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    पड़ोसी राज्यों में कोयले के उपयोग को खत्म करने की तैयारी, नए थर्मल पावर प्लांट लगाने पर रोक लगा सकती है सरकार

    By SANJEEV KUMAR GUPTAEdited By: Jeet Kumar
    Updated: Sat, 13 Dec 2025 05:57 AM (IST)

    एनसीआर की सीमा से परे जाकर, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) चार पड़ोसी राज्यों में उद्योगों में कोयले के उपयोग को पूरी तरह खत्म करने के प्रयासो ...और पढ़ें

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    पड़ोसी राज्यों में कोयले के उपयोग को खत्म करने की तैयारी (सांकेतिक तस्वीर)

    संजीव गुप्ता, जागरण, नई दिल्लीएनसीआर की सीमा से परे जाकर, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) चार पड़ोसी राज्यों में उद्योगों में कोयले के उपयोग को पूरी तरह खत्म करने के प्रयासों में जुट गया है।

    आयोग ने इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट को भी अवगत कराया है। आगामी कुछ महीनों के दौरान चरणबद्ध रूप में इसके परिणाम देखने को मिल सकते हैं। प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए इसे बड़ा कदम माना जा रहा है।

    सीएक्यूएम ने 19 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट को प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए कुछ उपायों की सूची दी है। उसमें दिल्ली से सटे राज्यों के गैर-एनसीआर वाले जिलों में उद्योगों में कोयले के उपयोग पर रोक लगाने का सुझाव दिया है। यह अन्य उत्सर्जन स्त्रोतों के साथ-साथ गैर-एनसीआर क्षेत्रों में प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों पर भी ध्यान केंद्रित करने की दिशा में बड़े बदलाव का संकेत है।

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    अभी तक, एनसीआर क्षेत्रों से परे वायु प्रदूषण के स्त्रोतों के खिलाफ कार्रवाई पराली जलाने, ईंट भट्टों व थर्मल पावर प्लांटों से होने वाले उत्सर्जन पर केंद्रित थी। राज्यों से मांगी कार्ययोजनासुप्रीम कोर्ट को अवगत कराने के बाद सीएक्यूम ने हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और पंजाब से कहा है कि वे एनसीआर से बाहर के उन शहरों मे भी उद्योगों में कोयले के प्रयोग पर रोक लगाएं, जो दिल्ली के 300 किमी के दायरे में आते हैं।

    इसके लिए आयोग ने राज्यों से तीन माह में कार्ययोजना बनाकर पेश करने के लिए कहा है। सीएक्यूएम के एक सूत्र ने बताया कि एनसीआर से बाहर के क्षेत्रों में जहां कोयले का उपयोग अब भी मुख्य ईंधन के रूप में किया जाता है, वहां इस्पात मिलें, सिरेमिक इकाइयां, सीमेंट इकाइयां, कागज और लुगदी मिल, कपड़ा उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग और ईंट भट्टे शामिल हैं।

    अगस्त 2024 में एनजीटी में सीएक्यूएम द्वारा दायर एक हलफनामे के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर में 7,759 ईंधन-आधारित उद्योगों में से 7,449 को अनुमोदित, स्वच्छ ईंधनों में परिवर्तित कर दिया गया है, जबकि शेष 310 को या तो निर्देशों के माध्यम से या संचालकों द्वारा स्वयं बंद कर दिया गया है। प्राकृतिक गैस, बिजली, जैव ईंधन और बायोमास सीएक्यूएम द्वारा अनुमोदित ईंधनों में शामिल हैं।

    दिल्ली के 300 किमी के दायरे में 11 थर्मल पावर प्लांट

    सीएक्यूएम ने शीर्ष अदालत को अन्य महत्वपूर्ण दीर्घकालिक उपायों के साथ यह भी प्रस्तावित किया है कि दिल्ली से 300 किमी के दायरे में और आवश्यकता पड़ने पर नए थर्मल पावर प्लांट स्थापित करने पर रोक लगाई जानी चाहिए।

    सीएक्यूएम सूत्रों ने बताया कि वह इस मुद्दे पर विद्युत मंत्रालय से चर्चा करेगा, जिसमें कोयला आधारित संयंत्रों को गैस आधारित संयंत्रों में परिवर्तित करने की संभावना भी शामिल है। दिल्ली के 300 किमी के दायरे में 11 थर्मल पावर प्लांट हैं, जिनमें 35 इकाइयां हैं और स्थापित क्षमता 13,575 मेगावाट है।