएंगे। HAL, इसरो के लिए लिक्विड प्रोपेलेंट टैंक और पीएसएलवी, जीएसएलवी इत्यादि के लिए लॉन्च व्हीकल के स्ट्रक्चर का निर्माण भी करता है।
इन देशों ने हासिल की महारत
HAL ने बयान में कहा है कि क्रायोजेनिक इंजन दुनिया भर में लॉन्च वाहनों में सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले इंजन हैं। क्रायोजेनिक इंजन की जटिलता के कारण आज तक केवल कुछ ही देश इसमें महारत हासिल कर पाए हैं। जिनमें अमेरिका, फ्रांस, जापान, चीन और रूस शामिल हैं। बता दें कि 5 जनवरी 2014 को भारत ने क्रायोजेनिक इंजन के साथ जीएसएलवी-डी5 को सफलतापूर्वक उड़ाया और क्रायोजेनिक इंजन विकसित करने वाला छठा देश बन गया है।
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