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    कटाई के बाद फसल के नुकसान का जिलावार आकलन कराएगी सरकार, किसानों की बढ़ेगी आय; क्या है प्लान?

    Updated: Fri, 28 Nov 2025 08:47 PM (IST)

    भारत में कृषि उत्पादन बढ़ा है, पर कटाई के बाद उपज का नुकसान एक चुनौती है। किसानों की आय बढ़ाने के लिए, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय राष्ट्रव्यापी अध्ययन कराएगा, जिसमें जिलावार आंकड़े जुटाए जाएंगे। इसका उद्देश्य कटाई से पैकेजिंग तक सप्लाई चेन में होने वाले नुकसान का विश्लेषण करना है, ताकि नुकसान को कम करने के उपाय किए जा सकें।

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    कटाई बाद फसल के नुकसान का जिलावार आकलन कराएगी सरकार

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पिछले कुछ वर्षों में भारत ने कृषि उत्पादन में काफी मजबूती प्राप्त की है। कई प्रकार के कृषि उत्पादों में विश्व में भारत पहले, दूसरे और तीसरे स्थान पर है। इसके साथ-साथ खाद्य प्रसंस्कण उद्योग ने भी नौ वर्षों में 6.55 प्रतिशत की वृद्धि की है, लेकिन इसके बावजूद कटाई के बाद फसल या उपज का होने वाला नुकसान (पोस्ट हार्वेस्ट लास) चुनौती बना हुआ है।

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    सरकार मानती है कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए इस हानि को कम करना बहुत आवश्यक है। इसी उद्देश्य के साथ खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय राष्ट्रव्यापी अध्ययन कराने जा रहा है। इसमें जिलावार आंकड़े भी जुटाने की योजना बनाई गई है।

    उपज का नुकसान एक बड़ी चुनौती

    भारत में कृषि और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्रों के लिए कटाई के बाद होने वाला नुकसान एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। उत्पादन में पर्याप्त वृद्धि के बावजूद कटाई के बाद होने वाली उपज का एक बड़ा हिस्सा प्रबंधन, भंडारण, परिवहन, प्रसंस्करण और वितरण के दौरान नष्ट हो जाता है।

    सरकार का मानना है कि यह नुकसान न केवल किसानों की आय को प्रभावित करते हैं, बल्कि खाद्यान्न की समग्र उपलब्धता को भी कम करते हैं, जिससे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा और निर्यात प्रतिस्पर्धा प्रभावित होती है। यही कारण है कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय कृषि उपज के कटाई के बाद के प्रबंधन में सुधार के लिए योजनाएं बनाता है।

    किसानों की आय बढ़ाने पर विचार

    उन योजनाओं के प्रभाव के आकलन के लिए अब तक राष्ट्रीय स्तर पर वर्ष 2005-07, 2012-14 और वर्ष 2020-22 में अध्ययन कराया जा चुका है। तब से तकनीक व योजनाओं पर और भी काम हुआ है। ऐसे में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने अब चौथा अध्ययन कराने का निर्णय किया है।

    इसके लिए इच्छुक फर्मों से निविदाएं आमंत्रित की गई हैं। इस अध्ययन का मुख्य उद्देश्य कटाई, प्रबंधन, भंडारण, परिवहन आदि से लेकर प्रसंस्करण और पैके¨जग तक सप्लाई चेन के विभिन्न चरणों में भारत में प्रमुख कृषि उत्पादों की कटाई के बाद होने वाली हानियों का विश्लेषण करना है।

    खाद्य मंत्रालय कराएगा राष्ट्रव्यापी स्टडी

    अध्ययन के दौरान राष्ट्रीय स्तर के साथ ही राज्य और जिलावार, कृषि जलवायु क्षेत्रवार सप्लाई चेन में कृषि उपज के कटाई के बाद होने वाले नुकसान का आकलन किया जाएगा। प्रत्येक फसल के लिए कृषि जलवायु क्षेत्र व राज्यवार कटाई के बाद होने वाले नुकसान के साथ-साथ कम इसे कम करने के लिए आवश्यक कारण और प्रयासों को चिन्हित किया जाएगा।

    सप्लाई चेन में उन महत्वपूर्ण बिंदुओं की विशेष तौर पर पहचान की जाएगी, जहां नुकसान सबसे अधिक है। इतना ही नहीं, अन्य देशों की तुलना में भारत में मौजूदा कटाई के बाद प्रबंधन की व्यवस्थाओं और नीतियों का मूल्यांकन किया जाएगा।

    विशेषज्ञ उसी के अनुसार रोडमैप की सिफारिश करेंगे, जिस पर सरकार भविष्य की योजनाओं को आकार देगी। इस अध्ययन के लिए निविदा स्वीकृत हो जाने के बाद 18 माह की समय-सीमा तय की गई है।