गरीब कैदियों की सहायता के लिए हर जिले में बनेगी अधिकारप्राप्त समिति, गृह मंत्रालय ने जारी किए दिशानिर्देश
गृह मंत्रालय ने 'गरीब कैदियों को सहायता' योजना के कार्यान्वयन को सुव्यवस्थित करने के लिए दिशानिर्देशों में संशोधन किया है। प्रत्येक जिले में एक 'अधिका ...और पढ़ें

गरीब कैदियों की मदद के लिए गृह मंत्रालय ने जारी किए नए दिशा-निर्देश (सांकेतिक तस्वीर)
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। गृह मंत्रालय ने 'गरीब कैदियों को सहायता' योजना के त्वरित एवं प्रभावी कार्यान्वयन के लिए दो साल से अधिक पुराने दिशानिर्देशों और मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) की समीक्षा की है। साथ ही, इन्हें मजबूत तथा सुव्यवस्थित बनाने हेतु इनमें संशोधन किया है।
मंत्रालय ने कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अपर्याप्त तथा निम्न-स्तरीय क्रियान्वयन का हवाला दिया है जो इस योजना के मूल उद्देश्यों की प्राप्ति में सीधे तौर पर बाधा डाल रहा है। नए दिशानिर्देशों और एसओपी के अनुसार, राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के प्रत्येक जिले में एक 'अधिकारप्राप्त समिति' का गठन किया जाएगा।
इस समिति में जिला कलेक्टर या जिला मजिस्ट्रेट द्वारा नामित व्यक्ति, जिला विधि सेवा प्राधिकरण के सचिव, पुलिस अधीक्षक, संबंधित जेल के अधीक्षक या उप अधीक्षक और जिला न्यायाधीश द्वारा नामित संबंधित जेल के प्रभारी न्यायाधीश शामिल होंगे, जो पात्र कैदियों के मामलों पर विचार करेंगे।
नोडल अधिकारी नियुक्त कर सकती है समिति
उल्लेखनीय है कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव, 'अधिकारप्राप्त समिति' की बैठकों के संयोजक एवं प्रभारी होंगे। इसमें यह भी कहा गया है कि यह समिति एक नोडल अधिकारी नियुक्त कर सकती है और जरूरतमंद कैदियों के मामलों में सहायता के लिए जेल विजिटिंग लायर, पैरालीगल वालंटियर, नागरिक समाज प्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ता, जिला परिवीक्षा अधिकारी या किसी अन्य अधिकारी से सहायता ले सकती है।
अधिकारप्राप्त समिति प्रत्येक मामले में जमानत प्राप्त करने या जुर्माना अदा करने के लिए वित्तीय सहायता की आवश्यकता का आकलन करेगी और लिए गए निर्णय के आधार पर, राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के कारागार मुख्यालय के नोडल अधिकारी केंद्रीय नोडल एजेंसी (सीएनए) के खाते से धनराशि निकालेंगे और इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई करेंगे।
राज्य सरकार स्तर पर एक निगरानी समिति का गठन किया जा सकता है, जिसमें प्रधान सचिव (गृह/जेल), सचिव (कानून विभाग), सचिव, राज्य विधि सेवा प्राधिकरण, महानिदेशक या महानिरीक्षक (जेल) और उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल शामिल होंगे।
क्या हैं दिशा-निर्देश?
दिशा-निर्देश के अनुसार, जिला स्तरीय 'अधिकारप्राप्त समितियों' और 'निगरानी समिति' की संरचना केवल सांकेतिक प्रकृति की है। इसमें उल्लेख किया गया है कि 'कारागार या उनमें बंद व्यक्ति' 'राज्य-सूची' का विषय होने के कारण, संबंधित राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन द्वारा समितियों का गठन और अधिसूचना जारी की जा सकती है। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निधि सीएनए के माध्यम से उपलब्ध कराई जाएगी।'
2023 में शुरू की गई थी 'गरीब कैदियों को सहायता' योजना
वर्ष 2023 में शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य उन गरीब कैदियों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है, जिनकी रिहाई आर्थिक तंगी के कारण अदालत द्वारा लगाए गए जुर्माने का भुगतान करने या जमानत राशि देने में असमर्थता के चलते विलंबित हो रही है। मूल दिशानिर्देश और मानक संचालन प्रक्रियाओं 19 जून, 2023 को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को जारी की गई थी। गृह मंत्रालय ने दो दिसंबर को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों, कारागार एवं सुधार सेवाओं के महानिदेशकों और महानिरीक्षकों को संबोधित पत्र में स्वीकार किया था कि योजना के मूल उद्देश्यों की प्राप्ति में खराब कार्यान्वयन की बाधा आई है। (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

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