सियासी दंगल में राजनेता उपनाम से बटोर रहे सुर्खियां, बाबा, बुआ व बैगा हैं खासे चर्चित
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला को कांग्रेस और भाजपा के नेता बुआजी कहकर संबोधित करते हैं। उनको यह नाम अटल बिहारी वाजपेयी के परिवार के सदस्य होने के नाते दिया गया।
मृगेंद्र पांडेय, रायपुर। छत्तीसगढ़ के सियासी दंगल में उपनाम से राजनेता सुर्खियां बटोर रहे हैं। प्रदेश में आधा दर्जन से ज्यादा नेता न सिर्फ अपने क्षेत्र में, बल्कि प्रदेश की राजनीति में भी उपनाम से जाने जाते हैं। उपनाम वाले बाबा (टीएस सिंहदेव), बुआ (करुणा शुक्ला), बैगा (भोजराज नाग), दादी (कवासी लखमा), सत्तू (सत्यनारायण शर्मा), मोहन भैया (बृजमोहन अग्रवाल), डाला (अजय चंद्राकर) और चंपू (चंद्रशेखर साहू) की राजनीति का अंदाज जुदा है। इस निकनेम से ही चलता है इन राजनेताओं और जनता का काम। इन्हीं नामों से अखबारों में सुर्खियां भी बनती हैं।
टीएस सिंहदेव को बचपन से ही सभी लोग बाबा बुलाते थे। यह नाम इतना प्रभावी हुआ कि जब वे अपनी माता के चुनाव प्रचार में जाते थे, तो जनता के बीच से ही आवाज आती थी कि बाबा आ गए। बाद में उन्होंने अपने चुनावी घोषणा पत्र में भी बाबा का जिक्र करना शुरू कर दिया।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला को कांग्रेस और भाजपा के नेता बुआजी कहकर संबोधित करते हैं। उनको यह नाम अटल बिहारी वाजपेयी के परिवार के सदस्य होने के नाते दिया गया। अब वे भले ही भाजपा को छोड़कर कांग्रेस में हैं, लेकिन यहां भी उनको बुआ के नाम से ही पुकारा जाता है।
बस्तर की कोंटा विधानसभा से चार बार के विधायक कवासी लखमा को लोग दादी के नाम से पुकारते हैं। स्थानीय भाषा में दादी सम्मान का सूचक है। लोकप्रियता का आलम यह है कि पूरे बस्तर में दादी मतलब कवासी लखमा ही माना जाता है।
सत्तू, डाला, चंपू मतलब दमदार नेतृत्व
रायपुर ग्रामीण से विधायक और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सत्यनारायण शर्मा को सत्तू भैया के नाम से जाना जाता है। अविभाजित मध्यप्रदेश के कद्दावर नेता सत्तू भैया जनता के बीच काफी लोकप्रिय है। मंत्री अजय चंद्राकर डाला के नाम से बचपन से ही जाने जाते हैं।
परिवार के सदस्य बचपन से ही अजय को डाला नाम से पुकारते थे। ठीक ऐसा ही अभनपुर विधानसभा से विधायक रहे चंद्रशेखर साहू के साथ है। उनको बचपन से ही चंपू नाम से पुकारा जाता है। बाद में डाला और चंपू नाम राजनीति में भी फेमस हो गया, जिसे दमदार नेतृत्व का पर्याय माना जाता है।
बस्तर का बैगा, रायपुर का मोहन भैया
कांकेर के अंतागढ़ विधानसभा से विधायक भोजराज नाग को बैगा के नाम से जाना जाता है। बताया जाता है कि भोजराज को माता का आशीर्वाद है। नवरात्र में वह पूजा-पाठ भी करते हैं। यही कारण है कि उनको बस्तर का बैगा पुकारा जाता है।
रायपुर में जनता के बीच गहरी दखल रखने वाले मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को लोग प्यार से मोहन भैया पुकारते हैं। बृजमोहन की राजनीति के शुरुआती दिनों में विद्या भैया प्रभावी नेता होते थे। जब उनका प्रभाव कम और बृजमोहन का प्रभाव बढ़ने लगा तो वह मोहन भैया के रूप में उभरे।