स्कूल बंद-WFH और BS फॉर्मूला... दिल्ली में प्रदूषण पर 'सुप्रीम' फैसले में आपके लिए क्या?
दिल्ली में प्रदूषण के स्तर को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कई महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए हैं। इनमें स्कूल बंद करने, वर्क फ्रॉम होम (WFH) को बढ़ावा देने ...और पढ़ें
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प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट सख्त। जागरण
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली में वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति पर संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने समस्या के व्यावहारिक और कारगर समाधानों पर विचार करने का आह्वान किया। शीर्ष अदालत ने कहा कि प्रदूषण को काबू करने के लिए तत्काल जरूरी उपायों के अलावा वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) दीर्घकालिक उपायों की रणनीति की समीक्षा कर उसे मजबूत करे ताकि अगले वर्ष ऐसी स्थिति न आए।
अगले वर्ष की तैयारी अभी से शुरू करने की बात कहते हुए सर्वोच्च अदालत ने कहा कि हर 15 दिन पर लगातार सुनवाई होगी। वायु प्रदूषण को देखते हुए शीर्ष अदालत ने बुधवार को कई अहम आदेश भी दिए जिनमें बीएस तीन और उससे नीचे स्तर के पुराने वाहनों को कार्रवाई से दी गई छूट अब समाप्त हो गई है। दिल्ली सीमा पर स्थित एमसीडी के नौ टोल बूथों को स्थानांतरित करने पर विचार होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने पुराने वाहनों को छूट के अपने गत 12 अगस्त के आदेश में संशोधन कर दिया है और अब सिर्फ बीएस चार और उससे ऊपर स्तर वाले डीजल के 10 साल पुराने और पेट्रोल के 15 साल पुराने वाहनों को ही कार्रवाई से छूट दी है। यानी बीएस तीन और उससे नीचे स्तर के पुराने वाहनों को मिली छूट समाप्त हो गई है और इन पर दंडात्मक कार्रवाई की तलवार लटक गई है।
कोर्ट ने दिल्ली की सीमा पर स्थिति नौ एमसीडी टोल बूथों को स्थानांतरित करने पर एनएचएआइ और एमसीडी को विचार करने का आदेश दिया है क्योंकि इन टोल बूथों पर लगी वाहनों की लंबी लाइन प्रदूषण बढ़ाती है। एनएचएआइ ने इस संबंध में अर्जी दाखिल कर कोर्ट से आदेश देने का अनुरोध किया है।
निर्माण गतिविधियां बंद होने से बेरोजगार हुए निर्माण मजदूरों को मुआवजा देने के साथ ही हर साल ऐसी स्थिति आने पर निर्माण मजदूरों को तीन महीने के लिए दूसरे वैकल्पिक कार्यों में लगाने की योजना और नीति पर विचार करने का सरकार को निर्देश दिया है।
हालांकि कोर्ट ने प्रदूषण के कारण नर्सरी से कक्षा पांच तक के स्कूलों को बंद करने के दिल्ली सरकार के आदेश में हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया। कहा स्कूल बंद करने का निर्णय अस्थाई तौर पर प्रदूषण के कारण लिया गया है और एक सप्ताह बाद वैसे भी स्कूलों में जाड़े की छुट्टियां होने वाली हैं। ऐसे में इस संबंध में आदेश देने की जरूरत नहीं।
ये आदेश बुधवार को प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण के मामले में सुनवाई के दौरान दिए। सुनवाई के दौरान सीएक्यूएम की ओर से पेश एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट से पुराने वाहनों को कार्रवाई से छूट देने के गत 12 अगस्त के आदेश में संशोधन करने का अनुरोध किया।
भाटी ने कहा कि उस आदेश में कोर्ट ने 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को दंडात्मक कार्रवाई से छूट दी है लेकिन उस आदेश के कारण जो वाहन बीएस दो और बीएस तीन इमिशन स्टैंर्डड के हैं उन पर भी कार्रवाई नहीं हो पा रही है।
कोर्ट आदेश में संशोधन करके सिर्फ बीएस चार और उसके ऊपर स्तर के वाहनों को छूट दे। कोर्ट ने अनुरोध स्वीकार करते हुए छूट को सिर्फ बीएस चार और उसके ऊपर स्तर वाले वाहनों तक सीमित कर दिया। गत 12 अगस्त को कोर्ट ने दिल्ली सरकार की अर्जी स्वीकार करते हुए 10 और 15 साल पुराने वाहनों पर पूर्ण रोक के एनजीटी के आदेश पर रोक लगा दी थी।
प्राथमिक स्कूलों को खोलने की मांग खारिज
वरिष्ठ वकील मेनका गुरुस्वामी ने गरीब माता-पिता की ओर से कक्षा पांच तक के स्कूल बंद करने का विरोध किया। कहा कि इससे गरीब बच्चों को मिड-डे मील बंद हो गया है। माता पिता गरीब हैं और रोज काम पर जाते हैं बच्चे घर में रहते हैं जहां स्कूल से ज्यादा प्रदूषण है। कहा स्कूलों को हाईब्रिड चलाया जाए जो ऑनलाइन चाहता है ऑनलाइन पढ़े। लेकिन कोर्ट दलीलों पर सहमत नहीं हुआ कहा कि ये भेदभाव वाली बात होगी।
हमें समाज को इस तरह विभाजित नहीं करना चाहिए। भगवान न करे, अगर किसी छोटे बच्चे को कुछ हो जाए तो चिकित्सा संबंधी समस्याएं उत्पन्न होंगी। दिल्ली सरकार की ओर से पेश एएसजी भाटी ने कहा कि प्रदूषण को देखते हुए 15 दिसंबर को नर्सरी से पांच तक के स्कूल बंद करने का निर्णय लिया गया।
निर्माण मजदूरों को मुआवजा दिया जाए लेकिन ध्यान रहे शोषण न हो
कोर्ट ने निर्माण कार्य बंद होने से बेरोजगार हुए मजदूरों को मुआवजा देने के आदेश दिए। सरकार से कहा कि ध्यान रखा जाए कि पैसा सीधे मजदूर के खाते हमें जाए और किसी तरह से शोषण न हो।
इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि जब हर साल प्रदूषण के कारण निर्माण कार्य बंद हो जाते हैं तो फिर निर्माण मजदूरों को इन तीन महीने किसी दूसरे वैकल्पिक काम में लगाने की नीति पर क्यों न विचार किया जाए ताकि ये सरकार की मदद के अधीन भी न रहें और कमा भी सकें। कोर्ट ने राज्यों से निर्माण मजदूरों को मुआवजे के भुगतान पर स्टेटस रिपोर्ट देने को कहा है।
दिल्ली सीमा से एमसीडी के नौ टोल बूथ स्थानांतरित करने पर विचार हो
एनएचएआइ की ओर से पेश वरिष्ठ वकील पिंकी आनंद ने वाहनों का जाम कम करने के लिए दिल्ली सीमा पर राजमार्ग पर स्थिति नौ एमसीडी टोल बूथों को स्थानांतरित करने की मांग की। कोर्ट ने एनएचएआइ की अर्जी पर एमसीडी को जवाब देने का को कहा है साथ ही एमसीडी से अस्थाई तौर पर अपने नौ टोल बूथ स्थानांतरित करने पर विचार करने को भी कहा है और कहा है कि इस संबंध में एक सप्ताह में निर्णय ले।
इसके साथ ही कोर्ट ने एनएचएआइ से कहा कि वह भी विचार करे कि क्या एमसीडी के टोल बूथों को ऐसे स्थान पर स्थानांतरित करने की संभावना है जहां एमसीडी के कर्मचारी तैनात किये जा सकें। और ऐसे स्थलों पर एकत्रित टोल का कुछ हिस्सा अस्थाई निलंबन से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए दिया जा सकता है।
दिल्ली सीमा पर लगने वाले जाम पर टिप्पणी करते हुए पीठ ने कहा कि लोग जाम के कारण समारोह में जाने से डरते हैं। कोर्ट ने एमसीडी को भी फटकार लगाई।
आयोग दीर्घकालिक रणनीति की समीक्षा कर उसे मजबूत करे
सुप्रीम कोर्ट ने वायु गुणवत्ता आयोग से कहा है कि वह प्रदूषण की समस्या से निबटने के लिए दीर्घकालिक रणनीति की समीक्षा कर उसे मजबूत करे। जिसमें आयोग एनसीआर सरकारों से शहरी आवागमन, यातायात प्रबंधन और किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए प्रोत्साहन देने जैसे मुद्दों की जांच और विचार करे।
कोर्ट ने कहा कि टुकड़ों में किये गए उपायों से संकट का समाधान नहीं होगा। लोगों में जागरुकता लाने की भी जरूरत है। मामले में कोर्ट छह जनवरी को फिर सुनवाई करेगा।

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