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प्री-डायबिटिक रोगी घबराएं नहीं, बेहद आसान है इसका इलाज; जानें लक्षण और बचाव

प्री-डायबिटीज ऐसी डायबिटीज को कहा जाता है जो टाइप-2 डायबिटीज से पहले होती है। लेकिन प्री-डायबिटीज के मरीजों में इसके लक्षण नजर नहीँ आते।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 18 Jul 2019 11:47 AM (IST)Updated: Thu, 18 Jul 2019 12:42 PM (IST)
प्री-डायबिटिक रोगी घबराएं नहीं, बेहद आसान है इसका इलाज; जानें लक्षण और बचाव
प्री-डायबिटिक रोगी घबराएं नहीं, बेहद आसान है इसका इलाज; जानें लक्षण और बचाव

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। आमतौर पर लोगों के बीच यह धारणा है कि अगर आप प्रीडायबिटिक हैं तो डायबिटीज का शिकार होना तय है। हालिया शोध में इससे इतर नतीजा सामने आया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जीवनशैली सुधारकर ऐसे लोग भी आसानी से सामान्य जीवन जी सकते हैं। अध्ययनकर्ताओं ने कहा कि प्रीडायबिटिक लोगों के खून में शुगर की मात्रा ज्यादा होती है। ऐसे लोगों को खानपान में मीठे की मात्रा कम रखनी चाहिए। इसके अलावा खानपान में फाइबर, अनाज और सब्जियों को शामिल करने और नियमित व्यायाम करने से भी प्रीडायबिटिक लोग डायबिटीज से बचे रह सकते हैं।

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अध्ययन में 918 लोगों को शामिल किया गया था। सभी की उम्र 60 साल से अधिक थी तथा सभी में प्रीडायबिटिक के लक्षण पाए गए थे। 12 साल तक अध्ययन के दौरान इनमें से केवल 13 फीसद लोगों को ही डायबिटीज हुआ। जीवनशैली में बदलाव के जरिये बाकी लोग इससे बचे रहने में सफल हुए।

प्री-डायबिटीज ऐसी डायबिटीज को कहा जाता है, जो टाइप-2 डायबिटीज से पहले होती है। लेकिन प्री-डायबिटीज के मरीजों में इसके लक्षण नजर नहीँ आते। इस तरह की डायबिटीज का मतलब है कि व्यक्ति को डायबिटीज तो है, लेकिन उसके ब्‍लड में ब्लड शुगर का स्तर इतना भी ज्यादा नहीं है कि टेस्‍ट के दौरान उसका पता लगाया जा सके।

प्री डायबिटीज के पांच लक्षण
किसी व्‍यक्ति को प्री डायबिटीज में कई परेशानी होती हैं। डायबिटीज होने से पहले के लक्षणों या कारणों को प्री डायबिटीज माना जाता है। प्री डायबिटीज में रोगी को अपना ध्‍यान रखना चाहिए और नियमित जांच कराते रहना चाहिए। प्री डायबिटीज रोगी को डायबिटीज के साथ ही दिल की बीमारी होने का खतरा भी बढ़ जाता है।

आनुवांशिक कारण
यदि आपके परिजनों को पहले से डायबिटीज है तो आपको डायबिटीज होने की आशंका बनी रहती है। यदि आपने ऐसे बच्‍चे को जन्‍म दिया है जिसका वजन 9 पाउंड से ज्‍यादा है तो आपको प्री डायबिटीज की समस्‍या हो सकती है। यदि आपकी उम्र 45 वर्ष से ज्‍यादा है और आपका अधिकतर समय बैठकर गुजरता है तो यह टाइप 2 डायबिटीज का कारण बन सकता है।

डायबिटीज जैसे लक्षण
कई लोगों को प्री डायबिटीज की समस्‍या होने पर भी उनमें इससे संबंधित लक्षण नहीं पाएं जाते। कई बार प्री डायबिटीज के रोगियों में डायबिटीज से मिलते-जुलते लक्षण जैसे ज्‍यादा प्‍यास लगना, थोड़ी- थोड़ी देर में पेशाब आना और कम काम करने या न करने पर भी थकान महसूस होने जैसे लक्षण पाएं जाते हैं।

पूरी नींद न ले पाना
जो लोग नियमित रूप से रात में छह घंटे से कम की नींद लेते हैं या उन्‍हें सोने में परेशानी होती है। मसलन सोने के दौरान बीच-बीच में नींद खुलती रहती है, ऐसे लोग भी प्री डायबिटीज के शिकार हो सकते हैं। सोने में परेशानी का कारण हार्मोन असंतुलन हो सकता है। ब्‍लड ग्‍लूकोज बढ़ने के कारण हार्मोन असंतुलन की समस्‍या होती है।

स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी समस्‍याएं
यदि आपको पहले से ही कोई स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी समस्‍या है तो यह शरीर में ब्‍लड ग्‍लूकोज का स्‍तर बढ़ने का कारण हो सकता है। यदि आप मोटापे का शिकार है या आपका बॉडी मॉस इंडेक्‍स (बीएमआई) 25 से ज्‍यादा है तब भी आपको प्री डायबिटीज हो सकती है। हाई कोलेस्‍ट्रॉल की समस्‍या या दिल संबंधी बीमारी होने पर भी प्री डायबिटीज हो सकती है।

त्‍वचा पर धब्‍बे बन जाना
जिन लोगों को प्री डायबिटीज होती है, उन्‍हें त्‍वचा संबंधी परेशानी भी हो सकती है। इस तरह की समस्‍या में शरीर के विभिन्‍न हिस्‍सों में त्‍वचा पर गहरे और काले धब्‍बे बन जाते हैं।

अगर आपको डायबिटीज हे तो आपकी फास्टिंग शुगर- 126 मि.ग्रा. से ज्यादा है और पी.पी. शुगर (खाने के 2 घन्टे बाद) 200 मि.ग्रा.से ज्यादा होती है। और अगर आपको डायबिटीज नहीं हैं लेकिन आप सामान्य भी नहीं हैं तो आपकी फास्टिंग शुगर-100 -126 मि.ग्रा. और पी.पी. शुगर (खाने के 2 घन्टे बाद) 140-200 मि.ग्रा. है तो यह प्री-डायबिटीज की अवस्था है। दूसरे शब्‍दों में, यदि ब्‍लड की जांच की जाए एवं खाली पेट ग्लूकोज का स्तर 100 से अधिक एवं भोजन या 75 ग्राम ग्लूकोज लेने के बाद 140 से अधिक होने लगे तो इसे प्री-डायबिटीज कहा जाता है। यानी अब आप डायबिटीज की कतार में हैं।

प्री-डायबिटीज की अवस्था क्‍यों खतरनाक है?
यह भविष्य में डायबिटीज होने की सूचना देता है। प्री-डायबिटीज वालों को भी डायबिटीज के दुष्परिणामों के होने का खतरा उतना ही रहता है।

इस अवस्था से बचने के लिए क्या करना चाहिए?
यह एक गोल्डन अवसर है। यदि इस समय बचाव के रास्तों को अपनाया जाये तो बीमारी को आगे रोका जा सकता है।

प्री-डायबिटीज के लक्षण
हालांकि प्री-डायबिटीज के ज्यादातर मरीजों में, लक्षण नजर नहीं आते। लेकिन कुछ लक्षणों से इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।

  • यूरिन आना
  • बेहोशी होना
  • धुंधला दिखाई देना
  • बहुत ज्यादा प्यास लगना

प्री-डायबिटीज से बचाव के उपाय

  • अगर आप स्‍मोकिंग करते हैं, तो इसे पूरी तरह से बंद कर दें। सिगरेट पीने से किसी भी व्यक्ति का शुगर लेवल एकाएक बढ़ जाता है और अगर डायबिटीज का कोई मरीज स्‍मोकिंग करता है, तो उसके शुगर लेवल में तुरंत ऐसा उछाल आता है जो उस मरीज को बहुत नुकसान पहुंचाता है।
  • वजन नियंत्रित होना चाहिए। यदि आप अपना वजन पांच से 10 प्रतिशत तक भी घटा लेते हैँ, तो इससे आपके स्वास्थ्य पर काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
  • आपका खानपान स्वस्थ होना चाहिए। शरीर में ज्यादा सोडियम होने से पानी का जमाव होता है जिससे रक्त का आयतन बढ़ जाता है जिसके कारण रक्तचाप बढ़ जाता है। भोजन में सोडियम की मात्रा कम करें, सामान्यतः 10 ग्राम नमक लोग एक दिन में खाते हैं। इसे कम करके 3 ग्राम तक कर देना चाहिए है। नमकीन चीजें जैसे नमकीन, आचार, पापड़ से पूरी तरह से परहेज करें।
  • यदि आपको हाई कोलेस्ट्रॉल या हाई ब्लड प्रेशर है, तो उसे भी नियंत्रण में रखें।
  • भोजन में पौटेशियम युक्त चीजें बढ़ा दें। डिब्बा बंद सामाग्री का इस्तेमाल न करें। साथ ही सैचुरेटेड फैट की मात्रा कम करें। इसके अलावा भोजन में कैल्शियम और मैगनिशियम की मात्रा भी संतुलित करें। फाइबर युक्‍त चीजों को सेवन बढ़ा दें जैसे फलों के छिलके, साग/चोकर युक्त आटा/इसबगोल आदि।
  • प्री-डायबिटीज को मात देने के लिए एक्‍सरसाइज भी बहुत जरुरी है, हफ्ते के पांच दिन कम से कम 30 मिनट तक एक्‍सरसाइज करने का नियम जरुर बनाएं इसकी शुरुआत आप 10 या 15 मिनट से भी कर सकते हैँ। खूब तेज लगातार 30 मिनट पैदल चलना सर्वोंत्तम एक्‍सरसाइज है। या योग/ध्यान/प्राणायाम को अपनी नियमित दिनचर्या में शामिल करें। लेकिन साथ ही ऐसा करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरुर ले।

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